हरि शंकर गोयल

Horror

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हरि शंकर गोयल

Horror

भुतहा मकान ,भाग 1

भुतहा मकान ,भाग 1

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राजन का स्थानांतरण रामनगर में हो गया था । बड़ी समस्या थी कि राजन अपने परिवार को रामनगर शिफ्ट नहीं कर सकता था क्योंकि उसके बच्चे बोर्ड की परीक्षा दे रहे थे । इसलिये उन्हें डिस्टर्ब करना ठीक नहीं था । राजन की पत्नी सुनंदा बच्चों को छोड़कर राजन के साथ जा नहीं सकती थी । इसलिए राजन को अकेले ही रामनगर जाना पड़ रहा था । 


रामनगर में अब राजन को अपने लिए एक आशियाने की तलाश करनी थी ।रामनगर में मकानों का किराया बहुत ज्यादा था । राजन के लिए दो दो मकान अफोर्ड करना भारी पड़ रहा था लेकिन मजबूरी थी । राजन ने एक "टु लेट सर्विस" की सेवाएं ली । उसने राजन को बहुत से मकान दिखाए । मगर किसी में कोई सुविधा नहीं थी तो किसी में प्रॉपर वैन्टिलेशन नहीं था । जिसमें सब कुछ ठीक था उसका किराया बहुत ज्यादा था जिसे राजन अफोर्ड नहीं कर सकता था । बड़ी समस्या हो गई थी राजन के लिए । लगभग दस दिन हो गये थे मकान ढूंढते ढूंढते , मगर अभी तक कोई मकान फाइनल नहीं हो पाया था । दस दिनों से वह एक होटल में ठहरा हुआ था । उसका किराया और खाने पीने का खर्च भी बहुत ज्यादा था । राजन को जल्दी से मकान के बारे में कोई निर्णय करना था मगर वह कर नहीं पा रहा था । 

"टु लेट सर्विसेज" वाला बंदा भी कम नहीं था । दसियों मकान दिखा दिए थे उसने राजन को, मगर बात बनी नहीं । अचानक उसने कहा "एक मकान और है मगर ...." 

"मगर क्या" ? 

उसने थोड़ी देर सोचकर कहा "नहीं सर , वह जमेगा नहीं । उसे रहने दो" 

"क्यों , क्या कमी है उसमें" ? 

"अरे सर रहने देते हैं उसे । कोई दूसरा देखते हैं । दरअसल वह आपके मतलब का नहीं है" 

"ऐसा क्या है उसमें जो हमारे काम का नहीं है" ? 

"सर, वह मकान पिछले दो साल से बंद पड़ा है । लोग कहते हैं कि कोई "आत्मा" रहती है उस मकान में । इसलिए कोई जाना पसंद नहीं करता है उस मकान में । वैसे उसका किराया बहुत ही रीजनेबल है । मगर ऐसा "भूतिया" मकान लेकर क्या करना ? कल को अगर आपको कुछ हो गया तो आपके परिवार का क्या होगा" ? 

राजन भूत प्रेतों में विश्वास नहीं करता था । उसे यहां पर रहना भी अकेला ही था इसलिए डरने की कोई बात नहीं थी । उसके मन में थोड़ी जिज्ञासा उत्पन्न हो गई कि एक बार चलकर वह मकान देख तो लिया जाये । यदि पसंद आ गया तो बाद में सोचेंगे । राजन ने कहा "एक बार तो देखते हैं उसे , यदि पसंद आ गया तो फिर सोचेंगे" । 

टु लेट सर्विसेज वाले ने मकान मालिक से बात की । उसने कहा कि मकान की चाबी पड़ोसी संजय जी के पास में है, वहां से ले लेना । दोनों व्यक्ति मकान पर पहुंच गए । मकान के बांयें ओर संजय जी का मकान था । दरवाजा संजय जी की पत्नी नीलू ने खोला । अंदर बैठाते हुए कहने लगीं "अच्छा होगा अगर इस "भुतहा मकान" में कोई आकर रहने लग जाये । हमें भी एक पडौसी मिल जाएगा और हमारा डर भी कम हो जाएगा " । 

