धड़कनों के दरमियान – एक अधूरी मोहब्बत
धड़कनों के दरमियान – एक अधूरी मोहब्बत
वो फरवरी की ठंडी शाम थी, जब राघव कॉफी शॉप में बैठा अपनी नोटबुक के पन्ने पलट रहा था। हर पन्ने पर किसी की यादें बसी थीं—गुलाबी सर्दी में उसकी हंसी, ठंडी हवा में उसका दुपट्टा लहराना, और वो अधूरी बातें, जो कभी पूरी न हो सकीं।
"क्या तुम फिर से वही लिख रहे हो?" पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज आई। राघव ने सिर उठाया—सिया सामने खड़ी थी। वही मुस्कान, वही चमकती आँखें, लेकिन अब उनमें एक हल्का सा दर्द भी था।
"शायद… कुछ अधूरी कहानियाँ बार-बार लिखनी पड़ती हैं," राघव ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
वो बैठ गई, लेकिन इस बार उसके हाथों में वो पुरानी गर्माहट नहीं थी। चार साल पहले इसी कॉफी शॉप में दोनों ने वेलेंटाइन डे पर वादा किया था कि चाहे कुछ भी हो, साथ रहेंगे। मगर ज़िंदगी वादों से नहीं, हालातों से चलती है।
राघव ने कॉफी की चुस्की लेते हुए कहा, "कैसी हो?"
सिया ने हल्की सांस ली, "अच्छी हूँ... और तुम?"
"बिल्कुल वैसा ही हूँ, जैसा तुमने छोड़ा था।"
सन्नाटा छा गया। कुछ पलों बाद सिया ने धीमे से कहा, "हमारे बीच जो भी हुआ, उसके लिए मैं..."
राघव ने उसकी बात काट दी, "कुछ बातें माफ़ी से नहीं, बस वक्त से सुलझती हैं।"
वो मुस्कराई, लेकिन आँखें भीग गईं। दोनों जानते थे कि यह प्यार अब भी जिंदा है, लेकिन किस्मत ने इसे मुकम्मल होने का हक़ नहीं दिया।
सिया जाने के लिए उठी। "ख़ुश रहना..."
राघव ने मुस्कुराकर कहा, "तुम भी।"
वो मुड़ी, कुछ कदम चली और फिर रुक गई। बिना पीछे देखे, धीरे से फुसफुसाई—
"अगर किसी जन्म में फिर से मिलें, तो ये अधूरी कहानी पूरी करेंगे…"
राघव मुस्कराया।
"वो जन्म शायद ज्यादा दूर नहीं है..."
कॉफी ठंडी हो चुकी थी, लेकिन राघव के दिल की धड़कनें अब भी सिया के नाम पर तेज़ हो रही थीं। कुछ मोहब्बतें अधूरी रहकर भी पूरी होती हैं... वक्त की किसी और धड़कन के साथ।
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#Valentine’s Day Special

