आम आदमी की बेटी की शादी
आम आदमी की बेटी की शादी


आज अचानक हमारे पुराने मित्र आमआदमी राम जी का फोन आया । फोन पर ही फफक फफक कर रोने लगे थे वे । हमने उन्हें ढ़ांढस बंधाया मगर उनकी रुलाई ऐसे फूट रही थीं जैसे दिल्ली के मालिक नटवरलाल जब शराब घोटाले में जेल जा रहे थे तब दिल्ली की नई नई मालकिन बनीं चाटशी चितलेना की रुलाई फूट रही थी ।
हमने कहा : "आमदनी राम जी" !
दरअसल आम आदमी पार्टी बनने से पहले उनका नाम आमदनी राम ही था लेकिन आम आदमी पार्टी बनते ही वे इसके सदस्य बन गए और उन्होंने अपना नाम आमदनी राम से आमआदमी राम रख लिया था ।
पहले वे ब्रांडेड शर्ट और ब्रांडेड पैंट पहनते थे जिनकी कीमत न्यूनतम 20 से 25 हजार रुपए की होती थी । लेकिन जब से वे आम-आदमी बने थे तब से एक ढीली ढाली सी मांग कर लाई हुई सी शर्ट पहनने लगे थे । दो चार बार तो मुझसे मांग कर लें गए थे शर्ट पैंट । जेब में एक 5 ₹ का पैन रखते थे और बाबा साहेब अम्बेडकर का चित्र सीने पर आगे तथा शहीद-ए-आजम भगतसिंह का चित्र पीठ पर लगाकर चलते थे वे ।
वे मीडिया में चौबीसों घंटे छाए रहते थे । लेकिन जब से वे चुनाव हार गए हैं तब से उनके दर्शन दुर्लभ हो गए हैं ।
आज अचानक उनका रोना सुनकर हमारी भी आंखें नम हो गईं थीं ।
हमने कहा
"आप तो सबको रुलाने वाले आदमी हैं । आप क्यों रो रहे हैं ? आपने तो बड़ों बड़ों को खून के आंसू रुलाया है , आज आपके आंसू कैसे गिर रहे हैं" ?
वे कहने लगे
"ये सब मोदी का किया धरा है । उसने और एल जी ने मिलकर हमें 12 साल तक काम नहीं करने दिया था । वह अब भी हमारी राह में रोड़े अटका रहा है" ।
"अब क्या कर दिया एल जी ने" ? हमारी उत्सुकता बढ़ गई ।
"हमारी पार्टी के मुखिया नटवरलाल की बेटी की शादी थी 18 अप्रैल को और सगाई 17 अप्रैल को थी । लेकिन मोदी और एल जी ने उस सगाई और शादी के कार्ड हम तक नहीं पहुंचने दिए । अब आप ही बताओ , हम करें तो क्या करें" ?
"आपको कैसे पता कि नटवरलाल ने आपको कार्ड भेजा था" ?
"उन्होंने पार्टी की मीटिंग में कहा था कि मेली बेती की छादी में जलूल जलूल आना । उन्होंने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि वे कार्ड अवश्य भेजेंगे । इसलिए हमें विश्वास है कि उन्होंने शादी का कार्ड भिजवाया तो होगा लेकिन इन तानाशाहों ने उन्हें हम जैसे आम आदमी तक नहीं आने दिया" ।
इतना कहने के बाद वे फिर रोने लगे ।
मैं समझ गया कि नटवरलाल ने बच्चों की उसी तरह कसम खायी होगी जैसी सरकार बनाने से पहले खाई थी कि वह किसी भी दल का कभी समर्थन नहीं लेगा । लेकिन फिर उसने सबसे पुराने खानदानी दल का समर्थन ले लिया था ।
मैंने कहा
"क्या आपको पता है कि नटवरलाल की बेटी की सगाई कहां हुई थी" ?
"नहीं ! लेकिन मुझे लगता है कि बॉस की बेटी की सगाई किसी "धर्मशाला" में हुई होगी क्योंकि आम आदमी की हैसियत इतनी ही होती है" ।
"नहीं जी । नटवर लाल जैसा आम आदमी जो अपने रहने के लिए 60 करोड़ रुपए शीशमहल के जीर्णोद्धार में फूंक देता है वह अपनी बेटी की शादी धर्मशाला में क्यों करेगा ? दिल्ली के सबसे पॉश इलाके क्नॉट प्लेस के सबसे मंहगे 5 सितारा होटल "शंगरी ला इरोस" में क्यों नहीं करेगा" ?
"अगर एक आम आदमी पांच सितारा होटल में अपनी बेटी की सगाई कर रहा है तो इसमें भाजपा वालों को परेशानी क्यों हो रही है" ?
"उन्हें परेशानी हो रही है या नहीं , हमें पता नहीं । लेकिन क्या आपको पता है कि होटल शंगरी ला इरोस का एक दिन का खर्च कितना है" ?
"भाईसाहब ! आप भी कमाल करते हैं । एक आम आदमी को पांच सितारा होटल के खर्चों का कैसे पता होगा" ?
"बिल्कुल सही कहा आपने । आम आदमी को पता नहीं होता लेकिन खासमखास आदमी को तो पता होता है तभी तो वह वहां फंक्शन रखता है । अच्छा एक बात बताओ कि तुम्हारे नटवरलाल की बेटी की सगाई में कितने लोग मौजूद होंगे" ?
"हजारों तो होंगे । लाख भी हो सकते हैं" ।
"अरे बाप रे ! इतने आदमी ! पता है क्या कि 600 आदमियों का एक दिन का खर्च कितना आता है" ?
