अनोखी शादी
अनोखी शादी


"अरे मम्मी, जल्दी आओ ना"- मैंने मम्मी का हाथ पकड़ा और खींचकर उन्हें काउंटर की तरफ़ ले गई। वहाँ पहुँची तो देखा कि हमारे पहुँचने से पहले ही एक एयर कैप्सूल आया और सभी मेहमानों को लेकर रवाना हो गया। मम्मी ने मेरी तरफ़ देखा तो मैंने उन्हें बताया कि चिंता न करें अभी दूसरा कैप्सूल आएगा और बाक़ी के मेहमानों को ले जाएगा। हम सब लाइन में खड़े हो गये। मैंने अपनी साड़ी ठीक की, पर्स में से लिप्स्टिक निकालकर लगा ली, मम्मी ने अभी ख़ुद को ठीक कर लिया। दरअसल भैया की शादी के लिए पापा ने स्पेस में एक होटल बुक की थी उसी के लिए हम तैयार होकर जा रहे थे। भैया की शादी को लेकर पापा बड़े ही उत्साहित थे, वे कुछ अलग करना चाहते थे। पापा ख़ुद नासा में एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं इसलिए उन्होंने भैया की शादी के लिए ऐसा प्लान किया। मम्मी तो कहती रही कि भला अंतरिक्ष में कोई शादी करता है क्या ? वहाँ हम मेहमानों को कैसे ले जाएंगे वग़ैरह वग़ैरह। पर पापा ने सब इंतज़ाम कर लिया था। मेहमानों को ले जाने के लिए कैप्सूलनुमा बस का इंतज़ाम कर लिया था। एक कैप्सूल मेहमानों को छोड़कर आ चुका था तभी 1 दूसरा कैप्सूल आया। हमने जल्दी से कोडिंग की और हम सब उस कैप्सूल में चले गए। देखा तो कैप्सूल अंदर से एक बस की तरह था और उसका कोई ड्राइवर नहीं था, वह ख़ुद ही उड़ रहा था। उसमें बैठने के बाद हम दो घंटे बाद अंतरिक्ष में पहुँच गए। वहाँ पहुँचकर देखा कि हम एक आलीशान रेस्तरां में पहुँचे हैं। सभी लोग बहुत आश्चर्यचकित थे कि अंतरिक्ष में इतना अच्छा होटल कैसे हो सकता है। सभी अपने अपने टेबल पर जाकर बैठ गए थोड़ी देर में सबके लिए खाना आ गया और भैया एवं हमारी होने वाली भाभी आ गए। दोनों ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई और वरमाला पहनाई। सब मेहमानों ने उन्हें आशीर्वाद दिया। सभी लोग खाना खा चुके थे, खाना बहुत ही टेस्टी था। सभी इस अप्रत्याशित शादी के बारे में ही बातें कर रहे थे। किसी ने नहीं सोचा था कि अंतरिक्ष में जाना इतना आसान होगा, तभी पापा ने आकर बताया कि अभी हम सब अपने अपने कमरों में जाकर सो जाएंगे और कल सुबह सब अंतरिक्ष की सैर पर चलेंगे। मैं तो बहुत ही उत्साहित हो रही थी कि कब सुबह हो और हम सब अंतरिक्ष देखने चलें। सुबह 7 बजे सबको तैयार होना था। हम सब तैयार होकर एक हॉल में इकट्ठे हो गए तभी एक कांच की गाड़ी आयी। पापा सब को निर्देश दे रहे थे कि किसी को भी इस गाड़ी से बाहर हाथ नहीं निकालना है नहीं तो वह बाहर के तापमान में शून्य हो जाएगा। सब इस कांच की गाड़ी में बैठ जाते हैं और हमारी अंतरिक्ष की यात्रा शुरु होती है। पापा और उनके कुछ वैज्ञानिक मित्र आगे बैठकर हमें बताते हैं कि ये जो लाल रंग का ग्रह है वह वीनस है, ये शनि ग्रह है, ये सबसे बड़ा बृहस्पति ग्रह है। हम सभी ग्रह, नक्षत्रों, तारों के पास से गुज़रते हैं। बड़ा मज़ा आ रहा था। दूर से नीली दिखने वाली हमारी पृथ्वी है। वाह मम्मी, बहुत मज़ा आ रहा है। तभी हमारी गाड़ी चाँद के पास से गुज़री, चाँद बहुत ख़ूबसूरत दिख रहा था। इतने में मम्मी ने मुझे आवाज़ लगायी - "अर्चना, उठो। आज स्कूल नहीं जाना है क्या ? लेट हो जाओगे तो भागना पड़ेगा।" मैं एकदम से जागी। "अरे, मैं क्या सपना देख रही थी, कितना अच्छा होता काश सपना हकीक़त होता"। शाम को पापा, मम्मी, भैया सबको सपना सुनाया तो सब हँसते हँसते लोट पोट हो गए। वाह री, सपनों की दुनिया ।