बोर्ड एक्जाम
बोर्ड एक्जाम
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साल के शुरुआत से पढ़ाई की टेंशन।
एक्जाम का दवाब, कक्षा बाहर के बाद क्या करना है, यह सब स्टुडेंटस के दिमाग मे शुरू से ही चलता है ! ये कहानी है आयशा और रोहन की। दोनों एक ही स्कूल मे पढ़ते थे लेकिन अलग-अलग सेक्शन में…
बात हाफ यीअरली एक्जाम के बाद की है जब पहली बार रोहन और आयशा में जान-पहचान हुई। इससे पहले दोनों ने एक-दूसरे का नाम तो सुना था लेकिन शक्ल से ये नहीं जानते थे कि ये है कौन ?
आयशा सेक्सन ‘ए’ की टॉपर थी जबकी रोहन सेक्शन ‘ब’ का सेकेंड टॉपर, रोहन कॉलेज में कैमेस्ट्री में टॉप दिमाग वाला" के नाम से जाना जाता था, रोहन बड़ा मस्त लड़का था। उसे ज्यादा दोस्त पसंद नही थे इसीलिये वो अपने चार दोस्तों के साथ ही रहता था। रोहन बहुत ज्यादा मजाक करता था। वो लड़कों से ज्यादा लड़कियों की मजाक उड़ाता था।
मजाक-मजाक में सामने वाले की बेइज्ज्ती करना कोई उससे सीखे, जिस वजह से वो लड़कियों से बात ही नहीं करता था। कहता- कहीं मैंने किसी लड़की की मजाक उड़ा देनी है फिर वो मुझे स्कुल से बाहर भगा देगी। आयशा और रोहन को सोशल मीडिया (फेसबुक, व्हटसअप) में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं था लेकिन दोनों कहाँ जानते थे की सोशल मीडिया से ही दोनों मिलने वाले हैं !
रोहन के बस चार दोस्त थे जो उसे बहुत प्यारे थे। एक दिन रोहन के फोन से उसके दोस्त ने आयशा को फेसबुक पर फ्रैन्ड रिक़्वेस्ट भेजी। आयशा, रोहन का नाम जानती थी इसीलिये नाम पढ़ते ही रिक़्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। रोहन को ये सब पता नहीं था। जब शाम को उसने फेसबुक लॉग इन किया तो तो देखा आयशा फ्रैन्ड। यह देख उसने अपने दोस्तों को डाँटा लेकिन फिर ज्यादा कुछ नहीं किया। फेसबुक फ्रैन्ड होने पर भी रोहन ने आयशा को कभी मेसेज नहीं किया।
एक दिन अचानक संडे को रोहन का फोन बजा देखा तो आयशा का मैसेज था
आयशा- हाय
रोहन- हैलो
आयशा- तुम वो ही हो ना कैमेस्ट्री वाले ?
रोहन– क्या मतलब कैमेस्ट्री वाला, अच्छा खासा नाम है मेरा।
आयशा- अरे, मेरा मतलब तुम्हें सब इसी नाम से स्कुल में जानते हैं इसीलिए कहा !
रोहन- हाँ मै ही हूँ, लेकिन आज अचानक मैसेज ?
आयशा- हाँ वो क्या है कि मैं बोर हो रही थी। तुम ऑनलाइन थे तो सोचा तुम तो मैसेज करोगे नहीं, क्यों ना मैं ही पहले कोशिश कर लूँ !
रोहन– कुछ ज्यादा ही सोच लिया !
आयशा- तुम बहुत कम बातें करते हो, मैंने सुना ?
रोहन- तुम बड़ी रिसर्च कर रही हो मेरे लिए, दरसल बात ये है कि मेे लड़कियों से ज्यादा बातें नहीं करता लेकिन तुमसे पता नहीं क्यों कर रहा हूँ.... ओके बाय, मुझे अपने दोस्तों से बात करनी है !
अगले दिन आयशा ने गुड मॉर्निंग का मैसेज किया जिसका शाम को रोहन ने रिपलाई किया- गुड इवनिंग आयशा..
इसी तरह दोनों में धीरे-धीरे हर रोज बाते होने लगी। अब दोनों बढ़िया दोस्त बन चुके थे !
