बहारें फिर भी आएंगी!

बहारें फिर भी आएंगी!

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आज एक हफ्ते बाद कस्बे में कर्फ्यू खुला। 1 हफ्ते से सूनी पड़ी सड़कें व चौराहे फिर से लोगों की बातों व बच्चों की हँसी ठिठोली से गुलजार हो गये।दहशतगर्दों के मंसूबों को धता बताते हुए जनजीवन पटरी पर लौट आया था। कुलदीप की दुकान का फर्नीचर जो दंगों में जल गया था। उसे आशिफ कारपेंटर सही करने में लगा था।


वही सरजू दूधवाला, असलम को दूध देते हुए कई दिनों की बातें जो इकट्ठा हो गई थी। उससे बड़ी तन्मयता से बतलाने में लगा था। सब्जी खरीदते हुए जब सलमा ने सुशीला को बेगम बानो के माँ बनने की खबर दी तो वह भी खुश होते हुए उससे मिलने चल पड़ी। 

दोनों ही समुदाय के बच्चे भाईचारे व अमन का पैगाम देते हुए जीवन चाचा की वैन में बैठ देश के भविष्य को संवारने के लिए स्कूल के लिए चल दिए। 

पास से गुजर रही कार से गाने की कुछ पंक्तियां कानों में पड़ी

बदल जाए अगर-------बहारें फिर भी आएंगी। बहारें फिर भी आएंगी। 

सुन लोगों के चेहरे पर मुस्कान छा गई। जैसे यह पंक्तियां उनके मन के भाव व्यक्त कर रही हो।

उद्देश्य- मेरी कहानी का उद्देश्य अमन शांति का संदेश देना है



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