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Bhagirath Parihar

Drama Action

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Bhagirath Parihar

Drama Action

राजनीति का ऊंट

राजनीति का ऊंट

8 mins
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उभरता युवा नेता अपनी पहचान बनाने विधान सभा क्षेत्र का दौरा करने पहुँचा। सफेद कुरता, चूड़ीदार पाजामा कलफ़ लगा और प्रेस किया हुआ; कार से उतरते ही चप्पल उतारे, नंगे पाँव तेज डग भरता दुर्गा माता मंदिर की ओर रवाना हुआ। मंदिर की पहली सीढी पर पाँव रखते ही, झुका, माथे को झुकाया, हाथ सीढी पर लगाकर माथे पर लगाया यानी यहीं से देवी को प्रणाम किया। अन्दर प्रवेश कर घंटा बजाया, हाथ जोड़े, पुजारी के पास गया। पुजारी फूल अगरबत्ती नारियल लेकर तैयार था। उसने फूल चढ़ाये, अगरबत्ती की, नारियल फोड़ा, भगवान के आगे साष्टांग किया, एक कार्यकर्ता ने मिठाई के पैकेट दिए जो उसने भगवान के चरणों में रख दिए, पुजारी ने प्रसाद चढाया, सभी दर्शनार्थियों में बांटा, पुजारी की थाली में 1001 रुपये रखे पुजारी ने ‘विजय भव’ का आशीर्वाद दिया और कार्यकर्ताओं के साथ सीधे सभास्थल निकल पड़े। 

गाँव के बुजुर्ग दिखे उनके पांवों की ओर हाथ बढाया, युवकों को नमस्कार मुद्रा में हाथ जोड़े, संक्षिप्त भाषण दिया, गाँव की समस्याओं को उठाया और आश्वस्त किया कि समस्या के समाधान की वह पूरी कोशिश करेगा। 

फिर दूसरे गाँव काफिला चल दिया। एक गाड़ी में स्वयं अपनी सिक्यूरिटीके साथ, चार जीपों में कार्यकर्ता, एक छोटी सी वैन में सभा कंडक्ट करने का सामान- माइक, लाउडस्पीकर, दरिया व अन्य आवश्यक सामान यानी पूरा काफिला। 

वह अपने लिए जमीन तैयार कर रहा था। पहली ट्रिप में आया तब मुर्दा पार्टी इकाई को जिंदा किया, उनके हाथों में फंड दिया ताकि वे और लोगों को अपने साथ जोड़ सके। उसका असर अबकी बार की विज़िट में दिखा, करीब पचास लोगों का जत्था उसके स्वागत के लिए तैयार था। जब वह मंदिर की ओर जा रहा था तो वे भी उसके पीछे लपके, मंदिर से बाहर आए तब जाकर फूल मालाएं उनके गले में डाल सके। मंच पर भी उनका जोरदार स्वागत किया और जिन्दाबाद के नारे लगे। नेताजी प्रसन्न मुद्रा में सबको हाथ जोड़ आभार प्रकट कर रहे थे। उन्होंने कार्यकर्ता का हौसला बढ़ाया और आशा जाहिर की कि अगली विज़िट में उन्हें सुनने और अधिक लोग आएंगे। अबकी हमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद सभी के चुनाव लड़ने है। अतः सब तैयार रहें और पार्टी के लिए आगे होकर काम करें।  

पूरे विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया। लोग उसके बारे में बातचीत करने लगे, अगले चुनाव में मौजूदा विधायक को अच्छी टक्कर देगा। मौजूदा विधायक के कान खड़े हो गए। वे इस क्षेत्र से तीन बार जीत चुके थे। उन्हें लगता था कि उन्हें कोई हरा नहीं पायगा क्योंकि उनके पास प्रत्येक ब्लॉक में सशक्त कार्यकर्ताओं की फौज थी, उनका बूथ मैनेजमेंट तगड़ा था। हिन्दू मुस्लिम का कार्ड था, जय श्री राम का उद्घोष था। हिंदूओं के हर उत्सव पर इनके कार्यकर्ताओं का कब्जा था शोभा यात्रा निकालना नाच गाने और बैंड ढोल की धार्मिक भजन मंडली आदि की व्यवस्था सब इनके कार्यकर्ता करते। गण मान्य नागरिकों का ऐसे उत्सवों पर साफा माला पहना कर सम्मान करना, चन्दा देनेवाले भामाशाहों का सम्मान करना, स्वयं सेवकों द्वारा शोभा यात्रा की पूरी देखरेख की जाती। मंगल कलश लेकर चलती महिलाओं और कन्याओं की शोभा देखते बनती। गाँव के सभी लोग इसमें हिस्सा लेते। पार्टी के ख्यात नेता को शोभा यात्रा की अगवानी के लिए न्यौता जाता। इस तरह धार्मिक उत्सव पूरी तरह से राजनैतिक शक्ल अख्तियार कर लेता। यानी धर्म और राजनीति का घालमेल। 

