STORYMIRROR

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Classics Fantasy

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Classics Fantasy

आवारा बादल (भाग 34) योजना

आवारा बादल (भाग 34) योजना

6 mins
217

मृदुला दुविधा में फंसी हुई थी। शिवा का असली नाम रवि है और उसका एक अतीत भी है जो बहुत सड़ा हुआ सा, गंदला सा है। क्या उस अतीत को मम्मी पापा को बता देना चाहिए ? इतनी बड़ी बात रवि ने अब तक छुपा कर रखी हुई थी कि उसकी याददाश्त खोई नहीं थी बल्कि उसने याददाश्त खोने का बहाना बनाया था। इससे रवि की विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है। ये बात भी सही है कि इन तीन सालों में उसने अग्रवाल परिवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। उसने कोई नाजायज फायदा भी नहीं उठाया है। यह भी सही है कि उसने इस परिवार की सेवा करने में कोई कसर नहीं रखी है। मम्मी पापा दोनों ही उससे कितने प्रसन्न हैं , ये बता भी नहीं सकती हूं मैं। मगर आश्चर्य की बात तो यह है कि उसने बी ए की पढ़ाई कब कर ली ? कब परीक्षा दे दी ? और परिणाम भी इतना शानदार रहा है कि उसने कला संकाय में 80% अंकों से बी ए की डिग्री हासिल कर ली और किसी को पता भी नहीं चला। इसका मतलब है कि रवि पढने में बहुत होशियार है। मेहनती है। क्या उसका जीवन झाड़ू पोंछा लगाने में ही गुजर जायेगा ? 

बड़ा गूढ़ प्रश्न था यह। इस प्रश्न ने मृदुला को हिलाकर रख दिया। इस बारे में वह अपने मम्मी पापा से बात करना चाहती थी लेकिन रवि से किया हुआ वादा उसे रोक रहा था। क्या करे क्या ना करे इस असमंजस के झूले में झूल रही थी मृदुला। कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था उसे। अपने ही विचारों में मग्न होकर वह सो गई। 

रात में सपने में उसने देखा कि रवि ने IAS की परीक्षा दी है और उसमें वह पास हो गया है। फिर साक्षात्कार भी दिया और उसका चयन IAS में हो गया। वह किसी जिले का कलक्टर बन गया था। उसके पापा अब रवि के सामने बहुत बौने लग रहे थे। रवि का कद इतना बढ़ गया था कि वह आसमान छूने लगा था। अचानक मृदुला की आंख खुल गई। वह सपने के बारे में सोचती ही रह गई। 

क्या ऐसा संभव है ? क्या रवि IAS बन सकता है ? यहां पर घर का काम करते हुए तो वह हरगिज नहीं बन सकता मगर यदि वह यहां से कहीँ और चला जाए तो बन सकता है IAS। लेकिन उसके पास पैसे कहां हैं ? अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए तो उसे काम करना ही पड़ेगा ? यदि वह काम करेगा तो फिर पढ़ाई कब करेगा ? दोनों काम एक साथ संभव नहीं हैं। अगर पढेगा नहीं तो IAS कैसे बनेगा ? क्या रवि को घर से भगा देना चाहिए ? क्या घर से पैसे चुराकर रवि को दे देने चाहिए ? क्या ये सही रहेगा ? 

सभी प्रश्नों का एक ही जवाब मिल रहा था उसे और वह था नहीं। ना तो वह चाहती थी कि रवि यहां से जाये ? ऐसा क्यों चाहती थी वह, यह भी समझ में नहीं आया था उसे। पर जैसे ही रवि के इस घर से जाने का विचार उसके मन में आया वैसे ही उसे लगा कि जैसे उसके शरीर में कुछ टूटा था। वह क्या था यह भी पता नहीं है। ये क्या हो रहा है उसे ? ऐसा कभी पहले तो नहीं हुआ था फिर आज ही क्यों हो रहा है ? जहां तक घर से पैसे चुराकर देने की बात है, यह काम मृदुला के वश में था भी नहीं। इतना घिनौना काम वह कर ही नहीं सकती थी। करना तो दूर , सोच भी नहीं सकती थी। मगर उसने सोच तो लिया था। यह सोच कर ही उसे खुद पर आश्चर्य हो रहा था कि उसने ऐसा सोच कैसे लिया ? 

दिन भर वह इसी कशमकश में रही। लंच के समय रेणू जी ने इस पर नोटिस किया और कहा "मृदुला, कॉलेज में कोई परेशानी है क्या" ? 

"नहीं तो ! क्यों क्या बात है मम्मा" ? 

"तू कुछ परेशान सी लग रही है, इसलिए" 

"नहीं तो। मैं क्यों परेशान होऊंगी" ? 

