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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

5  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance

अगला जन्म

अगला जन्म

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"सुनो, आप हमें प्यार तो करते हैं ना" ? मोबाइल पर ये शब्द सुनकर शरद स्तब्ध रह गया । कितनी बार कहा चुका है कि वह सुषमा से बेहद प्यार करता है लेकिन सुषमा है कि हर बार पूछ बैठती है । शरद का दिल बैठ गया। क्या प्यार जताने की आवश्यकता होती है ? क्या प्यार को शब्दों का आवरण चाहिए ? क्या हर बार यह कहना जरूरी है कि हां , मैं तुम्हें बेहद प्यार करता हूं ? क्या खामोशी की कोई भाषा नहीं है ? 


वह इसी उधेड़बुन में था कि सुषमा की आवाज ने उसे फिर चौंका दिया । "आपने कुछ कहा नहीं । इसका मतलब है कि आप हमें प्यार नहीं करते हैं" ? 

अब शरद को कहना पड़ा "क्या खामोशी का मतलब प्यार का इंकार होता है ? क्या हर बार यह कहने की जरूरत होती है कि हां , मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं ? क्या अहसास कोई मायने नहीं रखते हैं ? क्या तुम्हें मेरे दिल की आवाज अब सुनाई देनी बंद हो गई है" ? शरद की आवाज धीर गंभीर हो गई थी । उसकी अप्रसन्नता उसके शब्दों में झलक रही थी । 


उधर से सुषमा के जोरदार ठहाके सुनाई दिए । हंसते हंसते वह कहने लगी "हम तो वैसे ही पूछ रहे थे और जनाब ने सवालों की ऐसे झड़ी लगा दी जैसे किसी कोर्ट में बेचारे गवाह पर प्रतिपक्षी का वकील सवालों की झड़ी लगा देता है । या वन में किसी मासूम हिरनी को गीदड़ों का झुंड घेर लेता है और उस पर चौतरफा आक्रमण कर देता है । हमने तो ऐसे ही कह दिया था बाबा । हम तो ऐसे ही कहते रहते हैं । आपने तो एक लैक्चर ही झाड़ दिया इस पर " । वह अब भी हंसे ही जा रही थी । 


"इसमें हंसने की कोई बात नहीं है सुषमा जो तुम लगातार हंसे जा रही हो " । शरद थोड़ा उग्र होकर बोला । प्यार तो अहसासों का दूसरा नाम है। यदि मेरे मन में तुम्हारे लिए प्यार नहीं हो और मेरे होंठ यह कहते रहें कि मुझे तुमसे बहुत प्यार है , तो क्या तुम इससे खुश हो जाओगी" ? 

"तुम्हारे दिल में क्या है यह तो मैं अच्छी तरह से जानती हूं । मैं यह भी जानती हूं कि तुम मेरे बिना एक पल भी नहीं रह सकते हो । मगर यही बात अपने मुखारविंद से कहने में कोई हर्ज है क्या ? मुझे जहां तक याद है कि अभी तक तो सरकार ने प्यार का इजहार करने पर कोई जीएसटी या अन्य कर नहीं लगाया है । और जहां तक मैं समझती हूं प्यार का इजहार करना कोई वल्गैरिटी भी नहीं है । तो फिर प्यार के इजहार से इंकार क्यों ? आप इस मामले में बहुत कंजूस हैं । अब बोलिए प्रोफेसर साहब" । सुषमा ने अपनी मिसरी सी आवाज में शहद की मात्रा कुछ और बढ़ा दी थी । 

"प्यार का इजहार केवल शब्दों से ही नहीं होता है, सुषमा । हाव भाव , खामोशी और प्रतीकों से भी होता है । मेरी समझ में तो यह आता है कि वह प्यार ही क्या जिसे इजहार करना पड़े । प्यार तो आंखों से बरसता है । लबों से महकता है । हंसी से मुस्कुराता है । गालों की लाली से छलकता है । हर भंगिमा से दमकता है । उसे शब्दों के श्रंगार की आवश्यकता नहीं है । श्रंगार तो वो करते हैं जो कुदरती सुंदर नहीं होते हैं । सुंदर व्यक्ति को "आडंबर" की आवश्यकता नहीं होती है । इसी तरह प्यार को भी किसी शब्द की आवश्यकता नहीं है । इसके अलावा आपको भी पता है और मुझे भी कि आप हमें बेहद प्यार करती हैं लेकिन मैंने तो कभी भी आपसे नहीं पूछा कि आप हमें प्यार करती हैं या नहीं" ? 

इतनी लंबी तकरीर सुनकर सुषमा अपनी हंसी रोकते हुए बोली "ये आपकी गलती है । आपने पूछा क्यों नहीं अब तक ? आप पूछते तो हम तो झट से कह देते कि हां, हम आपसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं । इतना करते हैं कि बता नहीं सकते हैं । मगर एक आप हैं कि दो शब्द कहते नहीं बनता है और लंबी लंबी तकरीर करने लग जाते हैं । कंजूस कहीं के । सुबह-सुबह से ही प्रवचन शुरू हो जाते हैं जनाब के ‌‌। लेकिन हमें तो आपके ये प्रवचन बहुत प्यारे लगते हैं । आपकी धीर गंभीर आवाज हमें बहुत अच्छी लगती है इसलिए हम आपको बार बार छेड़ते रहते हैं जिससे कि आपके प्रवचन सुनने को मिल जाएं । पता है ना कि आप सच में बहुत अच्छे प्रवचन देते हैं । काश, हम आपकी स्टूडेंट होते और आप हमारे प्रोफेसर । हम तो दिन भर बस आपके लैक्चर ही सुनते रहते । और कुछ करते ही नहीं" । अब सुषमा की बातों में प्रेम की वर्षा होने लगी


