Sangeeta Agrawal

Drama

4  

Sangeeta Agrawal

Drama

बचपन

बचपन

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दोपहर की चिलचिलाती धूप में बाहर सड़क पर सन्नाटा पसरा हुआ है सभी दुकानों पर आधे शटर डल चुके हैं मां ने छज्जे की खसखस की लगी सभी चिकें खोल दी 'गुड्डन' मेरे कानों में मां की आवाज आई ,जरा चिकों में पानी डाल दे मैं अपने छोटे से टेपरिकार्ड पर अमर अकबर ऐंथोनी की कैसिट लगा कर गाने सुनते हुए अपनी सबसे छोटी बहिन का प्रोजेक्ट तैयार कर रही थी 'आई मां' उठ कर चौंक में गई बाल्टी उठा कर नल के नीचे लगा दी। हम पांच बहनें हैं मैं सबसे बड़ी फिर दो जुड़वा शीला और वीना उनसे छोटी यानी की चौथे नंबर की नीता और सबसे छोटी और मेरी सबसे लाड़ली बहन किट्टी वैसे उसका नाम किरण है पर हम सब प्यार से किट्टी कहते हैं।

बाल्टी उठा छज्जे में गई 'किट्टी' जरा चौंकी लेकर आ ,पूराने मकानों में छज्जों की ऊंचाई ज्यादा होती थी चौंकी पर चड़ चिकों पर पानी डालने लगी छज्जा घुमावदार दस खिड़कियों वाला है, मुझे कम से कम पांच बार बाल्टी भर कर लानी पड़ती है, चलो पानी डालने का काम तो पूरा हुआ, जीजी  मेरा जल्दी से प्रोजेक्ट पूरा करवा दो मैं जानती थी कि इसे खेलने जाने की जल्दी हो रही है मां सो चुकी थी जल्दी से मैंने प्रोजेक्ट का काम निपटाया।चलो हम सब बहनें मिलकर सिनेमा सिनेमा खेलते हैं मैं हिरोइन बनूंगी तुम सब दर्शक बनना वीना का फटाफट मुंह बन गया बस जीजी ही हर वक्त हिरोइन बन जाती है मुझे भी बनना है मुझे मालूम है वह मानेगी नहींं चल तू जलालआगा बन कर बाजा बजाने की ऐक्टिंग करना मैं हैलन बन कर महबूबा महबूबा पर डांस करुंगी नीता को टिकट बेचने वाला बना दिया शीला और किट्टी दर्शक बन गए, महबूबा महबूबा गाना गलत सलत गाते हुए मैं हैलन की तरह डांस करने लगी मुझे हैलन का डांस बहुत पसंद है उनके डांस की नकल मारने की  कोशिश करती रहती हूँ जैसे ही डांस खत्म हुआ सब बहनों ने ताली बजायी ऐसा करने को मेने पहले ही बहिनों को बोल दिया था।

यह क्या शोर मचा रखा है मां की आवाज आई मां की हमारे शोर से आँख खुल गई थी  हम सब बहनें मां की डांट से बचने के लिए बाबाजी के कमरे की तरफ भागीं क्योकि मां बाबाजी  (दादाजी )से बहुत डरती हैं वह उनके कमरे में सिर्फ चाय खाना देने के लिए ही आतीं जब भी मां डांटती या चिमटा लेकर मारने के लिए दोड़ती हम सब बाबाजी के कमरे में छुप जाते यह बात बाबाजी भी जानते थे कभी-कभी तो मां के साथ अगर पिताजी ने भी डांट दिया तो हम सब बहनें सुबकते हुए घर छोड़ कर जाने का मन बना लेते बराबर प्लान बनता कि घर छोड़ने के बाद कौन क्या करेगा मैं शीला और वीना कमाने जाऐंगे अपनी दोनो छोटी बहनों को पड़ाऐंगे लगता है फिल्मों का असर कुछ ज्यादा ही पड़ गया था हम बहिनों पर।

ऐसा कुछ नहीं हुआ, समय निकलता गया कब हम सब बड़े हो गए पता ही नहीं चला कब बचपन की शरारतों की जगह रंगीन सपनों ने ले ली एक एक करके हम सब का विवाह हो गया हम सब अपनी-अपनी गृहस्थी बसाने में व्यस्त हो गए बचपन कहीं पीछे छुट गया और पीछे छुट गए बूढ़े मां बाप।


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