अनोखा बदला - भाग २
अनोखा बदला - भाग २
सुधीर जब सुबह उठा तो उसे एक दम से रात वाला सपना याद आ गया। वो सोचने लगा कि भगवान ने क्या सच में उसे कोई ऐसी शक्ति प्रदान कर दी है या ये बस एक सपना ही है। वो जल्दी से इस सच को जान लेना चाहता था पर जब उसने घड़ी में वक़्त देखा तो जाना कि आज वो काफ़ी देर से उठा है ओर शहर जाने के लिए बस के लिए लेट हो रहा है। वो जल्दी से नहा कर तैयार हो गया और सीधा बस स्टाप की तरफ़ चल दिया। पर उसका मन अभी भी मचल रहा था और वो बदला लेने के लिए आतुर हो रहा था। रास्ते में वो टीनू के घर की तरफ़ मुड़ गया। वो सबसे पहले टीनू से ही बदला लेना चाहता था। उसने दूर से ही देखा कि टीनू गाड़ी में बैठा है कोचिंग क्लास जाने के लिए और उसके पिता अभी घर के अंदर ही हैं। टीनू एक शरारती बच्चा था और वो गाड़ी से छेड़खानी कर रहा था। इतने में उसके पापा अंदर से आए और उसे गाड़ी के अंदर बैठने को कहा। उस समय वो गाड़ी के टायर को छेड़ रहा था। सुधीर को पता नहीं एकदम से क्या सूझा उसने कहा कि टायर पंक्चर हो जाए और टायर सच में पंक्चर हो गया। सुधीर को विश्वास नहीं हो रहा था। वो मन ही मन बहुत ख़ुश हो रहा था कि भगवान उसकी बदला लेने में मदद कर रहे हैं। जब गाड़ी चली तो टीनू के पापा को भी पता चल गया की टायर पंक्चर है। उन्होंने गाड़ी रोक दी और टीनू को डाँटने लगे की वो टायर को छेड़ रहा था और उसने ही टायर पंक्चर किया है। सुधीर टीनू को डाँट पड़ती देख बहुत ख़ुश हो रहा था। तभी उसे याद आया कि वो बस के लिए लेट हो रहा है और वो वहाँ से सरपट भाग लिया।
आज उसका कोचिंग क्लास में पढ़ने में मन नहीं लग रहा था। वो टीनू की डाँट को याद करके बहुत प्रसन्न हो रहा था और सोच रहा था कि शायद डाँट के साथ साथ उसे बाद में मार भी पड़ी हो। इतने में टीनू क्लास में आ गया। उसने टीचर से अंदर आने की इजाज़त माँगी। पर क्योंकि टीनू बहुत ज़्यादा लेट था इसलिए टीचर ने उसे सजा के तोर पर आधा घंटा बाहर ही खड़े होने की सजा सुनाई। टीनू की प्रसन्नता ओर भी बढ़ गयी। जब वो क्लास के बाहर आया तो टीनू का मुरझाया हुआ चेहरा देख कर मन ही मन बहुत ख़ुश हो रहा था। आज टीनू उसको चिढ़ा भी नहीं रहा था। जब बाक़ी दोस्तों ने टीनू से लेट आने का कारण पूछा तो उनसे भी वो अच्छी तरह नहीं बोला।
दोपहर में सुधीर जब घर आया तो बहुत ख़ुश था। उसने खाना खाया और सोने के लिए रज़ाई ओढ़ कर लेट गया।वो सोच रहा था कि टीनू से तो उसका बदला आज पूरा हो गया है और कल वो अनिल से बदला लेगा। ऐसा सोचते सोचते वो सो गया।शाम को जब वो सोकर उठा तो बहुत ख़ुश था। उसने अपना मुँह हाथ धोया और कंघी करने लगा। पर शीशा देखते ही उसके होश उड़ गए। उस के दोनो कान क़रीब तीन गुना बढ़ गए थे और गधे के कानों जैसे लग रहे थे। उसे तभी याद आया कि भगवान ने उसे कहा था कि उसके कर्म से अगर किसी गरीब को परेशानी होती है तो उसे सजा मिलेगी।उसे लगा शायद यही वो सजा है। हालाँकि वो सोच रहा था कि उसने तो किसी और को नुक़सान नहीं पहुँचाया। वो इस सजा का कारण जानने के लिए रात का इंतज़ार करने लगा,जैसा कि भगवान ने उसे कहा था कि सपने में बताऊँगा। कानों को ढकने के लिए उसने एक बड़ी सी उन्न की टोपी पहन ली।जब माँ ने पूछा कि आज टोपी क्यों पहनी है तुम तो टोपी पहनते नहीं तो वो बोला आज मुझे बहुत ठंड लग रही है। उस दिन वो बाहर खेलने भी नहीं जा सका।
रात को वो ये सोचते सोचते सो गया कि मेरे से क्या गलती हुई है। थोड़ी देर में सपना शुरू हो गया। जब टीनू की गाड़ी पंक्चर हो गयी थी तो पंक्चर लगाने में काफ़ी वक़्त लग गया। टीनू को क्लास में छोड़ने के बाद जब उसके जीमिंदार पिता मंडी में पहुँचे तो काफ़ी परेशान हो चुके थे। उसी दिन एक गरीब किसान की फसल का भुगतान होना था। जब वो टीनू के पापा के पास पैसे के लिए आया तो परेशानी के कारण उन्होंने किसान को कह दिया कि कल आना। वो किसान काफ़ी गिड़गिड़ाया कि घर में खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं पर टीनू के पापा ना माने। किसान दुखी होकर घर चला गया और भगवान से अपने दुःख को दूर करने की फ़रियाद करने लगा। सुधीर को सपने में ही समझ आ गया कि उसे किस चीज़ की सजा मिली है। तभी भगवान की आवाज़ आयी कि ये सजा सुबह तक रहेगी और सुबह उठते ही तुम्हारे कान ठीक हो जाएँगे।
