भाग्य कुंडली विधाता
भाग्य कुंडली विधाता


देश-विदेशों में काफी प्रसिद्ध जाने-माने गुणी तथा विद्वान पंडित रामशंकर मिश्रा के घर में कोहराम मचा था। भीड़ का जन सैलाब उमड़ा हुआ था। रात को उनका जवान बेटा महेश सड़क दुर्घटना में चल बसा। पिछले साल ही शादी हुई थी, पत्नी सात माह के गर्भ से है---। जैसे ही सुना शोक संतप्त हड़बड़ी में पंडित जी के घर की तरफ भागा। स्कूटर रोक कर घर में प्रवेश करने लगा-- घर के बाहर लगा हुआ बड़ा सा बोर्ड ----यहाँ पर भाग्य कुंडलियाँ बनाई जाती हैं, नौकरी नहीं मिल रही, जिंदगी में कोई काम नहीं बन रहा, कामयाबी मिलते-मिलते चूक गई, ग्रह क्लेश से परेशान तथा संतानहीन---। यहाँ पर सभी प्रकार की समस्याओं का निदान चुटकी में केवल आसान उपायों द्वारा किया जाता हैं।
आप केवल एक बार मौका देकर तो देखो--- बुलंदियाँ आपके कदमों को चूमेगी--- । यहाँ पर भाग्य के सितारे बदले जाते हैं का बोर्ड चिढ़ा रहा था। हृदय विदारक चित्कार से रोते बिलखते परिजन---अर्थी को कंधा देते--- राम नाम सत्य हैं--- अंतिम मंजिल की तरफ चल पड़े। तभी भीड़ में खुसर-फुसर शुरू हो जाती हैं। पंडित जी तो दुनिया का भाग्य लिखते हैं--- अपने ही पुत्र का नहीं लिख पाए---। सबकी बातों को काटते उनके घनिष्ठ मित्र रमाकांत, पंडित जी तो पहले से ही पता था कि उनका पुत्र अल्पायु है। फिर दुनिया की भाग्य कुंडलियों को उपायों से बदलने वाले ने, अपने पुत्र की कुंडली क्यों नहीं बदली----? का शोर करूणा विदारक रूदन और राम नाम सत्य में दब जाता हैं।