शशि कांत श्रीवास्तव

Others

5.0  

शशि कांत श्रीवास्तव

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बदलते -रिश्ते

बदलते -रिश्ते

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समय अपनी गति से चला जा रहा था, कब क्या हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। रमेश जी अपने परिवार के साथ सुख पूर्वक रह रहे थे, घर 

में सब कुछ था किसी चीज की कोई कमी नहीं थी, रिश्तेदारी और दोस्तों के बीच उनका अच्छा खासा प्रभाव था। आये दिन कोई न कोई आता रहता था उनके यहां, और दोस्तों संग पार्टी वगैरह तो आये दिन होती रहती है। लोग उनकी हमेशा तारीफ करते नहीं थकते थे।

एक दिन रात को सोये तो, हमेशा के लिए सो गए। मतलब कि रमेश जी दुनिया को अलविदा करके चल दिए ,पत्नी सुमन पर तो विपदा आ पड़ी, अब क्या होगा, बच्चों की पढ़ाई और घर का ख़र्चा आदि।


एक दिन सुमन ने रिश्तेदारों और उनके दोस्तों को जो आये दिन आया करते थे , मदद के लिए कहा तो सभी ने अपनी अपनी मजबूरी का बहाना करके मना कर दिया और उनसे दूरी बना ली जैसे कि वो लोग अब अजनबी हों उनके लिए। खैर जैसे तैसे करके, जीवन को पटरी पर लाई, कुछ काम करके दोनों बच्चों को पढ़ाया और आज उसकी मेहनत सफल हो गई, दोनों बच्चे कामयाब हो गये और अच्छे ओहदों पर हैं। उनके सफलता को देखकर, धीरे धीरे रिश्तेदारों के फोन और पत्र आने लगे, अब उनके पास समय भी हो गया, पर सुमन ने अपना दो टूक फैसला उन्हें बता दिया की, जो मुसीबत के समय काम न आये उनसे, रिश्ता नहीं रखना, क्योंकि ये लोग समय के हिसाब से रिश्ते बदलते रहते हैं, इनसे दूर ही रहना अच्छा है क्योंकि ये समय के साथ रिश्तों को तोड़ते और जोड़ते हैं।

      


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