बँटवारा
बँटवारा
" अरे सुनो मैं घर की साफ सफाई कर रही हूँ आप मुन्ने को स्कूल छोड़ आइये। "वीरा ने पानी खींचते हुए पति से कहा।
"ठीक है।"
"उफ्फ ! कितना गंदा हो गया यह रूम ? अब एक महीने की छुट्टी !"वीरा ने मुँह सिकोड़ते हुए कहा।
"मम्मी दादी अब हमारे घर कब आएंगी ?"मुन्ने ने मासूमियत से ब्रुस करते हुए माँ से पूछा ।
"एक महीने बाद।"
"एक महीने चाची के घर रहेंगीं?"
"हाँ ।"
"ऐसे क्यों करती हो ? दादी तो बहुत अच्छी अच्छी कहानियाँ सुनातीं हैं |"
"अरे बेटा चाचा भी तो बेटे हैं उनके। उनका भी तो फर्ज़ बनता है ।"
"मगर मम्मी दादी का मन यहाँ ज्यादा लगता है।"
"तो मैं क्या करूँ ?"वीरा ने झुँझलाते हुए कहा।
"मगर मम्मी आपके तो मैं ही अकेला हूँ। आपको मैं किसके घर भेजूँगा ?आपका बँटवारा कैसे करूँगा ? "बेटे ने हँसते हुए सवाल किया।
सुनकर वीरा और उसके पति एक दूसरे का मुँह देख रहे थे ।