दहेज एक्ट
दहेज एक्ट
काम वाली बाई ने आते ही घर की सफाई के साथ साथ कालोनी का समाचार पत्र भी खोल दिया "मम्मीजी, जो पास वाले केम्पस के फ्लेट मे वर्मा जी के बेटे की शादी हुई थी न सोमवार को, उनकी बहू बस वर्मा जी के यहाँ कथा के लिये भर रुकी, फिर बेटा बहू सीधे अपने किराये के फ्लेट मे चले गये।"
"अच्छा।"
"बिचारी वर्मा जी की बीवी बहुत रो रही थी।बहू दो चार दिन तो रह जाती "काम वाली बाई ने सहानुभूति जताई। इस समाचार से यादों के खूँटे उनकी चेतना मे गड़ने लगे। मुन्ना का विवाह। बहू के आगमन को दो घन्टे न बीते कि बहू को साड़ी, गहनों का बोझ सहन न हुआ।
मेक्सी में मुन्ना के कमरे मे जा सो गई । रिश्तेदारों की खुसपुसाहट की बर्छियाँ उनके सीने को बींधने लगी। दूसरे दिन जीन्स टॉप मे बहू और मुन्ना छत पर बेडमिनटन खेल रहे थे। "बहू, साड़ी नही पहननी तो सलवार सूट डाल लो।
नीचे चलकर बैठो, सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है।"
उन्होने बस इतना ही कहा। जोर से एक पैर पटका जमीन पर और साथ मे रैकेट भी। फोन किया, भाई आया और उसके साथ चली गई बहू।
पुलिस, दहेज उत्पीड़न एक्ट, सीखचें में कटी रात। जमानत पर रिहाई। मुन्ना और बहू इसी शहर मे किराये से फ्लेट लेकर रह रहे हैं। आज भी याद कर रौंगटे खड़े हो गये उनके। बदन पसीने से भीग गया। संयत हो बोली"अच्छा हुआ,बेटा बहू चले गये उनके, नहीं तो दहेज एक्ट लग जाता तो।
नव विवाहिता बहू पर उसे एकदम अपना अधिकार दिखाने से पहिले उसके स्वभाव व विचारो को परखना जरुरी है।
