अछूत

अछूत

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माँ ये अछूत क्या होता है ? निम्मो ने अपनी माँ से खाना खाते खाते पुछा। माँ आज मैं पायल के घर गई तो उसकी मम्मी ने पायल को अंदर ले जाकर बहुत डाँटा वो पायल को बोल रही थी तुझे कितनी बार इस अछूत लड़की के साथ मना किया है फिर भी तुझे यही मिली है क्या।

पायल ने बोला भी वो सिर्फ पानी पिने आई है पर उसकी मम्मी ने उसे बाहर रखी ग्लास में पानी देने को कहा और ये भी बोला की आज के बाद इसे अंदर नहीं लाना और खेलने की भी जरूरत नहीं है इसके साथ।

माँ सब हमें अछूत क्यों बोलते हैं ? हम सब शादी में, पूजा में भी जाते हैं तो सब यही बोलते हैं, बोल न माँ ये अछूत क्या होता है।

कुछ नहीं ! तु खाना खा पहले.. निम्मो की माँ शोभा ने गीली आँखों से कहा।


माँ शादी में, पुजा में भी सब पहले खाते हैं और हमें बाद में बिठाते हैं और तु भी कहीं जाती है तो सब कुर्सी पे बैठते हैं और तु निचे क्यों ? बता न।आज तो तुझे बताना ही पड़ेगा।

चुपचाप तू खाना खा शोभा उसे डॉट कर चुप कराने की कोशिश कर रही थी पर आज निम्मो ने भी सारे सवालों के जबाब जानने की ठान ली थी।"माँ तु हर बार मुझे चुप करा देती है बताती क्यों नहीं ये अछूत होता क्या है" ?

शोभा बेचारी परेशान क्या जबाब दे अपनी आठ साल की लाड़ली बेटी को, क्या समझाये उसे की ये अछूत शब्द एक कंलक होता है अपने सर पर, जो ताउम्र पिछा नहीं छोड़ता।हर दर्द का दवा है पर इस अछूत के दर्द का कोई दवा नहीं होता इसे झेलना ही पड़ता है।

माँ बोल न आज तुझे बताना ही होगा सब हमें अछूत क्यों बोलते हैं।

निम्मो अछूत वो लोग होते हैं जिसे भगवान ने सेवा करने को निचे भेजा है, भगवान तो आ नहीं सकते इसलिए हमें भेजा है।देख सब हर काम में हमें बुलाने आते हैं ..है न.. हमारे बिना तो इनका काम ही नहीं होता हमें तो कितनी बार सब बुलाते हैं तब जाकर इनके काम होते हैं।"अछूत वो होते हैं जिसके मन को कोई न छू सकें"समझी मेरी बच्ची।

हाँ माँ भगवान ने हमें भेजा है ?

हाँ मेरी बच्ची सचमुच।

निम्मो खुश होकर खाना खाकर बाहर खेलने चली गई और निम्मो की माँ सोचने को मजबूर थी।"अछूत तो वो हैं जिसका मन ही खराब है तन का क्या सब तो भगवान ने ही बनाया छूत अछूत तो इन इंसानों ने अपनी मन का गढ़ लिया ! मन गंदा खुद रखकर दूसरों को अछूत बना देते हैं !मैं अपनी बेटी को पढ़ा लिखाकर कहीं बाहर भेज दूंगी जहाँ उसे ये शब्द कभी न सुनाई दे और न वो दर्द झेलना पड़े जो हमने झेला है" इस छोटी सी बच्ची के मन में इतने सवाल ओह।

शोभा ने आँसू पोछे और काम पर लग गई पर मन में यही चल रहा था 

"सचमूच अछूत तो वो हैं जो तन से नहीं मन से अछूत हैं" बच्चे तो बच्चे होते हैं उनकी मनोदशा को समझना बहुत मुश्किल हो जाती है। कब क्या उनके मन में उठ रहा हमें पता भी नहीं चलता।


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