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Balkrishna Nirmala Devi Gurjar

Romance

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Balkrishna Nirmala Devi Gurjar

Romance

बेटियों के अपने घर

बेटियों के अपने घर

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हमारे पूर्वजों के नियम सच्चे है पर किसी नियम को हम प्रथा की तरह आगे बढ़ाएं ये जरूरी नही            जैसे बेटी तो पराई है ये तुम्हारा घर नही जहां तुम जाओगी वो घर तुम्हारा है फिर एक दिन वो उस घर मे जाती है तो वहां कहते है ये हमारा घर है तू तो किसी ओर घर से आई है हमारे घर मे ये सब नही चलेगा।मैं ये समझना चाहता हूँ ये घर आये कहाँ से घर बनाया किसने जिसमे 5 से 10 लोग मिलकर रहते है उसे ही तो घर कहते है जिसने घरो को बनाया जिसको बजह से घर बना जिसकी बजह से हमारा बजूद है इस दुनिया मे ऐसा कोई घर नही जिसमे उसकी त्याग का बलिदान मेहनत और पसीना नही ओर हम उसे ही कहते है ये तेरा घर नही मैं ये दिल से ये गुजारिश करता हूं कि सरकार से इसके लिए एक बिल पास करवाई जाए जिसमे सभी बेटियों को जहाँ उसका जन्म हुआ है वहां भी ओर ससुराल में भी बराबर का हिस्सा मिले और बातो में नही नाम पर करने के लिए सारे डाक्यूमेंट्स तैयार हो रजिस्ट्री स्टाम्प के साथ फिर वो अपनी मर्जी से जिसे देना चाहे दे पर एक बार पूरी डाक्यूमेंट्स प्रोसेसिंग कम्पलीट होनी चाहिए असली घर की ऑनर वही है फिर कभी मत कहना ये घर हमारा है कभी सोचना भी मत बेटियों का घर होता है बहुओं का घर होता है माँ का घर होता है अगर ये नही होते तो ना हम होते ना ये घर होते ना हमारे पास बोलने के लिए जुबान होती             ये किसी एक ने कहा फिर दूसरे ने सुना और वो एक प्रथा बन गई ये सब हमारे बड़े हमे बताते है पर बड़े भी कभी छोटे थे बहोत सीधी सी बात है ये सब हमे परवरिश से मिलता है           बेटी खाना बनाएगी बेटा बाहर घूमेगा बेटा पूरा घर फैलाएगा बेटी उसे जमायेगी ये सब क्या है ये भी कोई नियम हैं प्रथा है जिसे हम आगे बढ़ा रहे है नही ये कभी नही था इसे तो किसी ने गलती से शुरू किया और ये आज तक चला आरहा है ।     ये सब किस ग्रंथ में लिखा है भागवत गीता में , रामायण में , बाइबिल में , कुरान में या फिर हमारे किसी एजुकेशन की किताब में की घर के सारे काम सिर्फ लड़कियां करेंगी लड़के कुछ नही करेंगे हम ये भी तो सिखा सकते हैं कि लड़कियां अपना रूम साफ करेंगी और जमायेगी और लड़के अपना रूम साफ करेंगे और जमाएंगे सुबह लड़के खाना बनाएंगे शाम को लड़किया जिस तरह हम लड़कियों के साथ जाते है उसी तरह हमे लड़कों के साथ भी जाना चाहिए।        वो कहते है ना कि अगर इंसानों को बांधकर रखेंगे और कुत्तों को खुला रखेंगे तो काटेंगे ही । हम बेटीयों को तो बंदिशों में बांधकर रखते है पर लड़कों को खुला छोड़ देते है । अभी सोचकर बताये क्या होगा । भगवान जी ने ऐसे कोई नियम प्रथा नही बनाई ये सिर्फ हमने बनाये है अगर हम बना सकते है तो हम बदल भी सकते है बदलाव आता नही है लाना पड़ता है इसकी शुरुबात आज से अभी से शुरू करनी होगी हजारों लोग मिलकर सातवा वेतन तो ला सकते है पर इस तरह का बदलाव कोई नही लाता लेकिन हजारों लोग मिलकर सिर्फ सड़क ला सकते हैं बदलाव लाने की