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yash yadwanshi

Abstract

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yash yadwanshi

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बारिश - एक नयी शुरुआत

बारिश - एक नयी शुरुआत

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आकाश में कुछ पंछी को अपनी डगर जाते हुए देख कर। 

मन्न में बहोत से सवालों को कहर टूट रहा था। 

कुछ चन्न सिक्कों की चमक ने परिवार ओर मैं अपने गाँव को कही दूर छोड़कर इस इस शहर में चला आया।

हाँ... इस भीड़ वाले शहर में, अपने सपनों के लिए मैं सबको कही दूर छोड़ आया था... शोर होती गाड़िया, ऊँची ईमारते, लम्बी सड़के... नजाने क्या क्या था यंहा... पहली बार जब आया यंहा की हर चीज से प्यार होगया था..।

मगर नजाने क्यूँ आज खामोश था, मन्न विचलित हुए जा रहा था तभी... अचानक वोह मेरे पास आया...। 

मैं बस उसपर नजरें टिका कर देखता रहा, कुछ देर तक वोह भी मुझे देखता रहा.. मानो बहोत सी बातों से अनजान था वोह..। मगर अपनी ही धुन में था वो 

तभी एक शोर हुआ मानो किसी तूफ़ान की इशारा था आकाश में सभी पंछी अपनी दिशाओ से वंचित होने लगे

काफी मशयेकद करने के बाद भी अपनी दिशाओ की ओर उड़ नहीं पा रहे थे, लाख कोशिसे करने बाद थक हारकर पंछी पेड़ो पर छुप गए और ये दृश्य मैं अपनी आँखों से सिर्फ 

देख रहा था, आकाश में चारो ओर घने बादल मंहडराने लगे 

आकाश में बिजली कड़कड़ाने लगी, चारो ओर सिर्फ अंधकार छाने लगा.. 

थोड़ी ही देर बाद कुछ बूंदे मेरी चेहरे को छूने लगी, साथ ही सामने वाले सख्श पर उन बूंदो का स्पर्श होने लगा, 

 बरसात के कारण सब कुछ रुक सा गया था मानो कुछ समय कुछ देर के लिए ठहर गया हो.. 

आशमा देखकर ये अंदाजा होने के साथ साथ 

मैं परेशान होने लगा था इस होती बारिस को देखकर, जहाँ जाना है शायद आज वक़्त पर नहीं पहुंच पाउँगा.. 

आज फिर से उन शब्दो को सुनना होगा जिन्हे मैं सुनना नही चाहता ये मैं सोच ही रहा था की 

वोह मेरे करीब आ कर वापिस बारिश की ओर 

चला गया और भीगने लगा.. 

ऐसा लग रहा था की उसने वर्षो से इस बारिश का इंतजार किया हो ! और इस बारिस ने

आकर उसके इंतजार को खत्म कर दिया हो, 

अपने आपको वो इस कदर भिगो रहा था, जैसे इस दुनिया ने बहोत से ज़ख्म दिए हो, और ये बारिश की बूंदे उसे भीगो ते वक़्त ज़ख्मो पर किसी मरहम का काम कर रही हो.. 

ये देख कर मैं हैरान था लोगो को क्यूँ बारिश

का मौसम पसंदीदा होता है ऐसा क्या है?? इन बारिशो में जो ओर कही नहीं मिलता.. 

बारिश हर बार होने वाले काम खराब करती है

 सब कुछ रुक जाता है कुछ मुसाफिर अपनी मंजिलो को नहीं पहुंच पाते.. 

और आज जो ये पंछी अपने डगर के लिए लोट रहे थे,

मगर इस बारिश ने उनकी पहुचे की उमीदें ही खत्म कर दिया होगा.. 

 हाँ... . मुझे हमेशा से ही बारिश से कोई खाश लगाव नहीं है..। मुझे याद है आज भी जब बारिश के आने से हर खेल को खत्म कर दिया जाता था.. !!

Part -4

बारिश के आने से लोगो के चेहरे पर खुशियाँ 

आ जाती मगर मैं मायूस हो कर अपने घर के अंदर दाखिल होता था, बारिश होने पर सभी बच्चे व ता उम्र के लोग बारिश में भीगकर बारिश का मजा लेते, 

और मैं सिर्फ उन्हे देखता रहता... बहोत सी शिकायते थी मुझे बारिशो से, और अब भी है.. !!

