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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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डायरी जून 2022

डायरी जून 2022

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डायरी सखि, 

क्या कभी तुमने यह कहावत सुनी है कि "तू कौन ? मैं खामख्वाह" ? बहुत प्रचलित कहावत है ये सखि । अब तुम ये पूछोगी कि आज अचानक इस कहावत की याद कैसे आ गई ? तो अचानक कुछ नहीं होता है सखि , कोई न कोई तो बात होती ही है । 


अभी थोड़े दिन पहले तुमने सुना होगा कि प्रयागराज के दंगों का मास्टरमाइंड जावेद पंप के मकान पर योगी जी का बुलडोजर चला था । पूरा ईको सिस्टम कैसे दहाड़े मार मार कर रो रहा था । मुझे तो लग रहा था कि इस ईको सिस्टम के आंसुओं से देश बाढ की चपेट में आ जाएगा और हिन्द महासागर में सुनामी आ जाएगी । क्या क्या नहीं कहा गया था कि "बाबा" कौन होता है बुलडोजर चलाने वाला ? बुलडोजर तो केवल सुप्रीम कोर्ट ही चलाएगा , और कोई नहीं । तब ऐसा लग रहा था कि ये लोग सुप्रीम कोर्ट पर कितना भरोसा करते हैं ? पर ये वही लोग हैं जो नारा लगाते हैं "अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं" । अफजल को तो फांसी सुप्रीम कोर्ट ने दी थी तो कातिल भी वही हुआ । इन्होंने वह फैसला नहीं माना । शाहबानो का फैसला नहीं माना । तीन तलाक वाला फैसला नहीं माना और राम मंदिर वाला फैसला भी नहीं माना और कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट करे बुलडोजर पर फैसला । 


सखि , सुप्रीम कोर्ट जाने वाले लोग कौन हैं ? क्या ये वो लोग हैं जिनके मकान गिराए थे ? 

"नहीं" 

"क्या ये लोग वो हैं जिन्हें नोटिस दिए गए हैं" ? 

"नहीं" 

"क्या ये लोग किसी निचली अदालत में पक्षकार हैं" ? 

"नहीं" 

"तो फिर ये कौन लोग हैं" ? 

"इन्हें खामख्वाह कहते हैं सखि" 

"ये खामख्वाह कौन होते हैं" ? 

"वही जो 'मान न मान मैं तेरा मेहमान' होते हैं । यह रिट जमीयत ए उलेमा ए हिंद ने लगाई है । इसका उद्देश्य एक ही है , दंगाइयों , जेहादियों , आतंकवादियों , उपद्रवियों को सुरक्षा कवच देना । मगर इसके पीछे जो लोग हैं उन्हें पहचानना बहुत जरूरी है सखि । ये लोग हैं कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल जो समुदाय विशेष के वोट पाने के लिए भारत विरोध की हद तक चले जाते हैं । कुछ मीडिया घराने और खैराती पत्रकार जो इस उम्मीद में इस सरकार के खिलाफ रिपोर्टिंग करते हैं कि पुरानी सरकार आ जाये तो ये "मलाई" चाटने लगें । पद्म पुरस्कार प्राप्त कर लें । राज्य सभा की सीट बुक कर लें । इनके पीछे हैं कुछ भूतपूर्व जज , नौकरशाह, बॉलीवुड के तथाकथित कलाकार, तथाकथित बुद्धिजीवी । ये सब भी इसी फिराक में हैं कि सरकार बदले तो इनके दिन भी फिर जायें । मगर ऐसा हो नहीं सका । 


सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह दिल्ली में जहांगीर पुरी में बुलडोजर रोक दिया था तो इनको लगा कि ये उत्तर प्रदेश में भी रुकवा देंगे । मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट को भी बिना सरकार का पक्ष जाने स्टे नहीं देना चाहिए था । इससे सुप्रीम कोर्ट भी सवालों के घेरे में है । प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत यही है कि दोनों पक्षों को सुनकर ही कोई आदेश देना चाहिए । मगर दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एकपक्षीय फैसला सुनाया था । और सखि पता है कि उस केस में सुप्रीम कोर्ट कौन पहुंचा था ? ये वामपंथी राजनीतिक दल । वे कौन हैं ? वे भी खामख्वाह ही हैं । और सुप्रीम कोर्ट ने खामख्वाह लोगों की बात पर दिल्ली में बुलडोजर रोक दिया । इससे इन जेहादियों के हौसले बुलंद हो गए । 


अब इस केस में "बाबा" ने जवाब भी पेश कर दिया और शपथ पत्र भी दे दिया है । अब देखते हैं कि ये खामख्वाह कौन से चुल्लू भर पानी में जाकर डूब कर मरते हैं । 


आज के लिए इतना ही काफी है सखि, कल फिर मिलते हैं । बाय बाय 



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