पढ़ने का शोक है, लिखना आपसे सिख लूंगा
मैंने सोचा, कोई शिष्टाचार नहीं है इसके अंदर उठा दिया और माफ़ी तक नहीं मांगी मैंने सोचा, कोई शिष्टाचार नहीं है इसके अंदर उठा दिया और माफ़ी तक नहीं मांगी
तुम अभी भी चाहो तो मैं वहां आकर ये शादी रुक सकता हूँ तुम अभी भी चाहो तो मैं वहां आकर ये शादी रुक सकता हूँ