DEEPAK BANSAL

Drama

5.0  

DEEPAK BANSAL

Drama

गरीब बच्चे की हंसी

गरीब बच्चे की हंसी

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बहुत दिनों से परेशान था, परिवार की समस्याओं में जैसे उलझ सा गया था!

 पैसों की कमी अखरने लगी थी! लग रहा था जैसे जीवन में कुछ नहीं बचा, मैं अब मन चाही जगह घूम नहीं पा रहा था!


पत्नी विदेश घूमने की बात कर रही थी और में सिर्फ उसे देश घुमा सकता था! मां पिताजी बीमार थे और व्यापार भी मेरी जरूरत के हिसाब से ठीक नहीं चल रहा था! रोज गुस्सा करना आदत सी बन गई थी! 

इसी गुस्से में एक दिन मैं अपनी कार से घर से निकला । कुछ दूरी पर पहुंचा तो सिग्नल आया । तब मैंने अपनी कार रोकी । अभी भी मेरे दिमाग़ में ख़यालो का पुलिंदा बनता जा रहा था! और मैं भगवान को कोस रहा था, की क्यों ये मेरे साथ ही क्यों हो रहा है!


तभी कार के कांच पर एक 4 -5 साल के बच्चे ने दस्तक दी । उसकी दस्तक से मुझे लगा जैसे मैं गहरी नींद से जागा! उस बच्चे ने मासूम निग़ाहों से मुझसे खाने को कुछ मांगा । मैं कुछ समय तक उसकी तरफ ताकता रहा ! 


फिर अपनी कार की पिछली सीट पर झाँका तो पाया वहां चिप्स के दो पैकेट पड़े है, जो कल रात मैंने खरीदे थे, पर किसी कारण खा नहीं पाया था! मुझे उन पैकेटों में किसी तरह की कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि वो मेरे लिए कोई बड़ी चीज नहीं थे!


मैने वहीं पैकेट उस बच्चे की तरफ बढ़ाये और वो उसने बिजली की रफ्तार से मुझसे ले लिए । उसकी आंखो में अलग चमक थी ! जैसे ना जाने उसे कौन सा खजाना मिल गया हो । वहीं पास में कुछ बच्चे जो शायद उसके भाई बहन थे या मित्र थे वो भी उसके पास आ गए ।उसने वो पैकेट सबको बाँट के खाया ! उसके चहरे पे एक अथाह खुसी का सागर था जिसे देख मैं सोच में पड़ गया, की जो चीज मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती वो किसी को इतनी खुशी दे सकती है, मुझे ईश्वर ने इससे कहीं ज्यादा दिया है!


आज मैं अपनी सारी परेशानी भूल चुका था और एक अथाह खुशी महसूस कर रहा था! आज मैने ईश्वर को धन्यवाद दिया और खुशी खुशी घर लौट आया!


उसके चहरे पर एक ख़ुशी की लहर दौड़ गयी जिसे देखकर मैं सोच में पड़ गया। जो चीज़ मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती थी वह किसी और को इतनी खुशी दे सकती है। मुझे ईश्वर ने तो इससे कहीं ज्यादा दिया है! आज मैं अपनी सारी परेशानी भूल चुका था और एक अथाह खुशी महसूस कर रहा था! आज मैने ईश्वर को धन्यवाद दिया और खुशी खुशी घर लौट आया!


उस बच्चे की हंसी ने मुझे समझाया कि इंसान हर परिस्थिति में खुश रह सकता है, बस जरूरत है अपनी सोच बदलने की ! कभी- कभी हम वास्तविकता से परे जाकर खुद की समस्याओं को ज़रूरत से ज़्यादा महत्त्व देने की भूल कर बैठते हैं। 


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