आखिर मंजिल मिल गयी
आखिर मंजिल मिल गयी
आखिर यशी को मंजिल मिल गयी। यशी की सादगी रंग लायी। लोगो के साथ, अब यशी गाएगी, गुनगुनायेगी, हँसेगी, सेवा करेगी, अपने हिसाब से जीवन को जियेगी।
उसका दंभी पति अब खुद ही चाहता है कि वह खुद दूर हो जाये, बहुत दूर और एक दूसरे से कभी नही मिलेगें। यशी की एक बडी जीत है, साहस के आगे पैसा हार गया। वह, यही तो चाहती थी बस शिव ने साथ दिया। आइये हम सब मिल कर यशी के लिये अरदास करें, कि बहुत खुश रहे यशी।