STORYMIRROR

बेड़ियाँ

बेड़ियाँ

1 min
15.8K


''बहु कल गणतंत्र दिवस है बच्चों को जरा ठीक से तैयार कर स्कूल भेजना ।'' फूलवती ने चश्में पर चढ़ी धूल को पोछते हुए बहु साक्षी को सख्त हिदायत देते हुए कहा।

''जी माँ जी।''

''लेकिन दादी, माँ तो हमको रोज़ ही अच्छे से तैयार करके भेजती है ।'' पोते निशान्त ने मासूमियत से कहा।

''हाँ --हाँ भेजती है --भेजती है परंतु कल बहुत साफ़ होकर जाना।''

''जी दादी।''

''बहु आज फिर तुमने दाल में नमक ज्यादा कर दिया था। थोड़ा ध्यान रखा करो ।''

''जी माँ जी।'''

''पूरा दिन इस जरा से काम में निकाल देती हो। हम तो इतना काम करते थे फिर भी थकते नहीं थे। आजकल जितनी सुवधायैं बढ़ी हैं, उतने ही चाँचले बहुओं के।'' फूलवती ने मुँह बनाते हुए कहा।

''माँ हमारा देश कब आजाद हुआ ?''बेटे नलिन ने साक्षी से पूँछा ।

''15 अगस्त 1947 को !''

'''देश को आजाद हुए इतने साल हो गये भैया और मम्मी अभी तक नहीं हुई अभी भी दादी की कैद में है, है न !''बेटी निम्मो ने हँसते हुए कहा ।

बच्चों की बात सुन साक्षी को आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि उन्होने बिल्कुल सच कहा था आज भी देश के आजाद होने के बावजूद भी हमारी भारतीय नारियाँ मानसिक रूप से आजाद नहीं हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational