अहा जिन्दगी
अहा जिन्दगी
हम, मैं और तुम अलग हो चुके थे। फिर भी कोई बात हमें बाँधे हुई थी। पूरा पूरा ब्रेक अप नहीं था। कुछ था जो अभी भी हमे कई दफा एक दूसरे की याद दिलाता था। जो भी था उस वजह से हम दूर होकर भी पास थे। तुम्हें बाज़ दफा लगा, मुझ में आज भी वो जुनून, वो ही दीवानगी है तुम्हें लेकर। अक्सर तुम भूल जाया करते थे मेरा सरनेम बदल चुका है। बावजूद उसके हम घंटो बातें करते थे। वैसे ही जैसे पहले कभी करते थे। अभी भी मैं तुमसे नाराज़ हो जाती थी। उस दिन जब हम मैसेन्जर पर बात कर रहे थे तुमने मुझ से पूछ लिया। "क्या मुझ से शादी करोगी ?"
वो स्क्रीन वहीं ठहर गया ,जवाब के इंतज़ार में।
कई दफा प्यार इक उम्र लेता है समाज की बनाई हुई दूरी तय करने में।