rekha karri

Inspirational

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बहुएँ नहीं बेटियाँ हैं

बहुएँ नहीं बेटियाँ हैं

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सूर्य प्रकाश जी रेलवे में मेल गार्ड थे। उनके चार लड़के और चार लड़कियाँ थीं। पत्नी विशाला ने घर को बाँधकर रखा था। वह बहुत ही बड़े घर में दस भाई बहनों में सबसे छोटी लाड़ली थी। यहाँ उन्हें तकलीफ़ तो ज़रूर होती थी क्योंकि सूर्य प्रकाश जी का परिवार छोटा था वे दो भाई एक बहन थी। सूर्य प्रकाश जी ने विशाला को बहुत प्यार दिया। सूर्य प्रकाश जी अपने परिवार के साथ रेलवे क्वार्टर में रहते थे। उनके आठ बच्चे थे घर पर भी किसी न किसी रिश्तेदार का आना जाना लगा रहता था। अपने ज़माने में उन्होंने पैसा उतना नहीं कमाया जितना कि नाम कमाया था। बड़ा बेटा सरकारी नौकरी करता था उसके लिए कम पढ़ी लिखी पर संस्कारी संयुक्त परिवार से लड़की लाए जिसका नाम सुशीला था। अंत तक उसने अपनी बड़ी बहू होने का फ़र्ज़ निभाया था।


विशाला की एक आदत थी बड़ी लड़की सुशीला का ब्याह किया और वह ससुराल चली गई थी तो उसका नाम बड़ी बहू को दिया सुशीला। वैसे ही दूसरी मीना तीसरी श्यामा और चौथी शारदा। सब हँसते थे कि बेटी और बहू का नाम एक ही है। वे कहती थी कि मेरे लिए मेरी बहुएँ ही मेरी बेटियाँ हैं। चारों बेटियों के नाम चारों बहुओं को दे दिया। बहुएँ भी बेटियों से भी बढ़कर थीं। त्योहार के समय साड़ियों को मँगाया जाता था तब वे बहुओं से कहतीं थीं कि आप लोग चुन लीजिए फिर बेटियाँ चुनेंगी। पर बहुएँ कहतीं थीं कि सब मिलकर चुनेंगे। इसके कारण आठों मिलकर अपने अपने लिए साड़ियाँ चुनतीं थी।

सरकारी नौकरियों के कारण चारों बेटों को अलग अलग शहरों में जाना पड़ा। कुछ साल रहने के बाद सारे भाई फिर से एक ही जगह आकर रहने लगे। अलग अलग घरों में रहते जरूर थे पर तीज त्योहार बड़े भाई के घर में मनाते थे। सूर्य प्रकाश जी और विशाला अपने बच्चों के लिए आदर्श माता-पिता थे। उनके रहते कोई भी काम करना हो भाई उनसे पूछा करते थे। उस समय की बातें हैं जिन्हें बीते सालों हो गए। अब सब बड़े स्वर्ग सिधार गए थे पर वे दोनों लोगों के लिए एक मिसाल क़ायम करके गए हैं।

विशाला हमेशा कहतीं थीं कि सुख दुख में अपने ही काम आते हैं। बड़े बेटे से कहती थी कि सबको लेकर चलो बेटा। उन्होंने माता-पिता की बात सुनी दूसरे भाई भी उन्हीं के नक़्शेक़दम पर चलते रहे। आज उनके बच्चे भी दादा दादी के अरमानों को पूरा कर रहे हैं। संयुक्त परिवार में ख़ुशियाँ भी होती हैं और थोड़े प्राब्लम भी पर एडजस्ट करें तो ज़िंदगी गुलज़ार बन जाती है।



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