माँ और मैं
माँ और मैं
आज संडे है माँ के लिये कुछ अच्छा और नया हो जाये, हम ऐसा क्या करें कि माँ को आराम मिल जाये ओर हमे कुछ अच्छा और नया सीखने को मिल जाये। माँ घर में हो तो पता चल जाता है सुबह हो गई सुबह माँ के लिये कब होती है। सुबह होती है रात की चिंता से माँ के लिए रात कब होती है जब तक परिवार के बच्चे बड़े सभी खाना ना खालें जब तक घर के बाकी सारे काम खत्म ना हो जाए। सारा परिवार तो आराम से बिना टेंशन के सुकून से सो जाता है पर माँ को सुबह की फिक्र होती है कि कब सुबह होगी और जब सुबह होगी तो मैं अपने बच्चों और बड़ों को पूरे परिवार को क्या बनाकर खिलाऊंगी इसी की तैयारी में लग जाती हैं और सारी तैयारी पूरी होने के बाद कब सुबह हो जाती है पता ही नहीं चलता सुबह का पता तब चलता है जब माँ सुबह जल्दी उठ कर काम करने लगतीं है। और काम की आवाज से पता चल जाता है कि सुबह के चार बजे हैं या साड़े चार देखकर समझ आ जाता है कि माँ के लिए सुबह हो गई पर हमें कोई फिक्र नहीं होती कोई काम नहीं होता हमें पता है जब हम उठेंगे तब तैयार हो जाएंगे और जाकर बैठ जाएंगे। नास्ते की प्लेट dry फ्रूट का दूध बाला ग्लास पानी में भीगी हुई बादाम, मूंग सब हमारे पास आ जायेगा यहां तक कि पीने का पानी भी हम खुद से नहीं लेते। अगर हमारा थोड़ा सा भी सिर दर्द होता है सर्दी खांसी या बुखार हो जाता है तो आराम करते है। तब माँ को हमारी बहुत फिक्र रहती है वो अपने सारे काम छोड़कर हमारी सेवा में लग जाते है। जब तक हमें आराम ना मिल जाए उन्हें बेचैनी रहती है हर पल उनकी नजर हम पर रहती है। जब संडे आता है, होली आती है, दशहरा, दीवाली या रक्षाबंधन, गांधी जयंती, या कोई भी त्योहार हो हम खुशी से मनाते हैं घूमते हैं खाते है एंजोय करते है। दुनिया की सारी छुट्टियां हमारी होती है सारे त्योहार हमारे होते है माँ के लिए कोई हॉलिडे नहीं बना जिस दिन माँ आराम करें और हम काम करें। मदर्स डे पर सिर्फ अच्छी पोएम ओर आई लव यू माँ लिखने के बाद हमें माँ को समय भी देना होता है। इसे पढ़कर आपका सवाल होगा मैं भी तो लिख रहा है मैं यहां आपको बता दूं मैंने जो भी लिखा है मैं वो सब करता भी हूँ मैं वही लिखता हूँ जो करता हूँ या देखता हूँ मैं लेखक तो बिल्कुल भी नहीं हूं। मेरे लिए सिर्फ संडे ही नहीं जिस दिन मैं फ्री होता हूं उसी को माँ के लिये संडे बना देता हूँ ये हम सिर्फ संडे ही नहीं जब भी हम फ्री हों तो जो भी हम अपनी माँ के लिए कर सकते है करना चाहिए कौन ज्यादा या कम कर रहा है ये मायने नहीं करता दिल से जो भी करें माँ के लिए वही बहुत होता है।
माँ का सिर दर्द होने पर सिर भी दवा सकते है हाथ पैर भी दवा सकते है माँ कभी खुद नहीं बोलते ये हमें उन्हें देखकर महसूस हो जाता है मैं अगर कहीं से रात को एक बजे भी आता हूँ और मुझे लगता है तो मैं उसी समय पैर दबाने लगता हूँ। यहां पर सिर्फ इतनी सी बात है कि हम सच्चे दिल से और किसी के आईडीए से नहीं अपने मन से माँ के लिए ज्यादा नहीं थोड़ा बहुत तो कर ही सकते हैं। 365 दिन में लगभग 74 हॉलिडे होते है संडे ओर फेस्टिवल मिलाकर महीने में चार से पांच संडे होते है क्या कभी हमने 3 या दो संडे बोला कि माँ आज आप आराम करो पूरा दिन ना सही आधा दिन ही दे दें आज मैं और घर के बाकी सभी लोग काम करेंगे हम सभी मिलकर आपकी सेवा करेंगे हम सब भी जिंदगी में कुछ काम करना चाहते हैं एक अच्छा इन्सान बनना चाहते हैं पर कब बनेंगे जब आप आराम करेंगे हमें भी काम करने का मौका देंगे। आपने बहुत काम कर लिया और करते रहते हैं। चलिए आपके लिए आपकी फेवरेट अदरक, काली मिर्च, लोंग ओर तुलसी पत्ते वाली चाय बना देता हूँ तब तक आप बता दीजिए नाश्ते में आपके लिए क्या बनाना है क्या खाना पसंद करेंगे आप। जब तक आप TV देखिये भजन, सत्संग, संगीत या कोई फ़िल्म देख लीजिए बाकी खाने में आप क्या खाएंगे वो हम नाश्ते में डिस्कशन कर लेंगे आप बता दें उसी हिसाब से हम डिश तैयार करेंगे। अगर हम 74 छुट्टियों में से माँ को 34 या 24 छुट्टियां भी दे दें पूरे दिन की ना सही आधे दिन की ही तो वो भी हमारी माँ के लिए बहुत होगा जरूरी नहीं इसी counting के हिसाब से करें काउंटिंग मायने नही रखता है जो भी करें पर करें जरूर ओर जो भी करें दूसरों को बताएं बताना इसलिए जरूरी है क्योंकि बताएंगे नहीं तो पता कैसे चलेगा की हम भी ये सब कर सकते हैं। हो सकता है आप बर्तन साफ करो या कपड़े वॉश करो तो देखकर कोई हँसे पर हमारी माँ ने हमारे लिए जीवन में जितनी तकलीफें सही हैं ओर आज हमें इस काबिल बनाया हम जो चाहें कर सकते हैं उसके सामने ये हंसी कुछ भी नहीं ओर ये मानिए की वो रोना चाहता है पर रो भी नहीं सकता इसलिए हंस रहा है रोना इसलिए चाहता है क्योंकि वो कुछ कर नहीं सकता। । Wish u very happy Sunday, Dedicated to my mother Nirmala Devi Gurjar