बारिशो ने हमेशा ही मुझे मेरी औक़ात से समाना कराया है, 

मैं डरता था बारिश में भीगने से भी, कही एक बारिश की बूँद मेरे पर पड़ी तो शायद मुझे जला देंगी.. 

हाँ डरता था कही इस बारिश की वजह से, मैं भी अपने पापा की तरह कही दूर ना चला जाऊं, 

 लेकिन आज कुछ अलग था उसको यूँ देखकर 

सभी बातें याद तो आ रही थी, मगर जो बारिश से शिकायत है वो धुन्धली होने लगी थी..

कुछ सोच ही रहा था अचानक वो बारिश में भीगते हुए मेरे पास आया और जूतों को अपनी जीभ से चाटने लगा.. 

मानो वोह मुझसे अपनी गुहार कर रहा हो.. और कह रहा की तुम क्यू अकेले इस बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार कर रहे हो.. जो वक़्त है हमारे पास उसे जी लेना चाइये.. 

 वो बड़ी ही मासूमियत से मेरी पेंट को खींचने लगा, 

और मैं उसे डाटने की बजाय मैं चुपचाप बसस्टैंड से बाहर आया और बारिश मैं भीगने लगा.. 

बारिश की बूँद मेरे चेहरे पर पड़ते ही ये एहसास हुआ वाकई ये बूंदे किसी गहरे जख्म पर मरहम होती है... 

मैं आँख बंदकरके आकाश की ओर देखने लगा.. एक एक बूँद आज मेरे बरसों से जो जहन में शिकायते चल रही थी, वो आज बूँद बूँद की तरह पिघल कर गिर रही थी.. 

आज इस छोटे से puppy ने मुझे बताया.. बीते हुए बुरे पल में जीना हमारी सबसे बड़ी बेवकूफी होती है.. 

नजाने गलतियां किसी ओर की होती हैं ओर कसूरवार हम सबको ठहराने लगते हैं.. 

मुझे आज इस बारिश मे उसके साथ भीगते हुए मालूम हुआ की बारिश से तो कभी मेरी दुश्मनी ही नहीं थी. मैं ही अपने ख्याल बुरे वक़्त को लेकर कसूरवार इसी बारिश को बना रहा था, गलतियां तो शायद मेरे पापा की भी नहीं थी.. 

जो इसी बारिश में मुझे और मेरी माँ को अकेला छोड़ कर 

कही चले गए थें.. 

बारिश ने तो अपना उस वक़्त काम किया था जो शायद उस वक़्त मैं भी नहीं कर पाता बारिसों ने तो मेरी माँ के आशुओ को छुपाया होगा ... 

जो मेरे पापा के चले जाने पर मेरी माँ की आँखों से निकले थे... 

और मैं हर वक़्त बारिश से नफरते करता रहा, इससे दूर भागता रहा, आज ये नहीं होता तो कभी मैं बारिश से मोहब्बत नहीं कर पाता, आज इसने सीखाया मुझे हर कोई एक मुसाफिर होता हैं.. जो डगर ड़गर भटकता रहता हैं 

अपने दुखद पलों के साथ, कभी नौकरी के पीछे, कामयाबी के पीछे, मगर वही दुख़द पल हमारी ख़ुशी और कामयाबी को छीन लेता हैं... 

हम अपने बुरे वक़्त को याद कर करके आज के वक़्त को गवा देते हैं हम कभी ये सोचते ही नहीं बुरा वक़्त हैं तो अच्छा भी आएगा.. 

जैसे बारिश खत्म होने होने के बाद ये आकाश बिलकुल साफ हो गया हैं , सभी पंछी अपनी नई ऊर्जा के साथ अपने घोसलो की ओर उड़ने लगे हैं, आस पास की सड़के, नालिया साफ हो गयी हैं, हर मुसाफिर कुछ वक़्त का आराम करके अपनी मजिल की ओर निकल गया हैं.... 

और आज मैं भी सारी पिछली बातो को भूल कर एक नई शुरूआत के साथ साथ इस छोटे से puppy को साथ लेकर घर जा रहा हूं.. 

बस इतनी सी थी ये कहानी... !!

पैसा खत्म कहानी हजम. 


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