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DEEPAK BANSAL

Abstract

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DEEPAK BANSAL

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भूख गरीबी

भूख गरीबी

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यह कहानी कल्पनाओं पर आधारित नहीं है। यह एक सच्ची कहानी है। जो हम लोगो ने कभी ना कभी देखी या महसूस की होगी परी हम भूल जाते है। तो चलिए कहानी पर आते है। वैसे तो आज के दिन में कोई खास बात नहीं थी।

और वीकेंड्स की तरह ये भी वैसा ही था जैसा की हर बार होता है।

वीकेंड पे दोस्तो के साथ घूमना फिर खाने के लिए बाहर जाना।

इस वीकेंड भी वही प्लान था।

तो आते है इस सनीवार पर

मैं अपने दो मित्रो के साथ रितेश और श्रवण ( काल्पनिक नाम) के साथ अपनी कार में घूमने निकला दिन भर की मस्ती के बाद हम लोग खाना खाने एक अच्छे से रेस्टोरेंट में गए जैसा की हर बार करते थे।

हमने अपना पसंदीदा खाना ऑर्डर किया और बाते करते करते खाने लगे

इसी तरह बाते करते करते कुछ ही समय हम लोग खाना समाप्त कर चुके थे ।

हमने बिल के लिए कहा और कुछ ही पल में बिल हमारी टेबल पे था । मैने बिल चुकाया और हम घर के लिए निकलने के लिए कार पार्किंग की तरफ गए जैसा की हमेशा होता है। कार पार्किंग से सट कर ही एक जगह थी जहां रेस्टोरेंट वाले अपना झूठा खाना फेकते थे। जिस पर हमारा कभी ध्यान नहीं जाता था। और ना ही आज जाता अगर हम व्हा उस बच्ची को नहीं देखते। जो बच्ची व्हा फेका गया झूठा खाना जो कचरे में मिल चुका था ।उसमे से चुन चुन कर वो खाना खा रही थी। जो अब कचरा बन चुका था। वो इतनी भूखी थी कि पतले भी चाट रही थी। ये देखकर मेरा दिल पसीज गया।

मैने उस बच्ची को कहा ये तुम क्या कर रही हो ये खाना खाने लायक नहीं है।

पर उस बच्ची के मासूम सवाल ने मेरी बोलती बन्द कर दी। साहेब दो दिन से कुछ नहीं खाया मैने,

उसकी बात सुन कर में स्तब्ध रह गया और सोचने लगा अभी कितना भोजन मैने टेबल पे छोड़ा अगर इस बच्ची को दिया होता तो इसे ऐसे ना खाना पड़ता । उस दिन तो मैने उस बच्ची को खाना खरीद के खिलाया । पर उसी समय संकल्प लिया ।

की जरूरत से ज्यादा भोजन नही लुगा और जितना छोडता था कम से कम उतना तो में भूखे बच्चो के लिए लुगा।

और अगर हम सभी ये संकल्प ले तो ना तो भोजन बर्बाद होगा। ना ही हमारे देश में कोई भूखा रहेगा।


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