अद्भुत शक्ति
अद्भुत शक्ति
मधु अपने तीन महीने के बेटे को गोद में लेकर उससे बातें कर रही थी। मधु और अंकुर के शादी के पांच साल बाद बेटा हुआ था। वो कभी भी उसे अपने से अलग नहीं करती थी। ये ख़ुशी उन दोनों के लिए इतनी ज्यादा थी कि उन्होंने अपने बेटे का नाम विशाल रख दिया। कुछ दिनों से मधु देख रही थी कि विशाल जागते हुए कुछ देर के लिए अपनी आँखें बंद कर लेता है और फिर जोर जोर से हंसने लगता है। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। फिर वो सोचने लगी कि शायद तीन चार महीने का बच्चा ऐसे ही करता होगा। असल में विशाल को भगवान से एक अद्भुत शक्ति मिली थी कि वो अपनीआंखों से किसी भी दृश्य का वीडियो बना सकता था और बाद में वो खुद भी उसे देख सकता था और किसी और को भी दिखा सकता था। जब उसकी माँ हंस रही होती और उससे बातें कर रही होती तो वो उसका वीडियो बना लेता और बाद में उसे देखकर बहुत खुश होता।
जब विशाल तीन साल का हुआ तो एक दिन वो माँ के साथ खेल रहा था। उनकी नौकरानी भी पास में ही बैठी थी। इतने में पड़ोस में से एक फ़ोन आया। मधु ने जब फ़ोन उठाया तो पता चला की पड़ोस में उसकी सहेली को बहुत तेज बुखार है और वो घर में अकेली है। मधु जल्दी से बुखार के गोली लेकर उसके पास चली गयी। वो बहुत जल्दी में थी इसलिए घर के लॉकर की चाबियां वहीँ भूल गयी। जब नौकरानी की उन चाबिओं पर नजर पड़ी तो उस के मन में लालच आ गया। उसने लाकर में से गहने निकाले और चाबी दोबारा वहीँ रख दी। आधे घंटे बाद जब मधु वापिस आई तो उसने देखा की लाकर की चाबी वो घर पर ही भूल गयी थी। उसने जब लाकर खोला तो गहने गायब थे। जब मधु ने नौकरानी से पूछा तो वो साफ़ मुकुर गयी और बोली कि मैंने तो चाबी देखि भी नहीं। वो कहने लगी कि घर में तो दो नौकर और भी हैं और वो भी इस कमरे में आते जाते रहते हैं तो कोई भी इनको चुरा सकता है और हो सकता है चोरी पहले किसी दिन हो चुकी हो और उसका पता आज चला हो। मधु भी बिना किसी सबूत के उसके ऊपर इल्जाम नही लगा सकती थी। तभी विशाल अपनी तोतली आवाज में बोला की चोरी आंटी ने की है। मधु इतने छोटे बच्चे की बात पर विश्वास करके इतना बड़ा इल्जाम नौकरानी पर नहीं लगाना चाहती थी और वो विशाल को साथ वाले कमरे में ले गयी।
विशाल ने अपनी माँ को उसकी आँखों में देखने के लिए कहा। जब मधु ने उसकी आँखों में देखा तो विशाल ने वो रिकॉर्ड किया हुआ दृश्य चला दिया। मधु ये सब देख भौचक्की रह गयी। वो काफी डर भी गयी थी और पल भर के लिए तो वो बेहोश सी हो गयी। होश आने पर उसने वो गहने जहाँ पर नौकरानी ने छुपाये थे वहां से निकल लिए और नौकरानी को नौकरी से निकल दिया। नौकरानी को ये समझ में नहीं आ रहा था की मधु को गहने छुपाने की जगह कैसे मालूम हुई। विशाल की आँखों में दृश्य कैद करने वाली बात तो वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी। उधर मधु को गहने मिलने की ख़ुशी से ज्यादा इस बात का डर ज्यादा सता रहा था कि कहीं ये अद्भुत शक्ति विशाल के लिए शाप न बन जाये और बड़े होकर उसे कोई नुक्सान न पहुंचा दे। अगले कुछ साल वो विशाल को ये ही समझाती रही कि अपनी इस शक्ति को न तो वो इस्तेमाल करे और न ही किसी को पता लगने दे। उसने ये बात अपने पति से भी छुपा कर रखी।
