छलावा भाग 4

छलावा भाग 4

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छलावा

भाग 4 

               विक्रांत मोहिते पुलिस चौकी में अपनी कुर्सी पर बैठा गहन सोच में डूबा कल की अस्पताल की घटना की कड़ियाँ जोड़ने की कोशिश कर रहा था। कातिल ने उनके मोर्ग में पहुँचने से पहले ही लाश की पीठ पर कागज चिपका दिया मतलब वो पहले से ही वहाँ मौजूद था फिर जब दोनों ने मिलकर चपरासी से पूछताछ की और मुख्यद्वार की ओर रवाना हुए तब बीच में बख़्शी सर टॉयलेट में गए वहाँ उन्हें दो मिनट लगे फिर मुख्य द्वार तक पहुँचने में दो से तीन मिनट और लगे होंगे। इसी बीच कातिल ने चौकीदार को मार भी दिया और खिड़की तोड़कर फरार भी हो गया। पता नहीं साला आदमी था कि भूत? हो सकता है जब बख़्शी सर टॉयलेट में थे तब वो भी वहीं मौजूद रहा हो! मोहिते की पीठ में भय की सिहरन दौड़ गई। कौन है वो? उसकी पहुँच तो यहाँ तक भी हो सकती है। क्या पुलिस चौकी में से ही कोई छलावा हो सकता है? 

          अचानक फोन की घनघनाहट  ने उसकी विचार श्रृंखला तोड़ दी। दूसरी ओर से बख़्शी की आवाज आई, मोहिते? 

यस सर! मोहिते स्पीकिंग। बोलिए!

सुनो! मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि छलावा कोई आपस का ही आदमी है  हमारे आसपास का ही कोई व्यक्ति! तुम ज़रा आँख कान खोले रहो और किसी पर विश्वास मत करो। कातिल बहुत घातक और क्रूर है। बाद में  बाकी बातें करता हूँ, बख़्शी ने जल्दी में कहा और फोन कट कर दिया। 

           अब मोहिते को नई चिंता लगी। कौन हो सकता है? क्या चौकी का कोई हवलदार या कोई अफसर? ये चाय पिलाने वाला अन्ना तो नहीं है छलावा? 

         उसके सभी मुलाजिम पुराने और आजमाए हुए थे। सिवाय एक के! विलास राहुरकर नाम का एक नौजवान सिपाही हाल में ही भर्ती हुआ था जिसकी पृष्ठभूमि अजीब थी। पहले वो साइंस का विद्यार्थी था। कुछ समय उसने डाक्टरी में जाने का विचार किया था फिर अचानक उसकी रूचि इंजीनियरिंग में हो गई थी। पुलिस स्टेशन में ही उसे एक कमरा रहने के लिए मिला हुआ था जिसमें उसने दुनिया भर का काठ-कबाड़ इकठ्ठा कर रखा था और नई-नई चीजें बनाने की कोशिश करता था। कुछ दिन पहले उसने एक छोटा सा ड्रोन विमान बनाया था जो छोटी-सी मोटर के सहारे उड़ता था और उसपर आधे किलो की चीज बाँधी जा सकती थी। उसने कई बिल्लियाँ पाल रखी थीं और अपनी तनख्वाह का अधिकाँश भाग अपने अजीबो-गरीब शौकों पर खर्च कर देता था। वो लातूर का रहने वाला था पर अपने घर परिवार से कोई मतलब नहीं रखता था। काफी कम बोलता था और अपने में ही खोया रहता। क्या वो छलावा हो सकता था? मोहिते ने उसपर कड़ी नजर रखने का निश्चय किया। उसने आवाज देकर विलास को बुलाया वो चुपचाप सिर झुकाए अपना काम कर रहा था,आवाज सुनते ही तुरन्त मोहिते के पास आया और सैल्यूट करके खड़ा हो गया। मोहिते ने उसे बैठने को कहा और पूछा, "कैसे हो विलास?

ठीक हूँ सर! विलास बोला 

तुम्हे कैसा लग रहा है अपना काम? कोई प्रॉब्लम तो नहीं है न? मोहिते ने पूछा। 

विलास बोला सब ठीक है सर!

छलावे के बारे में तुम्हारा क्या विचार है? अचानक मोहिते ने पूछा और उस समय उसकी नजरें किसी एक्सरे की तरह विलास के मनोभाव पढ़ने की कोशिश कर रही थी। 

विलास ऐसे सवाल के लिए कतई तैयार नहीं था। वो साफ़ साफ़ हड़बड़ा गया। हकलाता हुआ बोला, सर! काफी चर्चा है उसकी! बाकी आप बड़े लोग जाने। 

फिर थोड़ा सम्भल कर उसने आगे कहना शुरू किया, सर! वो जल्दी पकड़ा जाए तो ही अच्छा! अब तो हम पुलिस वालों को भी डर लगने लगा है उससे! आम जनता का तो कहना ही क्या? 

      मोहिते ने सहमति में सर हिलाया और बोला, तुमने तो डाक्टरी भी पढ़ी है न? जरा बताओ सुए के एक ही वार से हमेशा इंसान मर जाता है ऐसा क्यों?

अब विलास उत्साह में आ गया सर! आप कातिल की स्ट्रेटेजी तो देखियए वो सुआ मारता कहाँ है? बाईं आँख के भीतर ही दिमाग को। आँख नाजुक होती है न? तेज सुआ आँख को फोड़ता हुआ तुरन्त दिमाग को हिट करता है। वैसे कहीं और से मारा जाए तो खोपड़ी दिमाग को बचा सकती है क्यों कि खोपड़ी नरम दिमाग के लिए हेलमेट का काम करती है पर आँख के रास्ते मारने पर खोपड़ी कोई अवरोध पैदा नहीं कर पाती। और एक ही वार में आदमी सैकेंडों में मर जाता है। 

       विलास अपनी ही धुन में बोले जा रहा था और मोहिते की आँखें उसके हर हाव-भाव को बारीकी से नोट कर रही थी। मोहिते का शक गहराता जा रहा था। डाक्टरी और इन्जिनियरिंग का मेल! पुलिस सिपाही होने के नाते हर जगह पहुँचने की आसानी और संदिग्ध पृष्ठभूमि!

           अपना गाल खुजाता हुआ मोहिते बोला, आजकल नया क्या बना रहे हो भाई?

कुछ विशेष नहीं सर! विलास बोला

चलो! अचानक मोहिते उठ कर खड़ा होता हुआ बोला, देखूं क्या बना रहे हो आजकल!

     विलास के चेहरे का रंग उड़ गया, मोहिते ने साफ़ साफ़ उसके चेहरे पर भय की छाया को महसूस किया। उसका शक दोबाला हो गया। उसने कड़ाई से पूछा क्या बात है? कोई ऐतराज है क्या?

विलास बुरी तरह हकलाने लगा। मोहिते उसे जबरन उसके कमरे तक लाया और दरवाजे में कदम रखते ही ठिठक कर जड़ हो गया। सामने एक ग्राइंडर मशीन पड़ी थी और उसकी बगल में दो बर्फ काटने के सुए पड़े हुए थे। 

कहानी अभी जारी है ......

क्या हुआ आगे?

क्या विलास ही छलावा है?

पढ़िए भाग  5 


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