*स्वाभिमान *

*स्वाभिमान *

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आज घर में चहल पहल थी, और हो भी क्यों न? आज ममता की सगाई जो है| इस दिन के लिए उसने कई सारे सपने बुने थे, जो आज सच होने जा रहे हैं बचपन के मित्र आशु के साथ।

इन सब की तैयारी मे उसके मामा की लड़की, रश्मि जो

पास मे ही रहती थी, लगी हुई थी, आने वाले मेहमानों की लिस्ट बनाना और उनके स्वागत की तैयारी आदि के बारे मे जब वह आस्वस्त हो गई की सब कुछ ठीक है कहीं कोई कमी तो नहीं रह गई है,

वह ममता को बोलकर कि मै कुछ देर मे आती हूँ , घर को चली गई।

रश्मि और ममता थीं तो बहनें, पर वो बहन कम दोस्त थी आपस मे, कोई भी सुख दुख हो आपस में साझा करती थी, आस पास के लोग भी दोनों को सहेली समझते थे।

रश्मि एक स्वाभिमानी लड़की थी, वह खास मौको पर बिन बुलाये नहीं जाती।

शाम होने को आई, सगाई का समय धीरे धीरे नजदीक आ रहा था पर रश्मि का पता नहीं, ममता ने अपनी माँ से पूछा कि वह आई की नहीं --जब तक वह नहीं आती सगाई नहीं होगी, और इंतजार करने लगी।

जैसे ही ममता को आभास हुआ कि उसने तो उसे आमंत्रित ही नहीं किया है, तो वह तुरंत उसके घर गई

आमंत्रित करते हुए अपने साथ घर ले आई और खुशी खुशी आशु के साथ सगाई की रश्म को पूरा किया,यह देखकर रश्मि के चेहरे पर खुशी की मुस्कान तैर गई।


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