चौराहे का सच

चौराहे का सच

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मोनू क्या कर रहे हो.. पूरा दिन तुम दोनों यही करते हो, हर वक्त बस बाहर भी शांति नहीं। सोनू तुम तो छोड़ो बहस मत करो प्लीज! तुम भी चुप नहीं रह सकती क्या। मीता बिल के पैसे देते हुए 7 साल की सोनू को कह।

मम्मा आप तो मुझे ही हमेशा बोलती हो भैया को नहीं। मिता बिल देकर दोनों बच्चों को लेकर मॉल से बाहर निकली। गाड़ी में बैठते ही बच्चे फिर शुरू हो गए इधर मैं बैठूंगा, उधर मैं बैठूंगा। तुम दोनों इतने बड़े हो गए हो फिर भी ओह मैं परेशान हो गई हूं कोई बात नहीं सुनते, ना समझते हो। मोनू थोड़ा समझो बेटा बड़े हो गए हो तुम्हारे उम्र में हम तो छोटे भाई बहनों को संभाला करते थे। 13 साल के हो और सोनू 6 साल की पर तुम्हें उससे भी झगड़े हो जाते है।

प्लीज मम्मा जल्दी चलो..मोनु ने कहा

मिता गाड़ी चलाते हुए बच्चों को सुनती जा रही थी। अकेली

लेकिन वह परेशान रहती थी, दोनों बच्चे पूरा समय बस लड़ाई। पापा उसके रहते नहीं कभी-कभी रहने पर प्यार ज्यादा इस चक्कर में बच्चे बिगड़ते जा रहे थे। एक दूसरे का ख्याल तो था पर मेरे न रहने पर सामने बहस, लड़ाई। सारा कुछ उसे ही संभालना होता है।

मम्मा बर्गर ले लो प्लीज रुक कर मोनु की आवाज आई चौराहे पर मेक्डोनल दिख चुका था।

हां मम्मी ले लो ना सोनू ने भी कहा।

मुझे गाड़ी किनारे लगानी पड़ी मेक्डोनल सामने ही था गाड़ी से निकल कर अंदर गयें हम। चौराहे पर मैक्डोनल ऊपर से साफ पूरा चौराहा दिखता है। दोनों बच्चे शीशे से बाहर देख रहे थे मैं भी निहारने लगी देखा। एक 11 या 12 साल का बच्चा एक 6 या 7 साल की लड़की का हाथ पकड़े लाल बत्ती के होने पर रूकी गाड़ी में कपड़े मार रहा था लोग मना कर रहे थे। हाथ फैला रहा था मन पसीज गया मेरा।

मैंने दोनों बच्चों को दिखाया एकटक उन्हें देखे जा रहे थे। छोटी लड़की का हाथ पकड़े वह लड़का बड़ी तेजी से गाड़ी के आगे शीशे पर कपड़ा मारता और पैसे लेकर आगे बढ़ जाता दौड़ कर। दो, तीन या चार गाड़ियां साफ हो पाई लाल बत्ती हो गई थी। सारी गाड़ियां आगे बढ़ गई वह उस लड़की को जोर से पकड़े दूसरी तरफ लाल बत्ती की तरफ दौड़ चुका था।

मोनू और सोनू दोनों चुपचाप उसे ही देखते रह गए, उसके हाथों में बर्गर के साथ मन में सवाल थे मेरे लिए बहुत सारे।

क्यों?कैसे ?जो बच्चों की मन में चल रहा था। मैंने खाने का इशारा किया। पर निगाहें बच्चों की बार-बार लाल बत्ती की तरफ जा रही थी। जो इधर-उधर दौड़ लगा रहा था उस छोटी सी बच्ची का हाथ थामे।

मैं शांत दोनों बच्चों के चेहरे पर आते जाते भाव देख रही थी। मां वो क्यों कर रहे हैं ऐसा दौड़... दौड़ कर अगर चोट लग गई तो.. सोनू ने पूछा। आप तो हमें रोड क्रॉस भी नहीं करने देते.. मोनू ने एक सवाल फिर से पूछ

हां बेटा तुम्हें देखने के लिए हम पापा दोनों हैं! पापा नौकरी करके तुम्हारे लिए हर सुविधा जुटा रहे हैं और मैं तुम्हारी केयर कर रही हूं। जरूरत की चीजें लाकर दे रही इसके बाद भी खुश नहीं हो तुम लोग हमेशा लड़ते हो, कमी निकालते हो। प्यार से नहीं रहते, और उसे देखो उसके पास कुछ भी नहीं है फिर भी वह अपनी बहन का हाथ थामे है। उसकी केयर कर रहा है और तुम दोनों ...सब कुछ है फिर भी लड़ते हो। उन बच्चों का कोई नहीं भी हो सकता है उनके पास इतना ख्याल रखने के लिए। पैसे नहीं इन्हें खुद खाने के लिए कमाना पड़ रहा है। तुम्हारा ख्याल रखने के लिए हम हैं, पापा हैं, पूरा परिवार है और उन दोनों का खयाल खुद वो दोनों रख रहे हैं। आते जाते गाड़ियों के बीच उन्हें कभी भी हो सकता है ।

दोनों चुपचाप मेरी बात सुन रहे थे और बर्गर खा रहे थे, मैं भी चुप हो गई शांति थी। आज घर आकर दोनों के मन में ढेरों सवाल थे दोनों अपने-अपने कमरे में चले गयें। शायद लाल बत्ती पर देखी कहानी उनके मन में चल रही थी अच्छा है कुछ तो समझ आ जाए अगर आ गई तो लाल बत्ती पर खड़े दोनों मासुम बच्चों का धन्यवाद दिल से मेरे तरफ से।


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