शरद पूरी तरह भीग चुका था उसकी प्रेम वर्षा में । मगर उसका मन अभी भरा नहीं था । और भीगने की इच्छा हो रही थी उसकी । वह बोला 

"अगर तुम मेरी स्टुडेंट होती तो कुछ पढ़ती लिखतीं तो बिल्कुल नहीं । बस, सामने बैठकर हमें एकटक देखती रहतीं । और पता है इससे हम कितने डिस्टर्ब होते ? इस हरकत पर हम तुम्हें बहुत पनिश करते" । शरद उसे डांटने के अंदाज में बोला । 

"हाय, हमें पनिश करते ? अपनी माशूका को पनिश करते ? हां , कर सकते हो हमें पनिश । आखिर पत्थर दिल जो हो । भावनाएं तो जैसे हैं ही नहीं । हमारा तो मुकद्दर ही खराब है जो ऐसे पत्थर दिल इंसान से पाला पड़ा है । हाय सुषमा, अब क्या होगा तेरा ? प्रोफेसर साहब तो तुझे पनिश करने पर आमादा हैं । चल फूट ले चुपचाप यहां से" । वह हंसते हुए कहने लगी । 

"ऐसे कैसे जाने देंगे तुम्हें" ? 

"अच्छा , तो क्या अब हाथ पकड़ेंगे हमारा ? बीच बाजार में हाथ पकड़ेंगे आप ? आपको यह शोभा देगा ? एक प्रोफेसर यह सब करेगा और स्टूडेंट्स ये सब देखेंगे तो अच्छा लगेगा आपको ? आपकी शोहरत में चार चांद नहीं लग जाएंगे क्या" ? अब तो सुषमा की हंसी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी । 

"ओ माई गॉड ! शैतान की नानी । हरदम छेड़छाड़ ? बहुत शैतान हो गई हो आजकल" । शिकायती लहजे में शरद ने कहा । 

"आपसे ही तो सीखा है यह सब । छेड़ने का कॉपीराइट केवल आपके पास ही है क्या ? हम पर पाबंदी थोड़ी लगा रखी है सरकार ने । हम भी आपसे सीख सीखकर थोड़े शैतान हो गये हैं" । एक मुस्कान बिखराते हुए सुषमा बोली । 

"अरे बाबा बस, हमें पता है कि ये शैतानी आपने हमसे ही सीखी हैं । इस मामले में हमारी "चेली" हमसे दो कदम आगे निकल गई है । अच्छा एक बात बताओ ? हम कब तक ऐसे ही फोन पर प्यार करते रहेंगे ? क्या कभी मिल भी पाएंगे" ? 


अब सुषमा गंभीर हो गई । धीमे स्वर में बोली "शायद यही नियति है हमारी । हमारी मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई । हम वहीं पर मिले थे और शायद वहीं पर ही मिल सकेंगे । हमें इसका बेहद अफसोस रहेगा कि हम आपसे कभी आमने-सामने नहीं मिले । हम आमने-सामने मिल भी सकते हैं मगर हमें खुद पर यकीन नहीं है । क्या पता हम अपनी भावनाओं में बहकर वह सब कर बैठें जो हमें नहीं करना चाहिए । हमें आप पर पूर्ण विश्वास है , मगर खुद पर नहीं । हमने एक दो बार मिलने के बारे में सोचा भी था मगर जब यह खयाल मन में आया तो सच कहें, हमने मिलने का प्रोग्राम रद्द कर दिया । इस जनम में अब हम नहीं मिल पाएंगे । हमारी मुलाकात मोबाइल पर और सोशल नेटवर्किंग पर ही बदस्तूर होती रहेगी । और आपसे भी विनती है कि प्लीज, आप भी हमसे मिलने का प्रयास नहीं करें । हम अपने भगवान से रोज प्रार्थना करते हैं कि हमें अगले जन्म में इतना योग्य बना दें कि हम आपके वाम अंग में बैठ सकें । हमारी प्रार्थना बस इतनी सी है कि इस जन्म में तो नहीं मगर अगले जन्म में तो आमने-सामने आपसे मुलाकात हो जाये । आपके स्पर्श का अहसास हम कर सकें । आपकी धड़कनों को महसूस कर सकें । आपकी सांसों की गर्मी पाकर हम पूरी तरह से पिघल जाएं और आपमें समा जाए । बोलिए, क्या इतनी सी प्रार्थना भी नहीं सुनेंगे भगवन " ? उसकी आवाज भीग गई थी । दुनिया भर का दर्द उमड़ आया था इन शब्दों में । 


"हां हां सुनेंगे । जरूर सुनेंगे । वे भगवान हैं आखिर । सबकी सुनते हैं तो तुम्हारी भी अवश्य ही सुनेंगे । अगले जन्म का हमें भी इंतजार रहेगा सुषमा । बस, एक बार तुम्हें महसूस करना चाहते हैं । ईश्वर इतने भी निष्ठुर नहीं हैं । अगले जन्म में तुम मेरी पत्नी बनोगी , यह तय है" । शरद की आंखें भी अब नम हो गई थीं । 



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