चिकेन और कोरोना
चिकेन और कोरोना
बाजार मे बहुत हलचल हो रही थी। लोग एक भीड़ की तरफ बदहवाश भागे जा रहे थे।
ऐसा लग रहा था जैसे कोई हादसा हो गया मेरी भी उत्सुकता जागी आखिर होवा क्या पता किया जाए एक दो आदमियों से पूछा तो उन्होंने भी यही जवाब दिया तो पता नहीं कह कर आगे बढ़ गए। तो मैंने सोचा खुद ही जाकर पता किया जाए आखिर माजरा क्या है। आगे एक पिकअप लगा था। जिस पर एक आदमी के दोनों हाथों मे दो पोल्ट्री फॉर्म के दो मुरगे थे। और वो आदमी जोर जोर से चिल्ला रहा था। सौ मे चार किलो सौ में चार उसी को लेने की होड़ मची थी। जो मुर्गा आज से दो दिन पहले दो सौ रूपया किलो था अचानक सौ मे चार तो पता चला की कोरोना के डर से लोगो ने चिकेन खाना छोड़ दिया। पर यहाँ तो लोग दौर दौर का मुर्गा ले रहे थे। आज रात ज़ब मैं खाने बैठी तो मेरी अम्मा ने भी एक बड़ी कटोरी मै भर भर कर चिकेन दिया तो मै भी माँ का मुँह देखने लगी ऐसा नहीं था की हमारे घर चिकन नहीं बनता बनता तो अक्सर था। पर अम्मा बूटी गिन कर देती। कहती इतना महंगा है कम ही बनाया है भैया और तुमरे अब्बा अभी बचे हैं। इसलिए हिसाब से दे रही हूँ
वैसे इस करोना ने आफत तो बहुत मचाया। पर जिन घरो मै कभी कभी मुर्गी बनती थी उन घरों मै कोरोना के अफ़ोया ने डेकची भर भर कर चिकन बन रहे थे।
जिन घरों मे कभी कभार चिकेन बनता है।
अब उनके यहाँ से भी बिरयानी की खुशबू आती हैँ।
आज तो अब्बा ने चिकेन खाने से साफ ही इंकार कर दिया। मैंने पूछा क्यों ना खाना चिकेन आपको बोले कोई स्वाद ना हैँ गोश्त मे। मैं बोली सस्ते हैँ इसलिए ना हैं अगर यही महंगे होते तो खूब स्वाद होते। तभी पड़ोसी के बिल्लू की आवाज़ आई अम्मा फिर से चिकेन खा ले बचवा एक दो दिन की ही बात हैं ज़ब तक ये कोरोना वेरोना का चक्कर हैँ तब तक ही चिकेन सस्ती। उसके बाद आग का मोल जो अपने बजट से बाहर है। बिल्लू अम्मा की बात सुनकर अजीब सा मुँह बनाकर चिकेन खाने लगा। ऐसा लग रहा था।
जैसे चिकेन नहीं करेले की सब्जी खा रहा हो। झगरु मगरू को अक्सर मैं तारी के दुकान पर बैठे होए देखती पास मैं तारी की बोतल और चखने मे कभी भजिअ तो कभी मूली आज तारी के बोतल के पास पेपर के प्लेट मे चिकेन लेग पीस देखकर मे मुस्कुरा दी।
मेरे घर के बगल में चिकेन और करोना पर औरतों की पंचायत हो रही थी तभी उजाले की अम्मा इठलाहते होए बोली हम ना खा हैँ मुर्गी बीमारी होए हैँ देखा हैँ नेट पर हमरा बेटा भेजे रहले। चिकेन और कोरोना पर सब के अपनी अपनी अलग अलग तर्क हैँ