द लाइब्रेरी एनकाउंटर
द लाइब्रेरी एनकाउंटर
अन्यथा उनकी कोचिंग इंस्टीट्यूट को बंद करवा देंगे। ऋषि ने डर कर शुरुआत में सरोज से दूर रहने की कोशिश की, लेकिन फिर उसने फैसला किया कि वो सरोज की मदद करेगी चाहे कुछ भी हो।
ऋषि ने सरोज को पढ़ने में मदद की, उसके कमजोर विषयों को समझा, और साथ में उसका आत्मविश्वास बढ़ाया। धीरे-धीरे, सरोज की ग्रेड में सुधार हुआ और उसका भरोसा भी बढ़ने लगा। ऋषि और सरोज के बीच में एक अनोखा रिश्ता शुरू हुआ, जो दोस्ती से कुछ और ही था।
कॉलेज की अंतिम परीक्षाओं के दिन, सरोज बहुत घबराई हुई थी। उसने ऋषि से कहा, "हर चीज के लिए धन्यवाद, अगर तुम नहीं होते तो शायद मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती।" ऋषि ने मुस्कुराकर कहा, "चिंता मत करो, तुम बहुत अच्छा करोगे। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।"
परीक्षा के नतीजों का इंतज़ार करते समय, ऋषि और सरोज ने एक दूसरे को और भी अच्छे से समझा। उनका धैर्य, दृढ़ता और टीम वर्क उन्हें एक दूसरे के साथ बहुत करीब ले आया। अंत में, नतीजे घोषित हुए और सरोज को आश्चर्य हुआ जब उसे पता चला कि उसने कॉलेज में टॉप करते हुए ऋषि से भी बेहतर अंक प्राप्त किए हैं। वह इस पर विश्वास नहीं कर सकी और ऋषि के पास दौड़ी, "मैंने यह किया! मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकती, मैंने यह किया!"
सरोज की ख़ुशी देखकर ऋषि बहुत खुश हुए। उसने उसे कसकर गले लगाया और कहा, "मैंने हमेशा तुम पर विश्वास किया। तुमने ये सब खुद किया है, मैंने सिर्फ तुम्हारी मदद की थी।" सरोज इतनी खुश हुई कि वह उसे धन्यवाद देना बंद नहीं कर सकी। उन दोनों को एहसास हुआ कि उनकी दोस्ती कुछ और खास हो गई है।
जैसे ही वे हाथ पकड़कर कॉलेज से बाहर निकले, सरोज का भाई उनके सामने आ गया। वह गुस्से में लग रहा था लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कहता, सरोज उसके पास आकर खड़ी हो गई। "भैया, मैंने अपनी मेहनत से ये सब हासिल किया है। ऋषि ने सिर्फ मेरी मदद की, कोई गलत इरादा नहीं था उसकी। और आप ये समझ लीजिए कि हम दोनों एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े रहेंगे।"
सरोज का भाई उसके आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से दंग रह गया। उसे एहसास हुआ कि उसने अपनी बहन को कमतर आंका है। अंत में, उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे तुम पर गर्व है, सरोज। तुमने सच में बहुत कुछ हासिल किया है। और ऋषि, मेरी बहन के लिए वहाँ रहने के लिए धन्यवाद। तुम दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी है।"
ऋषि और सरोज की दोस्ती प्यार में परवान चढ़ा और उन्होंने साथ मिलकर एक नया रोमांच शुरू किया। दोनों ने हाथ में हाथ डालकर अपने सपनों को पूरा करने का फैसला किया। उन्हें कई चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन एक-दूसरे के समर्थन से उन्होंने उन सभी पर विजय प्राप्त की।
साल बीतते गए और ऋषि और सरोज अपने-अपने क्षेत्रों में सफल हुए। वे कभी नहीं भूले कि वे कैसे मिले थे, कैसे उन्होंने एक-दूसरे को आगे बढ़ने में मदद की थी, और कैसे समय के साथ उनका प्यार मजबूत हुआ था। वे एक-दूसरे के लिए और जीवन की उस खूबसूरत यात्रा के लिए आभारी थे, जिस पर उन्होंने साथ मिलकर काम किया था .
और इस तरह, अपने चेहरों पर मुस्कान और दिलों में प्यार के साथ, ऋषि और सरोज हमेशा खुशी-खुशी अपने छोटे-से रोमांच में रहते रहे, हर दिन नई यादें बनाते रहे।
