चमत्कार या कुछ और
चमत्कार या कुछ और
रोज की तरह सड़क पर हलचल, तेज रफ्तार से भागती गाड़ियाँ, और भागती हुई जिंदगी, आज के समय की सच्चाई और हकीक़त, आज के समय
का।
रोज़ की तरह आज भी वह अपनी बाईक से अपने काम पर जा रहा था, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था उस दिन, काल अपना मुँह बाये खड़ी इंतजार कर रही थी बीच राह में, जैसे ही वह उस स्थान पर पहुँचा तभी उसी समय एक कार दूसरी तरफ से आई और बाईक उससे जा भिड़ी और उस
पर बैठा सवार लगभग दस से बारह फुट ऊपर उछल कर नीचे गिरा, आँख...नाक...कान से खून निकलने लगा।
वहां खड़ी भीड़ उसकी सहायता करने के जगह अपने अपने मोबाईल से उस हादसे की वीडियो बनाने में लगे थे,और वो घायल अवस्था में तड़प रहा था।
तभी भीड़ को चीरती हुई एक लड़की आई और उसने चीखते हुए उनको बहुत कुछ कहा फिर पी सी आर से उसे नज़दीक के अस्पताल में पहुंचाने के बाद उसके मोबाईल फोन से उसके घर पर सूचित किया, जैसे ही उसके घर वाले और पास पड़ोस के लोग पहुँचे फिर वो लड़की वहाँ से चली गई।
उस भयानक हादसे के बाद आश्चर्य तो तब हुआ यह देख कर की उस बाईक सवार को अंदरूनी चोट के अलावा कोई गंभीर चोट जैसे, फ्रैक्चर जैसा आदि कुछ नहीं था।
अब इसे क्या नाम दूँ ,चमत्कार या कुछ और।