अनपढ़ गुरु
अनपढ़ गुरु
सोहन लाल बहुत ही मेहनती और भला व्यक्ति था। वो मकान बनाने का काम किया करता था। उसके साथ और कई मजदूर भी काम करते थे।
एक दिन एक लड़का उसके पास काम करने आया। उसका नाम चंदन था। चंदन बहुत ही सीधा - सादा और मेहनती लड़का था। उसे काम की बहुत जरूरत थी, तो उसने सोहन से कहा 'मुझे अपने साथ मजदूरी कर रख लो, मै बहुत मेहनत से काम करउगा। आपको कभी शिकायत का मौका नहीं दूगा।
सोहन को भी एक मजदूर की जरूरत थी इसलिए उसने चंदन को अपने साथ काम पर रख लिया। चंदन रोज सुबह सही समय पर काम पर आता और शाम होने तक काम करता। सोहन को चन्दन की काम के प्रति लगन देख बहुत खुशी हुई। उसने निश्चय कर लिया कि अब वो चंदन को भी अपने समान कारीगर बनाएगा।
दूसरे दिन उसने चंदन से कहा,'' अब तू मेरे साथ मजदूरी नहीं करेगा '।
चंदन ये सुन कर घबरा गया उसने सोहन से कहा "क्यों उस्ताद ? क्या मुझ से कोई भूल हुई, आप ऎसा क्यों कह रहे हो।
तब सोहन मुस्कुराया और बोला" अरे नहीं नहीं चंदन तू घबरा मत अब मैं तुझे अपने समान कारीगर बनाउगा।
चंदन ये सुनकर बहुत खुशी हो गया और सोहन उसी दिन से चंदन को काम सीखाना शुरू कर देता है, चंदन भी पूरे ध्यान और लगन से काम सिखाता है।
कुछ ही महीनो में चंदन कारीगरी का पूरा काम सीख लेता है, वह बहुत ही जल्दी एक अच्छा कारीगरी बन जाता है, उसे कई जगह से बहुत सारा काम मिलता है, सोहन भी चंदन की उन्नति से बहुत खुशी था।
एक दिन जब गुरुपूर्णिमा के दिन चंदन फूलों की माला, मिठाई और एक श्री फल लेकर सोहन के घर आता है, और सोहन के पैर छू कर कहता है" मै आपको अपना गुरु बनाना चाहता हूं। "
इसपर सोहन कहता है कि "अरे मै तो अंनपढ़ गँवार हूँ मै तुम्हे क्या ज्ञान दूँगा ? तू मुझे क्यों गुरु बनाना चाहता है, जा कर किसी ज्ञानी को गुरु बना" तब चंदन कहता है "मेरे लिए तो आप ही गुरु हो क्योकि मैंने आप से ही कारीगरी की शिक्षा प्राप्त की है, और एक सफल कारीगर बना हूँ, अतः आपने ही मुझे सफलता का ज्ञान दिया है, इसलिए मेरे लिए आप ही मेरे गुरु हो।
चंदन की बात सुन कर सोहन की आँखे भर आती है, और वो उसे अपने सीने से लगा कर अपना शिष्य बना लेता है।
उद्देश्य : - सच्चा गुरु वही है, जो हमे सफलता की सही राह दिखा सके।