"नहीं पता" । आम आदमी के "मासूम" प्रवक्ताओं की तरह उन्होंने भी बड़ी "मासूमियत" से कहा था
"600 आदमियों का एक दिन का खर्च 1.5 करोड़ रुपए आता है वहां । यदि वहां पर 6000 आदमी भी आ गए तो खर्च 15 करोड़ हो जाएगा और यदि 60,000 आदमी होंगे तो मात्र 150 करोड़ खर्च होंगे" । कहते कहते मेरी हंसी छूट गई ।
"तो क्या आप लोग चाहते हैं कि हम आम आदमी 5 सितारा होटल में अपने बच्चों की सगाई भी नहीं करें ? यही तो नीची सोच है आप जैसे लोगों की" ! उन्होंने घृणा से थूकते हुए कहा ।
"हमने कब मना किया है भाई । 5 क्यों 7 सितारा होटल में करो । तो क्या इसीलिए "कपूरथला हाउस" में 18 अप्रैल को शादी हुई थी । सगाई 5 सितारा में और शादी 7 सितारा होटल में" !
"पर भाईसाहब कपूरथला हाउस होटल नहीं है । पंजाब सरकार का भवन है" ।
"लेकिन एक बात बताओ । जब शादी किसी का निजी फंक्शन है तो सरकारी भवन में क्यों ? किस हैसियत से ? क्या नटवरलाल अब भी दिल्ली के मालिक हैं" ?
"दिल्ली के मालिक नहीं रहे इसलिए तो उन्हें एक "दारूड़े" की शरण में जाना पड़ा । इस शादी का पूरा खर्चा पंजाब सरकार ने ही तो किया है । एक आम आदमी की बेटी की शादी का ख़र्चा क्या पंजाब सरकार नहीं उठा सकती है ? तभी तो राजसी ठाठ बाट के साथ शादी हुई है । यदि वे ऐसी शादी और कहीं करते तो कम से कम 50 करोड़ रुपए खर्च हो जाते" ।
"नटवर लाल के पास इतना पैसा कहां से आया ? पिछले दस सालों में उसकी तनखा से उसे महज 2 करोड़ रुपए मिले होंगे । उससे पहले सरकारी नौकरी में भी उसे और उसकी बीवी को अधिक से अधिक 2 करोड़ रुपए मिले होंगे । फिर 50 करोड़ रुपए कहां से खर्च कर दिए उसने" ?
"एक आम आदमी की बेटी की शादी राजसी ठाठ बाट से होने पर आपको कितनी मिर्च लग रही है । आप जैसे लोगों का तो एक ही काम है कि आम आदमी के लोगों को जेल में ठूंस दो । जनता सब देख रही है । अगले चुनावों में गिन गिन कर बदला लेगी" ।
"अभी तो चुनाव हुए हैं न ! तब जनता ने बता दिया था कि दिल्ली के असली मालिक कौन हैं ? अगली बार जनता फिर बता देगी । पर एक बात है । नटवर लाल ने अपनी बीवी के साथ डांस बहुत शानदार किया था । गोविंदा को भी मात कर दिया था उसने" ।
"भाईसाहब , हमारे बॉस चौबीसों घंटे हमारी भाभी की उंगलियों पर नाचते हैं तो डांस तो शानदार करेंगे ही ना" ?
"बस एक बात खटकती है कि उन्होंने "हरा कुर्ता" क्यों पहना था ? भाभी ने भी हरा लंहगा पहना था । वैसे तो वे रोजाना "नीले" रंग की ढीली ढाली शर्ट पहनते हैं लेकिन सगाई वाले दिन उन्होंने हरा कुर्ता पहना था । इसमें कोई खास बात थी क्या" ?
"भाईसाहब ! हमारी पार्टी के वोट बैंक का रंग है वह । उनका भी तो ध्यान रखना पड़ता है ना ! हम तो उन्हीं के वोटों से जीतते आए हैं हमेशा । इसलिए हरा कुर्ता पहनना पड़ता है" ।
"तो इस बार क्या हरे रंग वालों ने वोट नहीं दिया था" ?
"नहीं ! उन्होंने तो भरपूर मात्रा में वोट दिए थे लेकिन..?
"लेकिन क्या" ?
"भगवा वालों ने वोट नहीं दिया" ।
"यदि ऐसा है तो फिर नटवरलाल ने भगवा वालों को खुश करने के लिए भगवा कुर्ता क्यों नहीं पहना ? यदि वे ऐसा करते तो हो सकता है कि अगले चुनावों में उसे उनके वोट मिल जाएं" ।
"ये भगवा वालों को अदाणी अंबानी जैसे सेठों के दोस्त पसंद आते हैं , हम जैसे आम आदमी नहीं । इसीलिए तो हमारे बॉस की बेटी की शादी पे इतना बवाल काटा जा रहा है" ।
मुझे उनकी बात पर हंसी आ गई । जो पार्टी बवाल काटने के लिए ही जानी जाती है , वह शिकायत कर रही है कि शादी जैसे निजी मामलों पर बवाल काटा जा रहा है । जो लोग किसी की डिग्री जैसे मामलों पर झूठा बवाल काटते हैं ।
आज उन्हीं के पांच सितारा , सात सितारों वाली शादी पर बात करने को बवाल काटना बता रहे हैं । गजब का दोगलापन है ।
पर , एक बात तो है कि नटवरलाल जैसे आम आदमी की बेटी की जिस तरह भव्य तरीके से शादी हुई है उसी तरह अन्य आम आदमियों की बेटियों की भी शादियां हों तो मजा आ जाए । अदाणी और अंबानी भी शर्म से अरब सागर में कूद जाएं ।
😛😛😛
श्री हरि
21.4.2025