विशाल अब दसवीं में पढ़ रहा था और अपनी माँ के सिवाअपनी शक्ति अपनी शक्ति का इस्तेमाल किसी के पास नहीं करता था। उसे क्रिकेट का बड़ा शोक था और स्कूल में अपनी टीम का कप्तान था। उनके स्कूल में इंटर स्टेट क्रिकेट चैंपियनशिप हो रही थी। उनका स्कूल ये चैंपियनशिप पहले कभी नहीं जीता था। इस बार उसकी टीम ने बहुत मेहनत की थी और क्योंकि उसका भी स्कूल में ये आखरी साल था तो वो ये चैंपियनशिप किसी भी हालत में जीतना चाहता था। उनकी टीम एक बड़े स्कोर को चेस कर रही थी। आखिरी ओवर में उन्हें बारह रन बनाने थे। वो खुद और एक और लड़का क्रीज़ पर थे। पहली पांच बॉल में छः रन बन चुके थे और आखिरी बॉल में छः रन और चाहिए थे। लग रहा था जैसे मैच हाथ से निकल गया है। आखिरी बॉल विशाल ही फेस कर रहा था। उसने बाल को अपनी पूरी शक्ति लगाकर शॉट मारा। बॉल हवा में काफी ऊपर चली गयी और ये चौक्का या छक्का कुछ भी हो सकता था। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। माँ के मना करने वाली बात के वावजूद न चाहते हुए भी वो इस पल को रिकॉर्ड करने लग गया। बॉल बस बाउंड्री लाइन के एक इंच बाहर गिरी। ये सोच कर कि छः रन हो गए हैं वो ख़ुशी मानाने लगा पर अंपायर ने अभी छक्का डिक्लेअर नहीं किया था। दूसरी टीम के लोग कह रहे था कि ये चोका है। अंपायर भी काफी कन्फ्यूज्ड था। वो चोका देने ही वाला था की विशाल ने दूसरी टीम के कप्तान और अंपायर को अपने पास बुलाया और कहा कि वो ये साबित कर सकता है कि ये छक्का ही था। उसने दूसरे कप्तान और अंपायर से ये वादा लेकर कि वो किसी से इस बात का जिकर नहीं करेंगे उन्हें अपनी आँखों में देखने के लिए कहा। मैच जीत लेने के बाद उन्होंने खूब जश्न मनाया पर जब ये बात घर जाकर उसने अपनी माँ को बताई तो वो बहुत नाराज हुई।
विशाल को फ़ौज में जाने का बहुत शोक था इसलिए स्कूल के बाद उसने नेशनल डिफेन्स अकादमी ज्वाइन कर ली। वो बड़ी लगन से सब सीख रहा था। आखिरी साल में उनके साथ कोर्स करने के लिए श्रुति नाम की एक लड़की आई। श्रुति बहुत सूंदर थी और विशाल को उससे देखते ही प्यार हो गया। श्रुति उसके ही ग्रुप में थी और वो काफी समय साथ रहते थे। दोनों बड़े अच्छे दोस्त भी बन गए थे पर विशाल प्यार का इजहार नहीं कर पाया था। एक दिन जब वो अकादमी में गया तो उसने देखा श्रुति अकादमी के एक और लड़के अमृत के गले में बाहें डाल कर बैठी है। वो समझ गया की श्रुति उससे नहीं पर अमृत से प्यार करती है। वो सोच रहा था की शायद वो श्रुति को बताने में थोड़ा लेट हो गया। न चाहते हुए भी उसने वो पल रिकॉर्ड कर लिए। अपने कमरे में जाकर उसने वो दृश्य बहुत बार देखा और रोने लगा। ऐसा पहली बार हुआ था की वो अपने रिकॉर्ड किये हुए दृश्य को देख कर दुखी हुआ हो।