शुरुबात सिर्फ एक इंसान करता है और मुझे पता है वो एक इंसान सिर्फ और सिर्फ आप हो आप ओर मैं मिलकर हम दोनों इस बदलाव को लाएंगे बाकी कारवां खुद व खुद अपने आप बदल जायेगा । हम बेटियों को माता रानी दुर्गा देवी का रूप मानते है माता लक्ष्मी देवी , माता सरस्वती मानते है और उन्ही को हम बुरा भी बोलते है ऐसा क्यू है अगर हम उन्हें देवियों की तरह मानते है तो समझना भी पड़ेगा । ऐसा भी तो कर सकते है आज मैं खाना खाने से पहले ये कसम खाता हूं मैं एक अच्छा बेटा बनूँगा मैं एक अच्छा पति बनूँगा मैं एक अच्छा पिता बनूँगा मैं अपने बच्चों बेटों या बेटियोँ में कोई अंतर नही रखूंगा । दोनों को पढ़ाऊंगा अगर प्रायवेट स्कूल में नही तो दोनों को सरकारी स्कूल में पढ़ाऊंगा । ना सास गलत होती है ना बहु गलत होती है बस रूढ़िवादी नियम और प्रथा गलत होती है । सास भी बहु की सीडी चढ़कर आती है जब सास बहू होती है और बहू से जब सास बन जाती है तो बो अपनी सास की बनाई हुई प्रथा निभाती है जब सुबह चार बजे की चाय सुबह आठ बजे मिलती है तो घुस्सा हो जाती है पर वो ये सोचकर खुश नही होती है कि जिनके नसीब में बहु नही है वो ईसी टेंसन में सुबह आठ बजे सोकर उठते है और चालीश परसेंट घरों में सुबह दस बजे चाय पी जाती है । हम ये भी भूल जाते है कि जब हमारे घर से एक बेटी जाती है तो दूसरी बेटी घर आती है जो पहली बेटी से ज्यादा हमारी सेवा करती है । गलत ये नही है कि हम बहुओं से काम करवाते है अगर पानी की टंकी भरने का स्विच ऑन बेटा भी तो कर सकता है अगर बहु चाय बना रही है तो बेटा सर्व भी तो कर सकता है अगर बहु नास्ता बना रही है तो वाशिंग पाउडर के साथ कपड़े मशीन में बेटा भी तो डाल सकता है अगर बहु 100 परसेंट काम अकेली कर सकती है तो 40 परसेंट काम बेटा बड़ी आसानी से ओर वो भी बहोत ही कम समय मे कर सकता है। अगर बहु बच्चों को तैयार कर सकती है तो उन्हें कपड़े पिन्हाना सॉक्स , शूज बेग कापियां ये बेटा भी तो कर सकता है अगर  बच्चों को वाशरूम से लाना है तो इसका कॉन्ट्रैक्ट टेन लेक में सिर्फ बहु को तो नही मिला बेटा भी तो जाके ला सकता है । बेटे कमाकर लाते है तो बेटियां भी तो कमाकर लाती है वो भी बेटों से ज्यादा पर जब बेटियां 100 काम करती है तो बेटे 40 काम क्यू नही करते ।               बेटे के लिए मिल्क केक और बहू को बोलेंगे मेरा बेटा खा रहा है या नही जरा जाके देख    । जो पति ये सब नही कर सकता वो पति नही चाय कम पत्ती ज्यादा है पती एक मोमबत्ती की तरह है जिससे अंधेरे में रोशनी होती है ऐसे ही पति भी पत्नी की जिंदगी में रोशनी लेकर आता है पत्नी के ख्वाबों के लिए उसके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए ।        जिंदगी वो नही जो हम जीते है जिंदगी तो वो जीते है जो एक दूसरे के लिए जीते है खुशियां वो नही जब हम खुश होते है खुशियां वो होती है जब हमारी वजह से या जब हम कुछ ऐसा करते है जिससे हम तो खुश होते ही है पर ओर भी हमारे आसपास के जो हमे प्यार करते है वो सभी खुश होते है प्यार वो नही जिसमे हमारी वजह से दूसरा रोता है ओर हम सकून से सोते है       प्यार वो होता है जिसमे सिर्फ हम रोते है प्यार वो होता है जिसमे सिर्फ हम रोते है  ।


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