दोनों बस फेसबुक में ही बातें करते थे। एक-दूसरे की पसंद-नापसंद जानने लगे। दोनों दिन भर की बातें आपस मे रोज बताया करते थे। क्या पढ़ा, क्या किया, दिन भऱ ये सब एक-दूसरे को बताया करते।
दिलचस्प बात तो ये थी कि दोनों की कभी लगातार बात नहीं होती थी दिन में !
तीन-चार घन्टे के बाद मैसेज का ज़वाब आता था दोनों का क्योंकि दोनों पढ़ते रहते थे। दोनों जब भी फ्री होते तो मैसेज का ज़वाब देते। तीन-चार घन्टे के इंतजार के बाद जब मैसेज दिखता तो बिना समय गँवाये एक-दूसरे के मैसेज का ज़वाब देते थे ! कभी किसी कारण से कोई मैसेज न कर पाया तो दूसरा नाराज होने का नाटक करता। समय बीतता रहा। देखते-देखते हाफ यीअरली एक्साम आ गये...
आयशा- यार रोहन, हम लोगों की स्कूल में अच्छे से उड़ने वाली है !
रोहन- वैसे कभी-कभी सही बात कर लेती है तू...सही में इस बार तो कुछ नहीं पढ़ा। इस बार सच में क्लास लगने वाली है !
आयशा- कोई ना बेटे, दोनों की साथ ही क्लास लगेगी !
रोहन- बोल तो ऐसे रही है जैसे दोनों को साथ ही गोल्ड मेडेल मिल रहा होगा !
आयशा- लड़ने के अलावा कुछ आता है तुझे ? जब देखो तब लड़ता रहेगा !
रोहन और आयशा दोनो लड़ते रहते थे लेकिन उनकी दोस्ती का बॉन्ड लड़ने से बढ़ता था ! हर दिन एक्साम के बाद दोनों का एक ही मैसेज आता था- लग गये यार आज तो अब कल वाले में पता नहीं कितनी बेइज्जती होगी अपनी !
लेकिन जब रिजल्ट आया तो दोनों अपने-अपने सेक्शन मे सबसे ज्यादा नंबर लाये...आयशा के छह न
ंबर रोहन से ज्यादा थे लेकिन इतना नीचे-ऊपर होता ही रहता था हर बार दोनों में।
दोनों एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जानने लगे थे। उन्हें एक-दूसरे से प्यार नहीं था लेकिन हाँ, उनकी दोस्ती बहुत मजबूत हो गयी थी, जो शायद प्यार की ताक़त से भी काफी मजबूत थी !
जिस दिन दोनों की बात ना हो उस दिन दोनों को अधूरा लगता था। रोहन अक्सर मजाक में कहता रहता था कि आयशा तू इस गलतफहमी में मत रहना की मुझे तुझसे प्यार होगा कभी।
आयशा भी मजाक में कहती थी- ये सब कहने से पहले खुद को शीशे मे देख ले, बड़ा आया "प्यार होगा" कहने वाला !
ऐसे ही एक-दूसरे पर हमेशा जोक मारना, एक-दूसरे की उड़ाना, ये सब आदत सी हो गयी थी !
एक दिन अचानक आयशा ने बिना रोहन को बताये फेसबुक अकाउन्ट डिलीट कर दिया...पहले तो रोहन को विश्वास ही नहीं हुआ कि बिना बताये आयशा ऐसा नहीं कर सकती। वो हर घन्टे मैसेज चेक करता लेकिन कोई फायदा नहीं.. बोर्ड एक्साम के चक्कर में स्कूल भी बंद थे एक्साम की तैयारी करने के लिए इसीलिए स्कूल में भी मिलना नहीं हुआ !
