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Sushant Kushwaha

Abstract Tragedy

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Sushant Kushwaha

Abstract Tragedy

अनपढ़ बानी

अनपढ़ बानी

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आज के जमाने में कौन अनपढ़ होता है पर जिनके भाग ही फूटे हों उनके लिए पढाई लिखाई शब्द सुनना तो जैसे सपना हो।जी हाँ है एक लड़की जिसे मैं जानता हूँ इतनी खूबसूरत जैसे एक बार कोई देख ले तो नजर ना हटे चाँद से उसकी तुलना कर दूं तो उसमें कोई अती शोकती न होगी जैसे चाँद उतना खूबसूरत है फिर भी उसमें दाग है उसी तरह बानी खूबसूरत तो है पर उसमें भी कमी है आप ये ना सोचें की गुण की कमी है गुण आचार विचार में तो जैसे ईश्वर मानो उसका मार्गदर्शन करते हों किससे कैसे बोलना क्या बोलना बातें ऐसी की एक बार कोई बात कर ले तो सीधे दिल में उतर जाए।उसकी दो चचेरी बहन है एक उससे बड़ी और एक छोटी पर दोनों ऐसे बानी पर हुक्म चलती है दोनों उससे बड़ी हो।बानी के बात करने के लहजे से और सरल व्यक्तित्व से लोग इतने प्रभावित होते है की उसकी बड़ी इज्ज़त करते हैं पर ये इज्ज़त उसके चचेरी बहन को फूटे आँख ना सुहाती इसलिए बानी को हर बात पर नीचा दिखाकर उसे लज्जित कर के अपना भड़ास निकलती है फिर भी बानी मन को उन दोनों के प्रति मैला नहीं करती उतना इज्ज़त देती जिसके आधे के भी वो दोनों बहनें हक़दार नहीं।उस चाँद जैसे सूरत वाली में दाग बस इतना है की वो अनपढ़ है।

इसलिए नहीं की उसे पढ़ना अच

्छा नहीं लगता इसलिए की उसे पढ़ाया नहीं

गया।बानी के माता पिता के एक। सड़क हादसे में अकश्मिक मृत्यु के पश्चात उसकी देखभाल के जिम्मा उसके चाचा के सर आ पड़ा और वो इसलिए की और कोई उसके खानदान में था ही नहीं जो उसका देखभाल अच्छे ढंग से करता। जैसे भी रखना है चाचा ही रखेंगे चाचा 

का स्वभाव निर्मल था वो बानी को बिल्कुल अपने बेटी के तरह ही मानते पर इसके विपरीत उसकी चाची उससे घर के सारे काम करवाती जब बच्चे के खलने की उम्र होती है 

अपने सहेलियों के साथ गप्पें लगाने की उम्र होती है।उस छोटे से उम्र में ही वो घर का सारा काम करती।सायद अब वह समझ चुकी है उसकी जिंदगी भगवान ने इसी तरह लिखी है इसलिए वो भगवान से कोई गिला शिकवा नहीं करती।सुबह 5 बजे सबसे पहले उठती है घर आँगन के सारे कार्य करके चाय तथा नास्ता बनाती है।जब 8 बजता है तब दोनों चचेरी बहन महारानी के तरह जगती है और चाय की फरमाईश बानी से करती है। बनी चुपचाप चाय लाके दे जाती है और अन्य काम में लग जाती है।ये अब बानी की रोज का दिनचर्या बन गया है अपनी थकान को नजर अंदाज करती जब कभी थकन ज्यादा होती तो खुद अपने हाथों से ही अपनी पाँव दबा लेती है और फिर काम में लग जाती है।


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