आख़िरी ख्वाहिश....
आख़िरी ख्वाहिश....
कल्याणी बहुत बूढ़ी हो चुकी है, काफी दिनों से बीमार है डाक्टर ने भी जवाब दे दिया है कि आखिरी वक्त आ गया है, अंतिम इच्छा पूछ लीजिए।। सारे परिवार को बुला लिया गया,सब आस-पास खड़े हो गएपति ने कहा, "कल्याणी अच्छा बताओ तुम्हें क्या चाहिए?"
कल्याणी बोली,"अब पूछ रहे हो,इतने सालों बाद जब मैं मरने वाली हूं,खैर पूछ ही रहे हो तो बताएं देती हूं।तुम जब आफिस जाया करते थे फिर शाम को लौटकर लालपरी पिया करते थे, मेरे मना करने पर तुम कभी कभी हाथ भी उठा देते थे और ये मत समझना कि मुझे मालूम नहीं कि तुम्हारी आफिस वाली वो हिरोइन जो सारे मर्दो से हंस हंसकर बात किया मिसेज चन्द्रा, उससे तुम्हारा चक्कर था, फिर भी मैंने तुम्हें कभी कुछ नहीं कहा।"
तभी बेटा बोल पड़ा, "मां तुम अपनी इच्छा बताओ ये क्या लेकर बैठ गई।"
"बताती हूं... बताती हूं...धीरज धरो", कल्याणी बोली और हां बेटा तुम भी तो शादी से पहले कभी कभी व्हीसकी ,रम , पीकर आते थे जब मैं दरवाजा खोलती थी तो तुम्हारे मुंह से बदबू का झोंका आता था और हाथ में जली हुई सिगरेट लेकर तुम अपने कमरे में चले जाते थे ये कहकर कि पापा से मत बोलना कि मैं देर से आया हूं,तुम तो पूरे मोहल्ले के किशन-कन्हैया थे कितनी ही गोपियों से तुम्हारा चक्कर था,ये सुनकर बहु का पारा चढ़ गया और वो अपने पति से बोली,बाद में मिलना।"
बेटी बोली,"कैसी बातें कर रही हो मां, इच्छा बताओ।"
फिर टोक दिया, वहीं तो बताने जा रही हूं और तू,जो तूने दूध वाले पर डोरे डाले थे बड़ी मुश्किल से तेरी शादी करके इस घर से विदा किया नहीं तो पता नहीं क्या होता।।आज तक मैंने सबके मन की करी,इस घर की भलाई के लिए अपने लिए तो कभी कुछ चाहा ही नहीं, अपने मन का तो कभी कुछ कर ही नहीं पाई ,ना बाप के यहां और ना इस घर में लेकिन आज सिर्फ मैं अपने मन की करना चाहती हूं और अगर आज नहीं कर पाई तो मेरी आत्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी, आजादी क्या होती है महसूस करना चाहती हूं।।
पोता बोला, "हां दादी आपको जो चाहिए,आप कहो।"
"हां और मेरी इच्छा तू ही पूरी कर सकता है", कल्याणी बोली।।
"अच्छा आपको क्या चाहिए,आप कहो", पोता बोला।।
"कल्याणी बोली,बस मेरी एक ही इच्छा है कि सिगरेट के छल्ले बनाकर हवा में उड़ाकर, वोदका का कम से कम एक पैग ख़तम करूं।" इतना सुनकर सब खड़े खड़े बेहोश हो गए।।
