Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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एक पथिक...✍️

Romance

3  

एक पथिक...✍️

Romance

आखिरी कॉल

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प्रणीती:- तुम्हें पता है यार मैने घर वालों को मनाने की हजारों कोशिश की, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं हैं, उनको तुम्हारा ये बेफिक्रों वाला लाईफस्टाईल पसंद नहीं था, यार मैने भी ना जाने तुमसे कितनी बार कहा था कि कोई ढंग की नौकरी ढूंढ लो, तुम्हें दिन भर दोस्तों केे साथ इधर-उधर भटकने से सिगरेट पीने से फुर्सत मिलती तब ना। इस प्यार के लिये में घरवालों से बगावत नहीं कर सकती, शादी के बाद बहुत सी जिम्मेदारियां भी आती है। सिर्फ खुद के बारे में सोचना ही प्यार नहीं।


आरव:-  तो तुमने आज आखरी बार काॅल किया, यही सब उपदेश देने के लिये? अपनी फिलाॅस्पी अपने पास रखो, मुझे कुछ नहीं सुनना अब। मैं बस इतना जानता हूं कि मैं तेरे बिना जीना….और इसका जिम्मेदार कौन होगा तुम अच्छी तरह से जानती हो, काश की तुम्हें प्यार करने से पहले ही ये बगावत नजर आती। एक बार फिर सोच लो प्रणीती ! ये तुम्हारी जिंदगी है, फैसला भी तुम्हारा खुद का होना चाहिये, तुम अभी भी चाहो तो मैं वहां आकर ये शादी रुक सकता हूँ, तुम हाँ तो बोलो कानून हमे एक होने से नहीं रोक पायेगा।


 प्रणीती:-  प्लीज आरव ! समझने की कोशिश करो, ये जिंदगी मेरी जरूर है, लेकिन जिन लोगो ने ये जिंदगी दी है, मैं उनके खिलाफ ….मैं तो बस आखरी बार तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहती थी, बस इसी लिये तुम्हें काॅल की थी। साॅरी मैं वादा पूरा न कर सकी, हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।" कल मेरी शादी होने वाली है, बस आखिरी बार बात करना चाहती हूं।‘‘


आरव:-  ‘‘मुझे कोई बात-वात नहीं करनी, उसी अपने घर वाले की ही पसंद से कर लो बात। अब मुझसे बात करने में भी तो बगावत ही है ना, इसके लिये कैसे मान गये घर वाले, अब नहीं हो रहा ये सबके खिलाफ, प्रणीत तुम्हारे लिये ये आसान होगा पर मेरे लिये नहीं।

( इतना कहकर आरव ने फॅौन डिस्कनैक्ट कर दिया )


आरव अब गहरी सोच में डूब गया, प्रणीती की चिंता उसे अब और भी खाये जा रही थी, पुरानी यादों का सफर शुरू हो चुका था कैसे उसके लिये सालों तलक इंतजार, वह जिसका सौंदर्य ग्रहणयुक्त चाँद सा शीत और निर्मल ,वो जो अपनी बातों से शोषित कर उसे केवल पगला ही कहती तो आरव को हजारों-हजार मधुर स्वर सुनाई देते मानो वो कहानी कह रही हो, निढ़ाल सी नयनों की दृष्टि बाग में नाचते-गाते मोर की तरह सम्मोहक सी लगती थी ,उसके पास होते ही मानों चारों ओर नानावर्णी पुष्प हवा में मिल कर वातावरण को सुशोभित कर रहे हों।

        

सड़क किनारे बेंच पर बैठ प्रणीती को सोचते हुए कब चार बजे पता नहीं चला आरव के फोन की बैट्री कम होने पर नोटीफीकेशन का बिलिग सुनाई दिया, आरव ने फोन जेब से निकाल कर देखा, उसे फेसबूक नोटीफीकेशन पर प्रणीती के कई मैसेज दिखायी दिये थे, फेसबूक पर ब्लॉक करने से पहले आरव ने प्रणीती की फोटो देखने की इच्छा जताई। हाथों में लगी मेंहदी, मेहंदी का वो गाढ़ा लाल रंग, नयी जिंदगी की शुरुआत, उसकी आँखों में चुभने लगी, देखते ही देखते तस्वीरें उसकी प्रतिद्वंदी बनने लगी। उसके मुरझाए चेहरे अगले ही पल आंसूओं की धारा टपकने लगी।



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