STORYMIRROR

Bhagirath Parihar

Romance

4  

Bhagirath Parihar

Romance

आकर्षण

आकर्षण

2 mins
374

‘जब तुम मुझे प्यार करते हो तो मुझे छोड़ कर क्यों गए?’

‘कोई मधुर बांसुरी की धुन ले गई अपने साथ।’

‘तो प्यार की बांसुरी अब उसके साथ बज रही है।’

‘नहीं वो तो आकर्षण मात्र था. प्रेम तो तुम से ही था तभी तो लौट आया।’

‘कहो कि उसने दुलत्ती मार दी।’  

‘नहीं आकर्षण कमजोर पड़ गया।’ 

‘फिर कोई आकर्षक स्त्री के रूप जाल में बंधे चले जाओगे। इस संसार में लाखों स्त्रियाँ रूप लावण्य से भरपूर है फिर तुम्हारी खोज कभी खत्म नहीं होगी तुम उनके पीछे खींचते चले जाओगे।’

वह सोचने लगा, 'कहती तो वह ठीक है। पर पुरुष का स्वभाव ही ऐसा है। ’

‘क्या स्त्रियाँ पुरुषों की तरफ आकर्षित नहीं होती?’

‘होती क्यों नहीं? और होना भी चाहिए तभी तो जीवन आगे बढेगा, पीढ़ी दर पीढ़ी।’

‘कहती बिलकुल दुरस्त हो। तो हमें गृहस्थ हो जाना चाहिए।’

‘गृहस्थ बनेंगे तो ही हमारे जीवन में स्थायित्व आएगा और बच्चों का पालन पोषण ठीक से होगा। जिम्मेदारियां तो वहन करनी पड़ेगी। परिवार हमें प्रेम से बान्धता है। इसी प्रेम के सहारे हम अपनी आयु पूरी करते हैं।’ 

‘लेकिन मर्द की फितरत का क्या करें विवाह के बाद भी तांक झाँक से नहीं चूकता।’

‘मर्द क्यों स्त्रियाँ भी नहीं चूकती लेकिन समाज के डर से संयमित रहती है, पुरुष भी समाज की नैतिकता से भय खाता है लेकिन उसे ज्यादा प्रताड़ना नहीं सहन करनी पड़ती।   

रूप लावण्य दर्शनीय है जैसे ताजमहल बहुत सुन्दर है इसलिए हम उसे देखने जाते हैं, उसकी प्रशंसा करते हैं। उसे हासिल करने की जुगत तो नहीं करते। इसी तरह स्त्री के रूप को देखकर उसकी प्रशंसा कीजिए। 

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance