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अलका 'भारती'

Tragedy

4.2  

अलका 'भारती'

Tragedy

चलती क्या खंडाला

चलती क्या खंडाला

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मनीषा फूट फूट कर रोती रही उस मनहूस दिन को याद करती रही जब वह सलमान के साथ उसके प्रेम जाल में फँस कर अपने ही माँ बाप और परिवार का मुँह काला कर कीमती जेवर गहने और जितनी भी नगदी पल्ले पड़ी लेकर भाग आयी थी ..तीन-चार महीने यहाँ मुंबई में मौज मस्ती में कैसे बीत गए पता ही न चला ।...मगर आज सलमान उसे यहाँ अपनी खाला का घर कह कर ..कहाँ ..छोड गया है अब.. सब समझ में आ रहा है ...वह क्या करे ..कैसे यहाँ से पीछा छुड़ाये समझ ही नहीं पा रही थी ।

आज उसे समझ में आ रहा था अपनी पड़ोसन काकी का कहन "बिटिया अपनी हदें पार न करना जरा भले घर की बिटियन की तरह पहिर ओढ़ के रहा करो सीधे सादे माँ बाप तुम पर कितना विश्वास कर के पढ़ा रहे हैं तो बेजा न उड़ा करो। " ..दरसल में सलमान के साथ कालेज के बाहर पार्क में एकांत में उन दोनों को एक साथ देख लिया था उनकी अनुभवी दृष्टि कुछ अनहोनी भाँप गई थी ..और तब ..उसने उन्हें वहीं और कुछ कहने से रोक दिया था और माँ को बहाना बना कर काकी की बातों को बकवास करार दिया था ।


इधर सलमान के प्यार में उस अंधी को अपने छोटे भाई बहनों का और माँ बाप के अरमानों का बिलकुल भी ख्याल न आया । सलमान जो ..उसे एक ब्यूटी पार्लर में मिला था जिसने उसे समझाया था कि वह मुंबई में फिल्म इंडस्ट्री के लिए काम करता है । और उस जैसी खूबसूरत लड़की के लिए भी वही जगह सबसे उचित स्थान है ..दोनों शादी कर लेंगे और वहीं दोनों काम करेंगे वह हीरोइन बनेगी और वह हीरोइन का मेकप करेगा ..मजेदार जीवन बीतेगा दोनों का ।और वह फिदा हो गयी थी जब उसने उससे बड़ी अदा से पूछा था.. " ए सुन ..चलती क्या खंडाला " और वह भी कैसी मदहोशी में उसी दिशा में बहती चली गई थी ।


उसे अपने ऊपर और अपनी उस स्वार्थी अंधी बुद्धि पर आज घोर आश्चर्य हो रहा था ..इस अंधेरी कोठरी में कितने घण्टे सुबकते सुबकते बीत गये पता ही न चला ।

पुनः अपने आपको उसने झिड़का तूने ही तो अपने लिए यह जिंदगी चुनी है। अब यहाँ से छूटी भी तो किस मुँह से अपने घर लौटेगी ..कभी सोचा भी है.. तेरे बिना तेरे माँ बाप का क्या हाल ह

ुआ होगा ..कैसे उन्होने सामाज का सामना किया होगा ।कहीं ..अपमान से मर ही न गए हों ...और वह तड़प उठी । इतने में दरवजा खुलने की आहट हुई और एक प्लेट खाना किसी ने सरका दिया ..और एक कड़क दार आवाज गूंजी सुन ले लड़की चुपचाप से ये खाना खा ले और अपना बाना सुधार ले ..यहाँ जो भी एक बार आ जाती है फिर जिंदा वापस बाहर नहीं जाती ..तू यहाँ अकेली नहीं है अगर जरा सा भी दिमाग है ..तो जैसा कहा जाय ..करती रह ..नहीं तो ..न तो तू मर पाएगी और न ही जिंदा ..तेरा वह हश्र होगा कि ..तड़प तड़प कर तू मौत माँगेगी वह भी तुझे नसीब न होगी ..समझी...!!! वह डपट कर चीखी और खटाक से दरवाजा बंद कर चली गई ।और वह दहशत में सनाके में आ गई और पुनः सिसक पड़ी।


खाना ज्यों का त्यों पड़ा रहा वह कब सो गई उसे पता ही न चला ।

और जब उसकी आँख अनायास ही शोर शराबे की आवाजों से खुली । वह झटके से खड़े हो कर दरवाजे पर कान लगा कर सुनने लगी ..जिससे उसे पता चला तहखाने से बाहर पुलिस की रेट पड़ी है..वह भी तेज तेज दरवाजे पर हाथ मारने लगी ..जिसकी आवाज सुन कर उसे भी आजा़द करके बाहर लाया गया ...वहाँ सलमान भी पुलिस की हथकड़ी पहने पहले से ही खड़ा हुआ था ..दरसल उस दिन से ही उसके माता पिता चैन से नहीं बैठे थे उनके प्रयासों से और पुलिस द्वारा सलमान के मिले सुरागों के जरिए यहाँ तक पहुँच गयी थी और जब सलमान पकड़ा गया तो उसका भी पता चल सका था उसने तीव्र घृणा से सलमान को एक झन्नाटेदार थप्पड़ रशीद किया । उसके सहारे बहुत सारी लड़कियों को भी मुक्ति मिली थी ..फ़िर उसे अपने शहर में लाया गया और उसके माता पिता के सुपुर्द किया गया ..वह आँख झुकाए उनके कदमों में झुक गयी ..माता पिता ने सुबकते हुए अपनी बिटिया को अपने सीने से लगा लिया और आज एक बार पुनः अपने आपको वह धन्य मान रही थी ..यदि आज माता पिता का स्नेह अपने अंजाम पर न पहुँचता तो वह जिस गर्त में गिर जाती उसका परिणाम भी सोच-सोच कर सिहर जाती है । कितना बड़ा पाप किया था उसने और कितनी खुश नसीब है वह जो माता पिता ने उसे माफ कर एक बार पुनः नव जीवन प्रदान किया है ।


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