रोहन ने फिर भी एक-दो हफ्ते तक मैसेज चेक करता रहा लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ ! रोहन काफी मायूस सा रहने लगा क्योंकि एक आयशा ही थी जिससे उसने इतनी बातें शेयर की थी। उसने आयशा से दिल से दोस्ती की थी। उसे दिल से अपना दोस्त मानता था, लेकिन आयशा के इस कदम ने रोहन को उसकी दोस्ती का विश्वास तोड़ने पर मजबूर किया लेकिन रोहन इतनी जल्दी ये सब कहाँ भूलता। बड़ा मुश्किल था उसके लिए ये सब.. करता भी क्या रोहन ,, इसीलिए वो भी एक्जाम के लिए लग गया। बोर्ड एक्साम खत्म हो चुके थे। अब रोहन अपने चार दोस्तों के साथ ही मजे में रहता था, बाहर से ज़रूर वो कहता था की उसे आयशा से कोई मतलब नही है लेकिन अंदर से अब भी आयशा को सबसे अच्छा दोस्त मानता था !
एक्साम खत्म होने के कुछ दिन बाद एक दिन अचानक रोहन को आयशा का मैसेज आया-
आयशा-- हाय रोहन...
रोहन -- हेलो..
आयशा-- कैसा है और तेरे एक्साम कैसे गये ?
रोहन मजाक में -- मुझे क्या होना है मैं ठीक ही हूँ और रही एक्साम की बात तो मेरे एक्साम सही कैसे जाते ? मैंने थोड़ी फेसबुक अकाउंट डिलीट नहीं किया था !
आयशा-- क्या बकवास कर रहा है। फेसबुक अकाउंट डिलीट नहीं किया। मुझे सुना रहा है क्या ? मैंने अकाउंट डिलीट किया क्योंकि मुझसे पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। दिन भर तुझ से बातें करके मैं अपने एक्साम खराब क्यों करती ! (आयशा ने यह सब सिरियस्ली कहा)
रोहन-- अरे, मजाक कर रहा हूँ लेकिन कम से कम एक बार बता देती तो ठीक रहता...
आयशा-- अब क्या हर चीज बतानी पड़ती है, खुद सोचना चाहिये था तुझे भी कि बोर्ड एक्साम है पढ़ना होता है। आयशा का यह स्वभाव कुछ अलग ही था जो रोहन कभी सोच भी नही सकता था !
रोहन-- मैं नहीं सोच पाया तो तू दोस्त है मेरी, बता देती की पढ़ लेते हैं, अब बाद में बात करेंगे !
आयशा-- दोस्त-दोस्त क्या लगा रखा है। मैं तुझसे इसीलिये बात करती थी की "वी आर क्लासमेट" इससे ज्यादा कुछ नहीं और तू अपना दिमाग ज्यादा मत लगा...ओके बाय, ऑल द बेस्ट फॉर फ्युचर..
यह देख कर रोहन कुछ कह ही नहीं पाया। आयशा का ये बदलता हुआ रुप रोहन ने कभी सोचा नहीं होगा कि ऐसा भी होगा उसके साथ ! कुछ दिनों तक तो रोहन को विश्वास ही नहीं हुआ की आयशा ऐसा कैसे सोच सकती है पर सच तो सच ही था जो आयशा ने रोहन से कह दिया था !
इसके बाद रोहन को किसी लड़की पर विश्वास नहीं रहा था... वो लड़कों से ज्यादा लड़कियों से पंगे लेता था , उनसे रूडली बातें करता, लड़कियों की हर गलती पर काउन्टर मारता था। अब रोहन किसी भी लड़की से सीधे मुहँ बात ही नहीं करता था।
रोहन में एक बात थी कि हर कोई उससे जल्द ही घुल मिल जाता था। हर कोई लड़की रोहन से बात करना चाहती थी लेकिन रोहन जानबूझ कर अपनी छवि लड़कियों के सामने गिराता था जिससे कोई आयशा की तरह रोहन की दोस्त न बन पाए। नोरमली रोहन बात तो सभी लड़कियों से करता लेकिन जब उसे लगता की कोई उसके ज्यादा करीब हो रही है तो रोहन जानबूझ कर उल्टी-सीधी हरकत करके उस लड़की के सामने अपने छवि खुद ही गिराता जिससे वो लड़की रोहन से बात न करे। अब अक्सर लड़कियाँ रोहन को खड़ूस कहती थी लेकिन रोहन को कोई फर्क नही पड़ता। अब वो अपने चार दोस्तों के साथ ही खुश था। उन्हीं के साथ मजे में रहता, अब रोहन अपने चार दोस्तों के अलावा किसी से कोई मतलब नहीं रखता !