अनोखा बदला -भाग ३
अनोखा बदला -भाग ३
सुबह जब सुधीर उठा तो वो सोच रहा था कि कल मुझसे गलती हो गयी और आज मैं कोशिश करूंगा कि किसी भी गरीब का कोई नुक्सान ना हो। आज उसे अनिल से बदला लेना था। वो अपनी कोचिंग क्लास के लिए तैयार हुआ। बस में बैठा बैठा भी वो यही सोच रहा था कि कैसे अनिल से बदला ले जिससे कि किसी और को नुक्सान ना हो। कोचिंग क्लास में भी उस का सारा ध्यान अनिल की तरफ ही था। अभी क्लास शुरू नहीं हुई थी और अनिल एक लड़की से बात कर रहा था। तभी सुधीर को कुछ सूझा और उसने मन में सोच कर कहा कि अनिल को दस्त लग जाएं। ऐसा सोचते ही अनिल एक दम अपने पेट को पकड़ने लगा और जल्दी से टॉयलेट की तरफ भगा। उस लड़की को भी कुछ समझ में नहीं आया। जब थोड़ी देर बाद वो बदहवास हालत में क्लास में वापिस आया तो सुधीर मन ही मन मुस्कुरा रहा था। क्लास में आते ही अनिल को फिर से टॉयलेट जाना पड गया। पूरी कोचिंग क्लास में वो चार पांच बार टॉयलेट गया। सुधीर को ये सब देखकर बहुत अच्छा लग रहा था।
बस में भी सारे रास्ते अनिल अपना पेट पकड़ कर बैठा रहा। जब बस गांव के बाहर रुकी तो अनिल भाग कर सामने वाले खेत में ही टॉयलेट करने चला गया। सुधीर को लग रहा था कि उसका बदला अनिल से पूरा हो गया है और आज उसने जो किया है उससे किसी और को भी कोई नुक्सान नहीं हुआ है। वो घर आया और खाना खाकर निश्चिंत होकर सो गया। शाम को जब वो उठा तो वो सोच रहा था कि आज उसके कान ठीक होंगे पर जब उसने अपने कानों को हाथ लगाया तो कान वैसे ही बड़े हो गए थे जैसे कि पिछली बार हो गए थे। उसे विश्वास नहीं हो रहा था पर कारण तो रात को ही पता लगना था। फिर से वही टोपी काम आयी। रात को जब वो सो गया तो सपना शुरू हो गया।
उस ने देखा जब अनिल घर पहुंचा तो उसकी हालत बहुत बुरी हो गयी थी। जब उसकी माँ ने उसे देखा तो उसे बहुत चिंता हुई। माँ उसे डॉक्टर के पास ले गयी और दवाई लेकर आई। शाम तक अनिल आठ दस बार टॉयलेट जा चूका था और बहुत कमजोर महसूस कर रहा था। उस की माँ ने अपनी नौकरानी को कहा की उस दिन के लिए उसे रात में अनिल की देखभाल के लिए रुकना पड़ेगा। नौकरानी की बेटी की तबियत पहले से ही खराब चल रही थी। उसने काफी मिन्नतें कीं कि उसे बेटी के लिए घर जाना पड़ेगा पर अनिल की माँ ने नौकरानी को जबरदस्ती रख लिया। नौकरानी बहुत दुखी हुई और रात भर अपनी बेटी के बारे में चिंता करती रही और सो न सकी। वो भगवान से अपनी बेटी की रक्षा के लिए प्रार्थना करती रही। सुधीर को आज की सजा का कारन भी समझ में आ गया था। जब वो सुबह उठा तो उसके कान ठीक हो गए थे। वो फिर से सोचने लगा कि आज तो मैं पूरा पूरा ध्यान रखूंगा की किसी और को कोई नुक्सान ना हो और मैं भी सजा से बच जाऊं।
