STORYMIRROR

Prabodh Govil

Drama

4  

Prabodh Govil

Drama

बसंती की बसंत पंचमी- 25

बसंती की बसंत पंचमी- 25

2 mins
167

श्रीमती कुनकुनवाला न मानीं। उन्होंने उठ कर जॉन का कान पकड़ा और हंसते हुए बोलीं- बोल, बोल अब बता कहां से लाया है ये रुपए। जब तक नहीं बताएगा छोड़ूंगी नहीं। वह हंसते हुए कान को ज़ोर से मरोड़ने लगीं।

जॉन ने उछल कर अपना कान छुड़ाया और बोला- ओ हो, क्या मुसीबत है, इस घर में कोई रुपए भी नहीं रख सकता? कंगालों का घर है क्या?

- कंगालों का नहीं, तो इतने धन्ना सेठों का भी नहीं है कि घर का बेरोजगार लड़का ताश के पत्तों की तरह रुपए की गड्डियां लेकर घूमे। श्रीमती कुनकुनवाला ने कहा।

हंसता हुआ जॉन बोला- ओके ओके, बताता हूं, बताता हूं... ये पैसे दरअसल आपकी सब फ्रेंड्स के हैं, तीस हजार अरोड़ा आंटी के, बाईस हज़ार वीर आंटी के, चौबीस हजार चंदू आंटी के... पच्चीस हजार..

- क्या??? वो सब तुझे इतने- इतने रुपए किस बात के दे गईं? और मुझे किसी ने बताया तक नहीं।

श्रीमती कुनकुनवाला की आंखें आश्चर्य से फटी रह गईं। अब उनका सुर एकदम से बदल गया। बेटे से लिपट कर गलबहियां डालते हुए प्यार से बोलीं- तुझे मेरी कसम, बता तो सही बेटा, ये रुपए वो सब तुझे क्यों दे गईं?

जॉन ने शान से मम्मी को एक ओर हटाते हुए कहा- मॉम, आय एम फायनेंस मैनेजर ऑफ़ द प्रोजेक्ट "बसंती"। डू यू नो?(मम्मी, मैं प्रोजेक्ट बसंती का फायनेंस प्रबंधक हूं, आप जानती हैं?)

श्रीमती कुनकुनवाला का मुंह खुला का खुला रह गया। बोलीं- अच्छा, तो इन सब ने चोरी- छिपे रिश्वत दी है ताकि फ़िल्म में उन्हें काम मिल जाए। देखो तो जरा, मेरे साथ ही गद्दारी? मुझे बताया तक नहीं।

वो ठंडी सांस छोड़ कर फ़िर बोलीं- पर बेटा, रुपए तुझे क्यों दिए? कहीं तूने मांगे तो नहीं? आने दे आज तेरे पापा को, तेरी शिकायत लगाती हूं।

- ओ हो मम्मी, बाक़ी मम्मियां तो बेटे की पहली कमाई पर शान से सबको लड्डू खिलाती हैं और मेरी माताश्री तो मेरे ही पीछे हाथ धोकर पड़ गईं। कह कर जॉन ने नोटों को एक बार फ़िर हवा में लहराया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama