अभिनव प्रयोग
अभिनव प्रयोग
कक्षा शिक्षक ने बच्चों से कहा बच्चो चलो अब मध्यान्ह भोजन का समय हो गया है भोजन करने कक्ष में चलो।
सभी बच्चे शोर करते हुए भोजनकक्ष को ओर दौड़े।
रवि चुपचाप गुमसुम एक कोने में खड़ा था शिक्षक की उस पर नजर पड़ी तो वह सहम गया।
रवि तुम यहाँ क्यों खड़े हो क्या भोजन नहीं करना ?"शिक्षक ने प्यार से पूछा।
रवि टुकुर टुकुर शिक्षक की ओर देखने लगा।
बोलो रवि क्या बात है ?तुम्हारी तबियत तो ठीक है न ?शिक्षक ने रवि के सर पर हाथ फेर कर प्यार से पूछा।
सर वो बच्चे मेरे साथ खाना नहीं खाते ,मुझसे दूर बैठ कर खाना खाते हैं। "रवि ने बहुत मासूमियत के साथ शिक्षक को उत्तर दिया।
शिक्षक को सुनकर बहुत बुरा लगा उन्होंने सोचा आज इस बुराई का परमानेंट उपाय किया जाय उन्होंने रवि से कहा "अच्छा चलो तुम मैं आता हूँ। "
रवि जा कर सभी बच्चों से दूर बैठ गया।
शिक्षक जब भोजन कक्ष में पहुँचें तो सभी बच्चे श्लोक से भोजन का प्रारम्भ कर रहे थे उन्होंने मुस्कुराकर सभी बच्चों की ओर देखा फिर शिक्षक ने बच्चों से कहा "प्रिय बच्चो आज से एक नया नियम मैंने बनाया है जब सभी बच्चों की भोजन की थाली में भोजन आ जायेगा तो सभी बच्चे एक दूसरे से अपनी रोटियाँ बदल लेंगे फिर श्लोक के साथ सभी भोजन करेंगे ,इस में मैं भी आपके साथ शामिल रहूँगा बोलो सभी लोग तैयार हैं। "
जी सर हम सब तैयार हैं। " बच्चे एक साथ चिल्लाये।
अच्छा तो आज से ही शुरुआत करते हैं शिक्षक उठे और दूर बैठे रवि की थाली से उन्होंने रोटियाँ उठाईं और अपनी थाली की रोटियाँ रवि की थाली में रख दीं। शिक्षक को देख कर सभी बच्चों ने ऐसा ही किया और धीरे धीरे रवि की थाली से बहुत सारे छात्र ने अपनी रोटियाँ बदलने लगे।उस दिन से रवि सबके बीच में बैठ कर भोजन करने लगा।
शिक्षक का अभिनव प्रयोग काम कर गया। शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं हैं वरन आचरण से छात्रों की सोच में सकारात्मक परिवर्तन करना है।