छलावा भाग 5

छलावा भाग 5

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छलावा    

भाग  5

          ग्राइंडर और सुआ देखते ही मोहिते का दिमाग भन्ना गया। उसने एक सुआ उठा कर देखा तो उसका मार्क घिसा हुआ था अब तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि विलास ही छलावा है। उसने तुरन्त अपनी रिवाल्वर निकाली और विलास पर तान दी। विलास के छक्के छूट गए उसने तुरन्त चिल्ला कर पूछा क्या हुआ सर? वो बुरी तरह काँप रहा था। मोहिते ने शब्दों को मानों चबाते हुए पूछा, तू ही है न छलावा? 

          अरे नहीं सर! क्या बात कर रहे हैं! विलास की मानो रुलाई फूट पड़ी। मोहिते ने फिर कहा, तूने ये सुए यहाँ रखे हैं न मार्क घिस कर? बोल अब किसे मारना चाहता था? 

          विलास रोता हुआ बोला सर! मैं इन सुओं से काम कर रहा हूँ आजकल,और उनके मार्क हाथ में गड़ते हैं इस लिए जरा सा घिस दिया है।  

          मोहिते बोला, जब तू यहाँ आने में हिचकिचाया तभी मैं समझ गया था कि दाल में कुछ काला है अब तू नहीं बच सकता! दोनों हाथ उठाकर सिर पर रख ले और चौकी में चल! ज़रा सी होशियारी दिखाई कि बुलेट दिमाग में गाड़ दूंगा।  

         अचानक कमरे के बाहर थोड़ी सी आहट हुई और सैकेंड के सौंवे हिस्से के लिए मोहिते का ध्यान भंग हुआ और उतनी ही देर में विलास ने एक ओर को छलांग लगाई और बाथरूम में घुस गया मोहिते ने फायर किया पर गोली बाहर लगे वाश बेसिन से टकराई और वो चूर चूर हो गया। विलास ने बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि मैं निर्दोष हूँ। मोहिते दरवाजे के पास आकर उसे समझाने लगा कि अगर तुम निर्दोष हो तो तुम्हे कुछ नहीं होगा। तुम चुपचाप हाथ सिर पर रखकर बाहर आ जाओ। पर विलास अंदर से ही रोता गिड़गिड़ाता रहा। मोहिते ने धीरे से बाहर से कुण्डी लगा दी और चौकी से मदद लेने चल दिया। 

         थोड़ी ही देर में मोहिते भारी लाव लश्कर के साथ कमरे में पहुंचा और बाथरूम के बाहर से विलास को  आवाज लगाई पर उसे कोई उत्तर न मिला। मोहिते घूम कर पिछवाड़े में गया तो वहाँ एक छोटी सी खिड़की थी जिसपर सलाखें लगी हुई थी पर उसमें से निकल भागना असम्भव था। मोहिते ने वहाँ से झांकना चाहा तो कुछ दिखाई न पड़ा । वह असमंजस में पड़ गया। वो फिर घूमकर कमरे में आया और हवलदारों को दरवाजा तोड़ने का आदेश दिया। कुछ ही समय में दरवाजा टूट कर एक ओर गिर पड़ा। अत्यंत सावधानी से मोहिते रिवाल्वर ताने अंदर दाखिल हुआ। अंदर खिड़की के नीचे वाली दीवार से सटकर विलास पेट के बल पड़ा हुआ था इस लिए वो खिड़की से दिखाई न पड़ा । शायद ये बेहोश हो गया है ऐसा सोचकर मोहिते ने उसे पकड़कर अपनी ओर घुमाया तो उसका दिल मानो कूदकर उसके हलक में आ फंसा। "ऐसा नहीं हो सकता" उसके मुंह से निकला। सारे दूसरे हवलदार भी भौचक्के से रह गए। विलास की बाईं आँख में जड़ तक एक सुआ घुसा हुआ था जिसमें से भल-भल करके रक्त बह रहा था और उसकी खुली हुई दांई आँख बेहद भयानक लग रही थी। मोहिते ने उसकी नब्ज देखी तो वो डूब चुकी थी। छलावा एक बार फिर जीत गया था। बुरी तरह हताश मोहिते अपने कार्यालय में पहुंचा तो वहाँ बख्शी बैठा हुआ था। मोहिते ने उसे जल्दी जल्दी उसे सारी बात बताई तो बख़्शी ने उसके साथ जाकर घटनास्थल का मुआयना किया। बाथरूम के पीछे की खिड़की के पास जाकर उसने बारीकी से मुआयना किया तो उसके होंठ गोल हो गए और वो धीमे-धीमे सीटी बजाने लगा। फिर भीतर आकर उसने काठ कबाड़ को खंगाला तो उसके माथे पर बल पड़ गए। फिर वो वहाँ से निकला और वो मोहिते के कार्यालय में आकर बैठ गया और बोला, चाय मंगवाओ मोहिते। तुमने एक केस हल कर लिया है।  

मोहिते मुंह बाए देखता रह गया फिर घण्टी बजाकर चाय का आर्डर दिया और बख़्शी की ओर सुनने की मुद्रा बनाकर प्रतीक्षा करने लगा। 

       बख़्शी बोला, विलास छलावा नहीं था यह बात तो अब तुम भी जानते हो पर वो अवैध हथियार बनाता था यह मुझसे सुनो। पिछले दिनों मुम्बई में कई अपराधिक घटनाओं में कई गैर लाइसेंसी कट्टे और रिवाल्वर मिले थे वो विलास ही अपनी कमरे में चोरी छुपे बनाता था। पुलिस होने और कुछ वैज्ञानिक प्रयोग की आड़ में इसका अपराध छुपता रहा पर आज जब तुमने इसका कमरा जांचना चाहा तो यह घबरा गया।  इसे लगा कि इसकी पोल खुल जाएगी। इसी लिए यह तुम्हे कमरे में लाने से हिचक रहा था। फिर जब तुम इसे छलावा साबित करने पर तुल गए तब यह जान बचाने के लिए बाथरूम में घुस गया। लेकिन दुर्भाग्य से छलावे के चंगुल में फंस गया। 

           लेकिन सर!बंद कमरे में उसे छलावे ने कैसे मार दिया। दरवाजा तो दोनों ओर से बंद था? मोहिते ने पूछा।  

      बख़्शी बोला, जब विलास अंदर खड़ा रो रहा होगा तब छलावा वहाँ आया होगा और उसे खिड़की के पास बुलाकर उसकी आँख में सुआ घोंप दिया होगा। या हो सकता है विलास खिड़की के पास ही खड़ा हो। मैंने पिछली दीवार पर किसी की रगड़ के ताजा चिन्ह देखे हैं जो किसी के दीवार से सटने पर ही बने हैं। और एक बात! अगर विलास उसके बुलाने पर खिड़की तक गया इसका मतलब छलावा उसका पूर्व परिचित रहा होगा। इससे मेरी इस थ्योरी को भी बल मिलता है कि छलावा आपस का ही कोई व्यक्ति है।

        अगले दिन अखबार पुलिस चौकी में छलावे द्वारा किए गए खून की ख़बरों से भरे पड़े थे। लोगों में भय बढ़ता जा रहा था लेकिन छलावा अदृश्य था। 

कहानी अभी जारी है ......

आगे क्या हुआ ?

पढ़िए भाग 6 


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