अगले दिन जब वो अकादमी गया तो उसने श्रुति को ये पता नहीं लगने दिया कि श्रुति ने उसका दिल तोडा है और उससे वैसे ही बात करता रहा जैसे कि पहले करता था। कुछ दिन बाद जब विशाल मार्किट से कुछ लेने जा रहा था तो उसने वहां अमृत को देखा। वो किसी दूसरी लड़की के साथ था और दोनों एक दुसरे को किस कर रहे थे। विशाल ने वो दृश्य रिकॉर्ड कर लिए। वो नहीं चाहता था कि श्रुति को कोई धोखा दे। वो हमेशा यही चाहता था की श्रुति उसको चाहे न मिले पर खुश रहे। वो काफी झिझक रहा था की श्रुति को ये बताये कि नहीं, पर फिर कुछ सोच कर वो सीधा श्रुति के पास गया और उसे वो सारा दृश्य दिखा दिया। श्रुति पहले तो रोने लगी पर विशाल के समझाने पर उसे भी लगा कि वक्त रहते उसे पता चल गया तो ये ठीक ही हुआ। धीरे धीरे दोनों में नजदीकियां बढ़ती गयीं और अकादमी से निकलते ही दोनों ने शादी कर ली। विशाल ने बचपन से लेकर अब तक की उसकी अद्भुत शक्ति की सारी बातें श्रुति को बता दीं और उससे किसी और को न बताने का प्रण लिया।
विशाल की नौकरी मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स में लग गयी और अपनी मेहनत और लगन से वो आफिसर पोस्ट पर पहुंच गया। धीरे धीरे डिफेन्स मिनिस्टर और प्रधानमंत्री से मिलना भी एक आम बात हो गयी। प्राइम मिनिस्टर भी उसे बहुत पसंद करते थे और उस पर काफी विश्वास भी करते थे। उस के ऑफिस में डिफेन्स से जुड़े काफी अहम डॉक्यूमेंट रहते थे। एक दिन वो देर रात अपने ऑफिस में काम कर रहा था। वो टॉयलेट जाकर वापिस आया तो उसने देखा कि डिफेन्स सेक्रेटरी एक अलमारी खोल कर बैठा है और कुछ एहम दस्तावेज चुरा रहा है। उसे शायद ये लग रहा था कि डिपार्टमेंट में कोई नहीं है। विशाल ने चुपके से ये सब रिकॉर्ड कर लिया। जब डिफेन्स सेक्रेटरी जाने लगा तो उसकी नजर विशाल पर पड गयी। खुद फंसता देख उसने खुद ही शोर मचाना शुरू कर दिया और विशाल को भी धमकी देने लगा की वो इस केस में उसे ही फंसा देगा। विशाल ये सब भी रिकॉर्ड कर रहा था। थोड़ी देर में वहां भीड़ इकठी हो गयी और क्योंकि सेक्रेटरी डिफेन्स मिनिस्टर के काफी करीब था और विशाल से सीनियर भी था सभी उसकी बात को ज्यादा मान रहे थे और विशाल की कोई ज्यादा नहीं सुन रहा था। विशाल भी क्योंकि अपनी शक्ति सब को बताना नहीं चाहता था तो ज्यादा बोला भी नहीं। इतने में डिफेन्स मिनिस्टर भी आ गए और उन्होंने भी सेक्रेटरी की बातों में आकर पुलिस को बुला लिया और विशाल को अरेस्ट करने के लिए कहा।
विशाल ने एक रिक्वेस्ट कि कि वो प्रधान मंत्री से एक बार मिलना चाहता है। प्रधानमंत्री क्योंकि उसपर काफी विश्वास करते थे तो उनहोंने इजाजत दे दी। विशाल ने वो सारी रिकॉर्डिंग उन्हें दिखाई तो प्रधानमंत्री को एक बार तो विश्वास नहीं हुआ पर फिर उन्होंने सेक्रेटरी को ससपेंड कर दिया और पुलिस को सौंप दिया और विशाल को डिफेन्स सेक्रेटरी बना दिया। विशाल ने जब सारी बात अपनी पत्नी श्रुति को बताई तो उसे इस बात पर बड़ा गर्व हुआ की उसके पति ने देश को एक बड़े षड्यंत्र से बचा लिया है।
श्रुति उस वक्त सात महीने की गर्भवती थी। दो महीने बाद उनके एक बेटा हुआ। एक दिन जब वो दो महीने का था तो विशाल उसे हंसाने की कोशिश कर रहा था। उसके बेटे ने कुछ सेकंड के लिए आँखें बंद की और फिर जोर जोर से हंसने लगा। श्रुति और विशाल ने ऐसे रियेक्ट किया जैसे की कोई भूत देख लिया हो। दोनों के चेहरे देखने लायक थे।