"मुझे क्या पता ? तुझे ही पता होगा ? तेरा चेहरा बता रहा है कि कुछ तो बात है। अपनी मां से भी बातें छिपाने लगी है तू आजकल। कोई खास बात है क्या" ? रेणू जी ने अर्थ भरी मुस्कान के साथ पूछा 

"कुछ भी तो नहीं है मम्मा। आप भी ना" 

"नहीं, कुछ तो है। इतनी चुप चुप कभी नहीं रही है तू आज तक। बता दे बेटा क्या बात है ? बताने से थोड़ा बोझ कम हो जाता है। चल, जल्दी बता" 

मृदुला खामोश रही। उसकी खामोशी ने रेणू जी के शक को और पुख्ता कर दिया कि कुछ न कुछ तो है। रेणू जी बोलीं "चल, जल्दी से बता दे कि बात क्या है ? फिर देखते हैं कि क्या किया जा सकता है " ? 

मृदुला ने रवि वाली सारी बातें अपनी मम्मी को बता दी। रेणू जी को पहले तो शॉक लगा मगर जब उसकी डिग्री और अंकों के बारे में सुना तो वे बहुत खुश हुई। अचानक रेणू जी ने पूछा "अभी रवि के मां बाप कहां हैं" ? 

"इस दुनिया में नहीं हैं मम्मा। जिस दिन रवि उस घटना स्थल से भागा था उस दिन ही उस भीड़ ने उन्हें पीट पीट कर मार दिया था। वो तो एक बार रवि चोरी छुपे गांव गया था तब उसे पता चला था"। 


रेणू जी को भी अचानक याद आया था कि एकदिन अचानक रवि सुबह ही कहीं चला गया था और शाम को वापस आया था। उस दिन वह बहुत उदास था। शायद उसी दिन उसे पता चला हो अपने मम्मी पापा के बारे में। बेचारा रवि ! अभी से अनाथ हो गया। पर वह अनाथ तो उसी दिन से हो गया था जिस दिन से उसने अपना गांव छोड़ा था। कुदरत भी कैसे कैसे दिन दिखलाती है। एक हंसते खेलते परिवार को ये दिन देखने पड़ेंगे, किसने सोचा था। और आगे भी न जाने क्या होने वाला है। रेणू जी भविष्य के गर्भ में झांकने की कोशिश करने लगी। 

"मम्मा" ! 

रेणू जी ने गर्दन उठाकर प्रश्न भरी नजरों से मृदुला को देखा। 

"मम्मा, क्या इतना होनहार लड़का जिंदगी भर झाड़ू पोंछा ही करता रहेगा" ? 

इस प्रश्न से रेणू जी की आत्मा भी थर्रा उठीं। तीर की तरह सीधा सीने में धंस गया था यह प्रश्न। 

"नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। हम इसे यहां से आजाद कर देंगे" 

"मगर फिर ये जाएंगे कहां ? और जहां भी जाएंगे वहां पर भी पेट भरने के लिए तो कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा ना। फिर वहां और यहां में अंतर कहां रह पाएगा ? यहां पर हम लोग तो इनका ध्यान रख लेते हैं, कहीं दूसरी जगह पर कौन ध्यान रख पायेगा" ? 

"बात तो तूने सही कही है बेटी। पर हम करें भी तो क्या करें"? 

"एक योजना है मेरे दिमाग में , आगर आप कहो तो सुनाऊं" ? 

"जरूर। सुना"। 

"क्यों न हम लोग एक और नौकर रख लें झाड़ू पोंछा, बर्तन वगैरह के लिए और रवि को केवल खाने का काम रहने देते हैं। किचन में आप और मैं दोनों ही रवि की सहायता कर देंगे जिससे उसका टाइम कम लगेगा और बाकी टाइम वह IAS की तैयारी भी कर सकेगा। उसे ऐसा भी नहीं लगेगा कि उससे कोई काम नहीं लिया जा रहा है। इस प्रकार हम उसकी मदद करके उसे IAS बना सकते है मम्मा"। मृदुला ने अपनी योजना खोलकर रख दी। 

इस योजना पर थोड़ी देर सोचने के बाद रेणू जी ने कहा " बात तो तेरी सोलह आने सही है मृदुला। अगर रवि IAS बन गया तो मैं समझूंगी कि उससे जो हमने घर का काम करवाया था, उसका बोझ उतर जाएगा हमसे। इस संबंध में तेरे पापा से और सलाह करते हैं , फिर देखते हैं कि वे क्या कहते हैं। आने दे उन्हें"। 

शाम को जब अग्रवाल साहब घर आ गये तब खाना खाने के बाद रेणू जी ने सारी बातें अग्रवाल साहब को बता दी और दोनों मां बेटी की योजना भी बता दी। अग्रवाल साहब ने इस योजना पर अपनी मुहर लगा दी। और इस प्रकार घटनाक्रम में फिर से परिवर्तन हो रहा था। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance