आतंकवाद का प्रहार !!
आतंकवाद का प्रहार !!
आतंकवाद एक ऐसी जटल समस्या बन गई है जिसका हाल निकालना श्याद ही मुमकिन लगता हो। आज के दौर में अनेक समस्याओं से विश्व गुजर रहा है इन अनेक समस्याओं मे से एक एक है आतंकवाद जिसका समय - समय पर उदहारण मिलता रहा है। 9/11/2001 आतंकवाद , इस आतंकवादी गतिरोध से पूरा विश्व अवगत है इस आतंकवाद घटन ने पुरे विश्व को झकझोर के रख दिया था। अमेरिका जैसे शकतिशाली व आर्थिक वर्चस्व वाला देश जो प्रत्येक क्षेत्र में स्वयं को शक्तिशाली व वर्चस्व वाला देश प्रस्तुत करने का प्रत्येक अवसर जाने नहीं देते उस देश पर आतंकी हमला अत्यन्त रोचक व प्रश्नवाचक लगता है। किसी भी देश की आर्थिक बुनियाद जितनी मजबूत होती है उस देश का वर्चस्व उतना ही अधिक होता है इस प्रकार के देशों पर कोई भी देश हमला करने से पूर्व विचार अवश्य करता है। अमेरिका जैसी आर्थिक वर्चस्व वाले देश पर आतंकी हमला कहीं ना कहीं अनेक प्रश्न प्रस्तुत कर देता है। इस आतंकी घटना से अमेरिकी राष्ट्रपति पर अनेक सवाल उत्पन्न हुए थे कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने नागरिकों को सुरक्षा तक नहीं प्रदान कर सकते है।
विश्व में अनेक स्थानों पर अनेक आतंकी घटनाएं होती है। प्रत्येक देश अपनी आर्थिक खर्च का उपयोग देश की सुरक्षा के लिए करता है , प्रत्येक देश में आतंकी घटनाएं सुने की आवश्य मिलजती है। इस आतंकी घटनाओं में आने नागरिकों को अपना जीवन खोना पढ़ता है साथ ही साथ सरकार की सुविधाओं को भी अत्यधिक नुकसान होता है। किसी भी देश के प्रथम नागरिक के लिए आवश्यक होता है उसके नागरिक का जीवन और इसी जीवन की सुरक्षा हेतु नागरिकों द्वारा सरकार का निर्माण कराया जाता है ताकि वह अपने नागरिकों को उनके व्यक्तिगत विकास के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराए। प्रत्येक देश आंतरिक सुरक्षा के लिए अत्यधिक धन खर्च करता है , वह हर प्रकार के सुविधा प्राप्त करने का प्रयास करता है जिससे वह देश को सुरक्षा प्रदान कर सके।
हाल ही के समय में भारत में आतंकी हमला हुआ था जिसे पुलवामा आतंकी हमला कहा जाता है। इस आतंकवादी हमले है आने जवानों की जाने चली गई। आतंकवाद केवल किसी एक देश का लिए समस्या नहीं है अपितु यह एक वैश्विक समस्या है जिसका समाधान किसी एक देश द्वारा नहीं किया जा सकता है। आतंकवादी समस्याओं का समाधान करने के लिए “सयुक्त राष्ट्रसंघ सुरक्षा परिषद्” द्वारा आतंकवाद को रोकने के लिए शांति अभियान किया किया जाता है जिसे वैश्विक ग्राम में शांति बनी रहे तथा प्रत्येक देश अपना विकास करता रहे। सुरक्षा परिषदों द्वारा उठाए गए आने नियमों के बावजूद विश्व में आतंकवाद उपस्तिथि है। वैश्विक ग्राम में आतंकवाद के अभी भी होने के अनेक कारण हो सकते है
०देशों के बीच प्रतिस्पर्धा जिसके कारण वे आतंकवादी गतिविधियों को जोर देते है
० हथियारों को होड जिसके चलते वह अपने आने देशों में आतंकवाद करवाते है
० अमेरिका का अपना प्रभुत्व बनाए रखने कि आशा
० देशों के विकास को प्रभावित करना जिसे वह देश उनसे होड ना कर सके।
० किसी एक विशेष धर्म का प्रचार करना व आतंकवाद फैलाना।
० पटरपंथी का प्रचार करना व वैश्विक शांति को प्रभावित करना।
० सुरक्षा परिषद को समाप्त करना जिसे विश्व में विभाजन हो जाए तथा प्रभुत्व समाप्त है जाए।
० नागरिकों के अधिकारी को प्रभावित करना समाज को आगे बढ़ने कि रहा को समाप्त किया जाए व विकास पर प्रभावित हो।
आतंकवाद एक ऐसी जटिल समस्या है जिसको समाप्त करना केवल किसी एक देश द्वारा मुमकिन नहीं है इसे समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक देश आंतरिक सुरक्षा के साथ साथ वैश्विक सुरक्षा पर भी ध्यान से ऐसी वैश्विक सुरक्षा जिसमें प्रत्येक देश छोटे से छोटे देश का आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी जिसे आतंकवादी घटनाओं को रोका जा सके। आतंकवाद को समाप्त करना तभी सम्भव होगा जब प्रत्येक देश इस विश्व ग्राम का हिसा होने का अपना कर्तव्य पूरा करेगी तभी यह वैश्विक ग्राम शांति के साथ अपना विकास कर पाएगा।
आतंकवाद में अनेक ऐसी लोग मारे जाते है जिनका वैश्विक सम्बंध से कोई लेना नहीं देना होता है अर्थात ऐसे लोग जो मनुष्य तो है परन्तु अपने जीवन को जीने के लिए संघर्ष कर रहे होते है लगातार। गरीब होने के कारण यह लोग केवल जीवन को व्यतीत कर रहे होते है इनको जीवन को कहीं ना कहीं आतंकवाद के लिए भी उपयोग किया जाता है। अपनी आर्थिक गतिविधि को प्राप्त करने के लिए ऐसे गरीब लोगो का उपयोग भी किया जाता है। सरकार को वैश्विक अतांकवाद को समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि लोगो में देश प्रेम व उनको आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाए जिसके दबाव में आकर वह आतंकवाद के रास्ता ना अपनाए
आतंकवादी गतविधिया केवल बड़े या विकसित देशों में नहीं होती हेरू अपितु ऐसी गतिविधियों को सहयोग कहीं ना कहीं विकसित देशों द्वारा है दिया जाता है इसके अनेक कारण हो सकते है जैसी उन देशों के भूभाग पर नियंत्रण करना , अपना प्रभुत्व बनाए रखना इन देशों को आंतरिक रूप से अपना प्रभुत्व स्थापित करना।
आतंकवाद को सहयोग नागरिकों द्वारा भी अप्रत्यक्ष रूप से दिया जाता है। नागरिकों द्वारा जागरुक ना होना अपने आसपास के वातावरण पर निश्चितरूप से ध्यान ना देना। नागरिकों द्वारा यदि अपने आसपास घटित घटनाओं पर ध्यान दिया जाए तथा उनके द्वारा सरकार को सूचित किया जाए तो कहीं ना कहीं आतंकवाद की कुछ घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकेगा व समय रहते रोका जा सकेगा।
किसी भी वैश्विक समस्या को समाप्त करने का एक मात्र रास्ता है वैश्विक सहयोग , आंतरिक सहयोग , नागरिक सहयोग । यह त्रिकोड सहयोग ही वैश्विक समस्याओं को समाप्त कर सकते है सरकार को दोष देना या वैश्विक संगठनों को केवल इसका रक्षक समझने से ये समस्याएं समाप्त नहीं होगी इसके लिए आवश्यक है कि देश का प्रत्येक नागरिक जागरुक हो। आतंकवाद का प्रभाव केवल किसी देश पर नहीं पड़ता है या किसी समाज पर नहीं पड़ता इसका प्रभाव संपूर्ण मानव जाति पर पड़ता है। आतंकवाद की इस वैश्विक समस्याओं से मानव जाति के मानव अधिकार भी प्रभावित होते हैं। मानव अधिकारों की सुरक्षा हेतु यह आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक जागरूक रहें सरकार संपूर्ण रूप से उनके लिए कार्य करें और वैश्विक स्थल पर अन्य कदमों को उठाया जाए इन तीनों के सहयोग द्वारा ही वैश्विक आतंकवाद को रोका जा सकता है ।