नीलू जी की बात पर राजन मुस्कुरा कर रह गया । मकान अच्छा था । खोला तो राजन ने देखा कि उसमें इतनी गंदगी नहीं थी जितनी उसने सोची थी । मकान दो साल से बंद बताया था मगर देखने में ऐसा नहीं लगता था कि वह दो साल से बंद है । 

"लगता है कि आत्मा को सफाई पसंद है , तभी तो इतना गंदा नजर नहीं आ रहा है यह मकान" ? राजन ने व्यंग्यात्मक हंसी के साथ कहा 

राजन की बात पर टु लेट सर्विसेज वाला भी मुस्कुराए बिना रह नहीं सका । 

राजन को मकान पसंद आ गया । किराया भी बहुत रीजनेबल था । राजन ने उसे पक्का कर दिया । बजरंग बली का नाम लेकर मन ही मन उन्हें प्रणाम किया और सोचा कि रोज सुबह शाम वह "हनुमान चालीसा" का पाठ करेगा तो भूत पिशाच निकट नहीं आयेंगे । टु लेट सर्विसेज वाले ने कह दिया कि वह आज इसकी साफ सफाई करवा देगा । कल शिफ्ट हुआ जा सकता है । 

राजन अगले दिन उस मकान में शिफ्ट हो गया । वह एक बजरंग बली की मूर्ति बाजार से ले आया और उसे लिविंग रूम में स्थापित कर दिया । उसका अधिकांश समय लिविंग रूम में ही गुजरने वाला था इसलिए उसने बजरंग बली को वहां स्थापित किया । दो एक दिन में उसका सामान आ गया और अब वह विधिवत ढंग से उसमें रहने लगा । 

राजन की सोच प्रगतिशील थी । वह पड़ौसियों से मेलजोल बनाकर चलने वाला आदमी था । उसने सबसे पहले संजय जी से मुलाकात का प्लान किया । शाम को ऑफिस से आते ही वह संजय जी के मकान पर आ गया । संजय जी नहीं थे मगर उनकी पत्नी नीलू जी ने उनकी आवभगत करते हुए कहा "अब हमें राहत मिल जाएगी" 

"किससे" राजन ने पूछ लिया 

"निसंदेह भूत से । और किससे" ? 

"वह कैसे" ? 

"अब आप जो आ गये हो इस मकान में । अब तो भूत आप में व्यस्त हो जाएगा न" नीलू जी ने हंसते हुए कहा । "हम तो पड़ौसी हैं । आपसे फ्री होगा तभी तो पड़ौसियों को पकड़ेगा" । 

बात थोड़ी कड़वी थी मगर सत्य थी । राजन मुस्कुरा कर रह गया । इतने में नीलू जी की बेटी रमा चाय बनाकर ले आई । रमा 25-26 साल की एक ऐसी युवती थी जिस पर भगवान ने रंग रूप मुक्त हस्त से लुटाया था । उसे देखते ही हर कोई उसका दीवाना हो जाए । चाय की ट्रे रखकर वह भी वहीं पर बैठ गई । वह कोई जॉब करती थी । रमा और नीलू "भूत" के किस्से सुनाने लग गईं कि कैसे कैसे कारनामे करता है यह भूत । उन्होंने तो कई बार देखा बताया उसे । रात को करीब बारह बजे जगता बताया वह भूत । उसके बाद वह अंदर ही अंदर चहल कदमी करता है । उसकी पदचाप संजय जी के मकान में भी सुनाई देती हैं । रमा और नीलू जी ने कई बार सुनी हैं वे पदचाप । एक बार तो उन्होंने अपने मोबाइल में पदचाप की आवाज को रिकॉर्ड भी कर लिया था । नीलू जी ने वह रिकॉर्डिंग राजन को भी सुनाई । उस रिकॉर्डिंग को सुनकर राजन भी दंग रह गया था । अब तक वह भूत प्रेत की बात को किसी की शरारत समझ रहा था , मगर जब उसने पदचाप की आवाजों की रिकॉर्डिंग सुनी थी , उसका विश्वास भी हिल गया था । 

शेष अगले अंक में 



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