उभरते नेता का इस गढ़ में सैंध लगाना मुश्किल था। वह धार्मिक व्यक्ति था देवी देवताओं का सबसे पहले आव्हान करता, लोगों से विनम्र चेहरा लेकर बड़ी आत्मीयता से मिलता। कोई उसके सामने अपना दुखड़ा रोता तो उसे आर्थिक मदद करता कोई बीमार हो, शादी के लिए मदद, जाति विशेष के संगठन को छात्रावास धर्मशाला के लिए चन्दा देना इत्यादि सेवा भाव के कार्य करने से उसके उजले व्यक्तित्व की छवि बनने लगी। लोग उसे अच्छा व्यक्ति मानने लगे। कुछ तो गुणगान भी करने लगे।

महिलाओं में पैंठ करने के लिए प्रत्येक गाँव की प्रतिभावान तीन चार छात्राओं को अपनी ओर से छात्रवृति देता। सुहागिनों का कोई व्रत त्योहार होता तो अपनी महिला कार्यकर्ताओं से बिंदिया चूड़ी मेहदी का तोहफा दिलवाता। नरेगा में काम करनेवाली महिलाओं के लिए अचार/चटनी के पाउच और बच्चों के लिए बिस्कुट बांटने की व्यवस्था करता। बेसहारा वृद्ध महिलाओं के लिए सरकारी पेंशन दिलवाने की व्यवस्था करना आदि काम भी पार्टी के कार्यकर्ता करने लगे।

धीरे-धीरे उसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी और मौजूदा विधायक की पार्टी के लिए चिंता का सबब। कई असन्तुष्ट कार्यकर्ता और वोटर उभरते नेता से जुडने लगे। लेकिन नेता ने मौजूदा विधायक और उसकी पार्टी के विरुद्ध कुछ नहीं बोला वह अपनी छवि निखारने में लगा था दूसरे की छवि बिगाड़ने से अपनी छवि कैसे सुधरेगी यह उसके समझ के परे था। वह सकारात्मक राजनीति का पक्षधर था, पैसा उसके पास बहुत था कर्नाटक में उसका बिजनस साम्राज्य था। वह पैसे अर्जित करने के लिए राजनीति में नहीं आया था। वह तो सम्मानीय जनप्रतिनिधि बनने के लिए लोगों के बीच आया था।

लोकल मीडिया में भी वह धीरे-धीरे छाने लगा। मौजूदा विधायक की काली करतूतों के बारे में मीडिया यदाकदा खबरें लगाता रहता। उसकी संपत्ति हर चुनाव के बाद बढ़ती जाती तो प्रश्न उठता कि इतनी संपत्ति आई कहाँ से? किसानी से इतनी संपत्ति आई होती तो सारे किसान अमीर हो जाते। उन पर जातिवादी होने के आरोप थे अपनी ही जाति के लोगों को आगे बढ़ाने में उनकी दिलचस्पी थी। जनप्रतिनिधि होते हुए जनता के काम नहीं होते। उनकी सारी राजनीति मंत्री बनने के इर्दगिर्द घूम रही थी। तीसरी बार विधायक बनने के बावजूद मंत्री पद हासिल नहीं हो सका। माननीय मंत्री महोदय बनने का सपना अधूरा ही रह गया। पार्टी संगठन में कई इनके विरोधी थे और इनकी पोलपट्टी संगठन के शीर्ष नेताओं के सामने खोलने से नहीं चूकते। पेट्रोल पम्प बना लिया, खेती चार एकड़ से चालीस एकड़ की हो गई, पुत्र विदेश में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने पहुँच गया। शहर में एक बिजनेस कॉम्प्लेक्स बना लिया, लाखों में किराया आ रहा है। अब और कितना घर भरेगा?

