बेमिसाल !

बेमिसाल !

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पेड़-पौधों फलों-फूलों से लदे - फंदे बगीचे में बच्चों - बूढ़ों और जवानों का मानो मेला लग रहा था रंग-बिरंगे पक्षी चहचहा रहे थे चारों तरफ खुशहाली और ताजगी भरा माहौल था ! घने हरियाले पेड़ के नीचे पड़ी बेंच पर एक युवा जोड़ा बैठा था उन्हें देखकर लगता था वे दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं ! लड़का लड़की को कभी अपनी बाहों में भरता कभी उसके बालों को सहलाता कभी चेहरे पर गिरती लट को हटाता पर लट थी कि बार-बार आकर उसके चेहरे पर ही गिरती ! कभी उसे अपने पास सटा लेता और लड़की भी उसे झूठ-मूठ का परे हटाने की कोशिश करती ! उसी पेड़ पर बैठे तोता-तोती बड़ी मस्ती में डूबे इन सबका नजारा देख रहे थे खुश हो रहे थे ! अचानक तोती बोली - ए जी ये जो हमारे महल के नीचे बैठे हैं कितना प्यार करते हैं एक-दूसरे को ! क्या आप भी मुझे ऐसे ही प्यार करते हैं ?

नहीं ऐसे नहीं !

क्या ?

हां ऐसे तो नहीं  बिल्कुल ही नहीं !

फिर ?

फिर क्या तुम्हारा यह अनिवर्चनीय सौंदर्य ताजगी भरा हरा रंग वो कंठहार और तुम्हारे ये सुर्ख लब झिलमिलाते सुंदर पंख इन सबको बड़ी हसरत से निहारता रहता हूं ! तुम्हारे हुस्न की दास्तान पत्ते-पत्ते पर लिखता रहता हूं एक बार अपनी नशीली निगाहों से इन्हें देखो तो सही निहाल हो जाएगी मेरी मुहब्बत !देखो ये सभी बल्कि पूरी कायनात ही तुम्हें निहारते-निहारते नहीं थकती ! यह अद्भुत और विशाल सौंदर्य कुदरत ने दिल खोलकर दिया है तुम्हें ! मेरी जान  तुम्हारी ये मोहक भाव-भंगिमाएं नखरीली अदाएं सीधी मेरे दिल में उतरती है ! तुम्हें शिद्दत से अपने भीतर की गहराइयों में महसूस करता हूं ! मैं कितना खुशनसीब हूं जो तुम मिली ऊपर वाले का करम है मुझपर ! 

अब कहां तक तुम्हारे हुस्न से लबालब शबाब की तारीफ़ करूं मुझमें वो सामर्थ्य ही नहीं है बस इतना ही कह सकता हूं - जितना तुम्हारा हुस्न बेमिसाल है उससे भी कहीं बेहद बेमिसाल है मेरी मुहब्बत ! अब भला तुम्हें देखने से फुर्सत मिले तो मगर तुझसे नज़र ही नहीं हटती ! 

तोती प्रेम के अतिरेक में आकंठ डूबी अपने प्रियतम के होठों पर अपने होठ रख देती है और प्रियतम भी उसे अपने पंखों में समेट लेता है दोनों एक-दूसरे में खो जाते हैं !


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