भूखा हूं साहब..
भूखा हूं साहब..
भूखा हूॅं साहेब,
नहीं आती तुम्हारी ज्ञान की बातें समझ।
तुम्हारा पेट तो भरा हुआ है,
तुम न समझोगे मेरी तड़प
सुना है उस बड़ी दावत में खानें की बड़ी बरबादी हुई,
मेरा क्या है..मुझे तो दूर से दुत्कार दिया गया,
और मेरे घर में मेरी गुड़िया भूखी ही सो गई।
मजदूरी का काम भी कहाॅं रोज़ मिलता है साहेब,
भूखे पेट काम करते-करते न जानें कितनी दफा़ मेरी पत्नी मूर्छित हो गई।
देखता हूॅं बड़े लोगों को करते हुए खानें की बरबादी,
तो सोचता हूॅं,सबके लिए क्यूॅं बराबर नहीं आई आजादी।
सुना है देश तरक्की कर रहा है,
मुझे क्या,मैं और मेरा परिवार निवाले के लिए मर रहा है।
सुना है मुखिया गरीबों के लिए राशन की व्यवस्था कर रहा है,
यहाॅं तो सब सभ्य हैं,मेरे जर्जर कपड़े देखकर मुझे,
हर कोई बाहर कर रहा है।
ऐ पापी पेट सत्यानाश हो तेरा,
तू मुझे कितना अपमानित कर रहा है
आप सभी से सनम्र अनुरोध है,खानें की बर्बादी से बचें।भारत भुखमरी सूची में कितनी तरक्की कर रहा है ये सर्वविदित है।
आपका अधिक हुआ निवाला किसी के चेहरे की मुस्कान बन सकता है।