डेथ वारंट भाग 6
डेथ वारंट भाग 6
इंस्पेक्टर तुकाराम सालुंखे ने दैनिक तूफान के दफ्तर में जाकर अपना परिचय दिया तो उसे फौरन मोर्ग में पहुंचा दिया गया जहाँ बहुत से पुराने पेपर खंगालने के बाद उसे अपनी मनचाही जानकारी मिल गई। यह एक पुराने देह सौष्ठव प्रतियोगिता की कटिंग थी जिसमें सभी पहलवानों का चित्र था और पहले क्रमांक पर आने वाले व्यक्ति का शॉल श्रीफल देकर अभिनंदन किया जा रहा था। यह खिलाड़ी और कोई नहीं बल्कि राममोहन कुशवाहा था। सक्रिय राजनीति में आने से पहले कुशवाहा पहलवान रह चुका था। वहाँ से सालुंखे सीधे राममोहन के चुनावी क्षेत्र में गया और उसने जानकारी निकाली तो पता चला कि सरफराज ने कुशवाहा के चुनाव के दौरान विपक्षी दल का खूब प्रचार किया था और उस दौरान उसकी और राममोहन की कई गरमा गरम झड़पें भी हुई थी। क्या ऐसा हो सकता था कि अचानक अपने सामने सरफराज को अकेला और निहत्था देखकर कुशवाहा का पहलवानी खून उबाल मार गया हो और उसने एक ही झटके में उसे मार दिया हो ? सालुंखे का दिमाग भन्ना गया। अपने ही विभाग के मंत्री पर भला उस जैसा अदना ऑफिसर क्या कार्यवाही कर सकता था ?अगर जरा सी बात खुल जाती तो उसकी नौकरी भी जा सकती थी।
सालुंखे अपने अफसर भल्ला के पास गया।जयहिंद सर ! एक जोरदार सैल्यूट देते हुए सालुंखे ने कहा।
जयहिंद ,आलोक भल्ला ने उत्तर दिया और पूछा , कैसे आये ?
सर ! सरफराज मर्डर केस में एक चौंकाने वाली बात पता चली है।
क्या बात है ?
शक की सुई मंत्री जी की ओर घूम रही है सर ! मैं बहुत परेशान हूँ, क्या करूँ ?
अरे ! आलोक भल्ला के चेहरे पर भारी विस्मय के भाव आ गए।यह कयास तुमने कैसे लगाया ?
जवाब में सालुंखे ने अब तक कि अपनी तमाम कारगुजारी उनके सामने रख दी और बोला, किसी भी कत्ल के लिए जरूरी बातें हैं मौका,सामर्थ्य और कारण जो तीनों मंत्रीजी के पास मौजूद थे। वे सरफराज द्वारा अपने चुनाव में डाले गए अडंगों की वजह से उनसे नाराज हो सकते हैं। कल अचानक उन्हें निहत्था और अकेला सरफराज टॉयलेट में मिल गया होगा और एक ही झटके से सर पटक कर मार देने की ताकत तो उनमें है ही !आखिर मशहूर बॉडी बिल्डर रह चुके हैं।
हूँ ! गहरी सोच की मुद्रा में बैठे आलोक भल्ला के मुंह से केवल इतना ही निकल सका।
सर ! अब क्या किया जाए ?
देखो यह एक हाई प्रोफाइल मामला है।हमारे ही विभाग के मंत्री को हम बिना ठोस सबूत के गिरफ्तार नहीं कर सकते। शासन का कोप टूटा तो न तुम बचोगे और न मैं ! हमें बहुत सोच समझ कर कदम उठाना होगा सालुंखे। अभी तुम जाओ ,मैं सोच विचारकर कोई रास्ता बताता हूँ।
ओके सर ! सालुंखे सैल्यूट करके लौट आया लेकिन वह यह नहीं जानता था कि अगले दिन एक धमाका होने वाला था।
कहानी अभी जारी है .......