यदि हर महिला शूर्पनखा नहीं होती है तो सीता भी नहीं होती है। यदि हर महिला शूर्पनखा नहीं होती है तो सीता भी नहीं होती है।
एक आये साड़ी के व्यपारी दर्शन के लिए उसे अपने दुकान पर रख लिया था। एक आये साड़ी के व्यपारी दर्शन के लिए उसे अपने दुकान पर रख लिया था।
और दादी ने नाज़िरा का माथा चूमकर गाड़ी की चाबियाँ उसकी हथेली पर रख दीं। और दादी ने नाज़िरा का माथा चूमकर गाड़ी की चाबियाँ उसकी हथेली पर रख दीं।
मेरे आधे अंग की उपलब्धि मेरी ही तो उपलब्धि हुई। ",रोहण ने रोली का माथा चूमते हुए कहा। मेरे आधे अंग की उपलब्धि मेरी ही तो उपलब्धि हुई। ",रोहण ने रोली का माथा चूमते हु...
ऐसा लग रहा था मानो बहुत सारी जिंदा लाशें मेरा पीछा कर रही हो! ऐसा लग रहा था मानो बहुत सारी जिंदा लाशें मेरा पीछा कर रही हो!