अशोक चक्र विजेता नायक नीरज
अशोक चक्र विजेता नायक नीरज
वीरों की धरती उत्तर प्रदेश जहां राम और कृष्ण जैसे महान योद्धा, रणनीतिकार और जननायकों ने जन्म लिया और उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि समस्त भारत भूमि को गौरवान्वित किया। उत्तर प्रदेश को यदि वीरों की खान कहा जाय तो अतिशयोक्ति न होगी। आजादी से पहले और बाद में भी हमारे प्रदेश के वीरों ने युद्ध तथा शांति काल दोनों में अपनी वीरता से प्रदेश के मस्तक को ऊंचा किया है।
इसी प्रदेश का जनपद बुलंदशहर जो कि "यथा नामे तथा गुणे" की कहावत को चरितार्थ करता है। युद्ध काल तथा शांति काल दोनों में ही इस जिले के वीरों ने अपने शौर्य और पराक्रम से अपने जिले के नाम को बुलंद करते हुए प्रदेश के नाम को बुलंदी पर पहुंचाया है। इस जिले ने देश को अब तक 01 परमवीर चक्र, 02 अशोक चक्र, 01 महावीर चक्र, 07 वीर चक्र, 01 कीर्ति चक्र तथा 01 शौर्य चक्र विजेता दिए हैं। उत्तर प्रदेश का यही वह जिला है जिसके दो दो वीर गणतंत्र दिवस की परेड में देश, प्रदेश को गौरवान्वित करते हैं।
आज के ही दिन इसी जिले की माटी में जन्मे नायक नीरज कुमार सिंह ने अद्वितीय वीरता का प्रर्दशन करते हुए दो आतंकवादियों को मार गिराया था और कर्त्तव्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों का बलिदान दिया था। नायक नीरज कुमार सिंह को उनकी वीरता और साहस के लिए 24 अगस्त 2014 को मरणोपरान्त शांतिकाल के सबसे बड़े सम्मान “अशोक चक्र” से सम्मानित किया गया।
नायक नीरज कुमार सिंह का जन्म 05 जून 1981 को जनपद बुलन्द शहर के गांव व पोस्ट देवराला, तहसील खुर्जा में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री ओमवीर सिंह और माता का नाम राजेश देवी था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा प्र
ाइमरी पाठशाल देवराला और आगे की शिक्षा श्री गांधी इण्टर कालेज पचगई में हुई। वह 07 सितम्बर 2001 को राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए और प्रशिक्षण के पश्चात 13 राजपूताना राइफल्स में तैनात हुए। बाद में इनकी तैनाती 57 राष्ट्रीय राइफल में हुई।
24 अगस्त 2014 हो जम्मू और कश्मीर राज्य के कुपवाड़ा जिले के गुरदजी में 57 राष्ट्रीय राइफल द्वारा एक तलाशी अभियान चलाया जा रहा था। इसी दौरान वहां एक धोक के पास आतंकवादियों की हलचल दिखायी पड़ी। आतंकवादियों ने सेना के जवानों पर अंधाधुंध गोलियॉं बरसाना शुरू कर दिया। इस गोलीबारी में नायक नीरज कुमार सिंह के सहयोगी घायल हो गये। अपनी जान की परवाह न करते हुए नायक नीरज कुमार सिंह रेंगते हुए अपने साथी के पास पहुंचे और उसे बाहर निकाला। इसी दौरान एक आतंकवादी ने नायक नीरज कुमार सिंह पर हैंड ग्रेनेड फेंक दिया और भीषण गोलीबारी कर दी। नायक नीरज कुमार सिंह निर्भीकता का परिचय देते हुए आगे बढ़ते रहे और नजदीक पहुंचकर एक आतंकवादी को गोली मार दी। इसी दौरान एक दूसरे आतंकवादी ने नायक नीरज सिंह पर हमला कर दिया जिससे उनकी राइफल गिर गयी।
राइफल के गिरते ही आतंकवादी ने उनके सीने में गोली मार दी। गंभीर चोटों के बावजूद अद्वितीय साहस का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने आतंकवादी पर हमला कर दिया । आमने सामने की लड़ाई में उसका हथियार छीन कर उसे मौंत की नींद सुला दिया। ज्यादा घायल होने के कारण उनको वहां से उपचार के लिए ले जाना चाहा किन्तु होश में रहने तक वे मना करते रहे। बाद में उन्हें वहां से उपचार के लिए ले जाया गया लेकिन तब तक भारत मॉं का यह अमर सपूत सदा सदा के लिए चिरनिद्रा में लीन हो गया।