पार्टी में ही ऐसे नेता थे जो इस सेफ सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे और वे अपने प्रयत्नों में कोई कमी नहीं आने देते। वे चौतरफा घिर चुके थे। हाई कमान एक आसरा था। हाई कमान तसल्ली देता -आप अपने कर्तव्यपथ पर डटे रहिए। बाकी हम देख लेंगे।

जातिवादी तो उभरते नेता भी थे इस विधानसभा क्षेत्र में उनकी जाति के करीब दस से बारह प्रतिशत वोटर थे। उनको रिझाने के लिए अक्सर जाति जलसों में अध्यक्षता करना स्वीकार करते, गणमान्य व्यक्ति जो कहते वह घोषणा कर देते। चुनाव जीतने के लिए कम से कम तीस प्रतिशत वोटर का समर्थन आवश्यक है। कुछ जातियाँ हैं जो एनब्लॉक वोट करती है उनकी तरफ ध्यान देना जरूरी है सो उन्होंने एस सी और एस टी की तरफ ध्यान देना शुरू किया। वे उनकी बस्तियों में जाते, सभा करते, सबके साथ चाय नाश्ता करते और अभिवादन कर अपनी फौज के साथ निकल पड़ते। 

चुनाव तो इसी वर्ष होने हैं कोई छः महीने बाद। आजकल पार्टियों के लिए चुनाव का शंखनाद वर्ष भर पहले ही हो जाता है। उभरते नेता को टिकट की चिंता नहीं थी क्योंकि उस क्षेत्र में उस पार्टी का कोई और नेता टिकट की दावेदारी नहीं कर रहा था। पार्टी संगठन के नेताओं ने तो पहले ही आश्वासन दे दिया था ‘आपके लिए खुला मैदान है निश्चिंत होकर जुट जाइए चुनाव के समय राज्य के बड़े नेताओं की सभा भी करवा देंगे। अगर जीत गए तो जाइन्ट किलर कहलाओगे।‘ ‘अगर मगर का कोई प्रश्न नहीं मुझे जीतना ही है जाल मैंने बिछाना शुरू कर दिया है, शिकार खुद ब खुद फंस जाएगा।’                       

 ‘मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है।’

चुनाव कमीशन ने प्रदेश में चुनावों की घोषणा कर दी, अफरा तफरी मच गई, राजधानी की ओर यात्राएं बढ़ गई, पार्टी कार्यकर्ताओं की वैल्यू बढ़ गई, अखबारों के लिए मसालेदार खबरों का कोई टोटा नहीं था, पैड खबरें भी चलने लगी। बड़े नेताओं की तस्वीरों के साथ उम्मीदवार की बड़ी सी फ़ोटो और निवेदक समर्थकों के साथ भावी उम्मीदवारों के पोस्टर अखबार में छपने लगे।

वर्तमान विधायक की पार्टी नए उम्मीदवार की तलाश कर रही थी एंटी एन्कमबेनसी फेक्टर हावी था, पंद्रह साल में असंतोष काफी बढ़ गया था। हमारे उभरते नेता को एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि ‘आपके नाम की चर्चा भी विपक्षी पार्टी में चली थी, आप कहो तो मैं मामले को आगे बढ़ाऊँ। मेरा मानना है कि जाति फेक्टर के साथ आपकी उजली छवि और विपक्षी पार्टी का परंपरागत वोट बैंक आपकी जीत सुनिश्चित कर देगा। क्या कहते हैं आप।’         

'मैं क्या कहूँ?’                                  

‘क्या कहना आप एकबार उनके बड़े नेता से औपचारिक भेंट कर लो, चलो भेंट मैं अरैन्ज करवा देता हूँ फिर आप अपना मनचाहा फैसला ले लें।‘ असल में पत्रकार को पार्टी ने प्लांट किया था वह अपने मकसद में कामयाब होना चाहता था ताकि किसी निगम या एकादमी की अध्यक्षता मिल सके।

सीक्रेट मीटिंग तय हुई राजधानी के किसी होटल में और दोनों हँसते हुए बाहर निकले और सीधे पार्टी ऑफिस पहुंचे। कार्यकर्ता पहले से मौजूद थे, फूल मालाएं पहनाई गई और पार्टी को जॉइन करने की घोषणा हुई। वर्तमान विधायक का माथा ठनका, वे भागे हाई कमान की ओर, जब वे हाई कमान से वार्तालाप में मशगूल थे उसी समय प्रदेश की पार्टी इकाई ने उन्हें टिकट देने की घोषणा कर दी। राजनीति के ड्रामे का पटाक्षेप हो गया और एक नया परिदृश्य उभर आया।

 राजनीति के ऊंट का कोई भरोसा नहीं पता नहीं किस करवट बैठे। इस ऊंट ने तो राजनीति का भट्ठा बैठा दिया, नीति ढह गई और राज रह गया। राज से ही पॉवर और पैसा हाथ लगता है जिससे सौन्दर्य की देवी वीनस भी गोद में आकर बैठ जाती है अब और क्या चाहिए जन्नत का नजारा देखना हो तो माननीय मंत्री महोदय बन जाइए।  


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